Jharkhand, Jamshedpur Politics: सूर्य मंदिर के अखाड़े में फिर मनेगा रघुवर-सरयू का दीपोत्सव, दोनों दिग्गजों के समर्थकों ने कमर कसी
Raghubar Das and Saryu Roy एक बार फिर सूर्य मंदिर राजनीति का अखाड़ा बनने जा रहा है। मौका है दीपावली और छठ का जिसमें रघुवर व सरयू समर्थक अलग-अलग दीपोत्सव मनाएंगे। दोनों कमेटी की ओर से छठ व्रतियों की सेवा भी की जाएगी।
जमशेदपुर, जासं। सिदगोड़ा का सूर्य मंदिर भले ही भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने बनाया हो, लेकिन अब इसमें विधायक सरयू राय व उनके समर्थक भी इस पर दावा जता रहे हैं। सूर्य मंदिर में अब दो कमेटी चल रही है, जिसमें एक खेमे के संरक्षक खुद रघुवर दास हैं, जबकि दूसरे के सरयू समर्थक चंद्रगुप्त सिंह है। चंद्रगुप्त खुद को संस्थापक अध्यक्ष भी लिखते-बताते हैं।
बहरहाल, एक बार फिर सूर्य मंदिर राजनीति का अखाड़ा बनने जा रहा है। मौका है दीपावली और छठ का, जिसमें रघुवर व सरयू समर्थक अलग-अलग दीपोत्सव मनाएंगे। दोनों कमेटी की ओर से छठ व्रतियों की सेवा भी की जाएगी। यह निर्णय रविवार को दोनों कमेटी की बैठक के बाद लिया गया, जो मंदिर परिसर में ही हुई। सबसे पहले सरयू समर्थकों ने बैठक करके मंदिर परिसर के छठ सरोवर व आसपास की सफाई कराने का निर्णय लिया, तो छठ व्रतियों को दूध, दातुन समेत पूजन सामग्री व प्रसाद निश्शुल्क देने की बात कही गई। इसके बाद रघुवर दास की मौजूदगी में सूर्य मंदिर कमेटी की बैठक हुई, जिसमें 21,000 दीया जलाकर दीपोत्सव मनाने और 100 व्रतियों को निश्शुल्क फल व सूप सहित पूजन सामग्री देने की घोषणा की गई।
तनाव के बावजूद नहीं होती टकराहट
एक अनार-सौ बीमार की तर्ज पर रघुवर व सरयू समर्थक सूर्य मंदिर पर अपना दावा जताते रहे हैं। विधानसभा चुनाव 2019 का परिणाम आने के बाद जैसे ही जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा क्षेत्र से रघुवर दास को हराकर सरयू राय विधायक बने। सरयू समर्थकों की नजर सबसे पहले सूर्य मंदिर पर ही गई। यहां बना बिरसा मुंडा टाउनहॉल और गेस्ट हाउस आकर्षण की वजह बना है। चुनाव के बाद से ही दीपावली और छठ के आयोजन काे लेकर तनाव की स्थिति बनती है, लेकिन कभी दोनों खेमों के आमने-सामने टकराहट नहीं होती है। एक ही मंदिर परिसर में दोनों खेमे अपनी-अपनी घोषणा के मुताबिक पूजा-अर्चना व कार्यक्रम करते हैं, लेकिन कभी भिड़ंत नहीं हुई। हालांकि यह अच्छी बात है, वरना बहुत कुछ हो सकता है। दोनों खेमे जुबानी जंग से एक-दूसरे काे चित्त कर देते हैं, यही उनके समर्थकों को संतोष और शहरवासियों को सुकून देता है।