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टाटा में चलता पार्सल बोगी ओवरलोडिंग का खेल

ओवरलोडिंग का धंधा टाटानगर स्टेशन में खूब फल-फूल रहा है। यहां के लीजधारक पार्सल एजेंटे खुलेआम ओवरलोडिंग के नए-नए पैंतरे आजमाते हैं ।

By Edited By: Published: Tue, 02 Jul 2019 10:00 AM (IST)Updated: Tue, 02 Jul 2019 12:57 PM (IST)
टाटा में चलता पार्सल बोगी ओवरलोडिंग का खेल
टाटा में चलता पार्सल बोगी ओवरलोडिंग का खेल

गुरदीप राज, जमशेदपुर : ट्रेनों में पार्सल ओवरलोड कर यात्रियों की जान जोखिम में डालने का सिलसिला बदस्तूर जारी है। यह सिलसिला तब भी खत्म नहीं हुआ जब मंगलवार को ही पार्सल ओवरलोडिंग के कारण चक्रधरपुर रेल मंडल के सोनुआ व लोटा पहाड़ स्टेशन के बीच मुंबई-हावड़ा मेल की पार्सल बोगी धंस (टूट) गई। हालांकि इस घटना में कोई जान-माल का नुकसान नहीं हुआ, लेकिन सच्चाई यही है कि ओवरलोडिंग करने की स्थिति में ट्रेन पलट भी सकती है और उसके पलटने पर कितना नुकसान हो सकता है, इसका अंदाजा सहज लगाया जा सकता है। रेलवे के उस सिस्टम पर अब बड़ा सवाल खड़ा हो गया, जिसपर ओवरलोडिंग रोकने की जिम्मेदारी है।

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टाटानगर स्टेशन में ऐसे होता पूरा खेल

ओवरलोडिंग का धंधा टाटानगर स्टेशन में खूब फल-फूल रहा है। यहां के लीजधारक पार्सल एजेंटे खुलेआम ओवरलोडिंग के नए-नए पैंतरे आजमाते हैं और टाटानगर स्टेशन के जिम्मेदार रेलवे अधिकारी मूकदर्शक बन इस गोरखधंधे का हिस्सा बन जाते हैं। आप सोच रहे होंगे कि रेलवे ओवरलोडिंग का इस खेल को कैसे खेला जा रहा है। आइए आज आपको बताते हैं इस खेल के ट्रिक। दरअसल मुंबई-हावड़ा मेल व पुणे हावला आजाद¨हद एक्सप्रेस जैसी ट्रेनों में क्षमता (चार टन) सेअधिक छह-सात टन माल ओवरलोड कर टाटानगर तक लाते हैं। टाटा में इसकी जांच करने की परवाह किसी को नहीं, इसलिए यह छह-सात टन माल में से उतना माल यहां इन ट्रेनों से उतार लिया जाता है जो ओवरलोड है। चूंकि ये दोनों ट्रेनें रात में टाटा पहुंचती हैं, इसलिए अंधेरे में यह काला धंधा खूब फल-फूल रहा। ओलरलोड माल को बाद में सुबह स्टील के पार्सल में लोड कर हावड़ा ले जाया जाता है। इससे फ्री में ओवरलोड माल मुंबई से टाटा तक पहुंचा लेते और हावड़ा तक का किराया देना पड़ता है। ओवरलोड के कारण घटी घटनाएं

- 1813288 साउथ बिहार एक्सप्रेस के एसएलआर बोगी (पार्सल बोगी) में ओवर लोड माल होने के कारण ट्रेन के परिचालन में चालक को परेशानी हो रही थी। इंजन और एसएलआर कोच का बफर सिस्टम का बैलेंस आउट था, जिसके कारण ट्रेन को आगे ले जाने से चालक ने इन्कार कर दिया था। फिर कैरेज एंड वैगनकर्मी ने सील तोड़कर पहले एसएलआर बोगी से पार्सल उतारा गया। फिर ट्रेन आगे रवाना हुई।

- 19 फरवरी की रात रात भी ट्रेन संख्या 18005 हावड़ा कोरापुट समलेश्वरी एक्सप्रेस में भी जरुरत से ज्यादा माल लोड था। ट्रेन के टाटानगर स्टेशन पहुंचने पर टाटानगर स्टेशन में दो टन 600 किलो माल उतारा गया फिर ट्रेन आगे बढ़ी।

बिना वजन किए ही स्टेशन से बाहर निकल जाता है माल

रेल सूत्रों को अनुसार मुंबई, अहमदाबाद से आने वाली ट्रेनों में माल ओवर लोड कर लाया जाता है और इसे टाटानगर स्टेशन में ही उतार लिया जाता है। माल को बिना वजन किए ही टाटानगर स्टेशन से बाहर लीज धारक कर देते हैं।

एक टन माल अधिक पाये जाने पर लगता है जुर्माना

रेलवे में यह प्रावधान है कि ट्रेन पार्सल बोगी में अगर एक टन ओवर लोड माल पाया गया तो 80 से एक लाख रुपये तक रेलवे जुर्माना कर सकती है और तीन बार से ज्यादा बार इस तरह की घटना करते हुए पकड़े जाने पर लीज धारक के लाइसेंस रद भी रेलवे कर सकती है।

इन ट्रेनों में होता है ओवर लोड

 रेल सूत्रों के अनुसार जम्मू तवी एक्सप्रेस, स्टील एक्सप्रेस, टाटा-यशवंतपुर एक्सप्रेस, गीतांजलि एक्सप्रेस, मुंबई मेल, अहमदाबाद एक्सप्रेस सहित अन्य ट्रेनों में ओवर लोड रहता है।

ये कहते डीसीएम

ट्रेन के एसएलआर कोच में चार टन से अधिक पार्सल लीजधारी नहीं लोड करवा सकते हैं। अगर ऐसे करते हुए वे पाए जाते हैं तो उन्हें जुर्माना किया जा सकता है और नहीं मानने पर उनका लाइसेंस भी रद किया जा सकता है।' - मनीष कुमार पाठक सीनियर डीसीएम चक्रधरपुर मंडल


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