टाटा स्टील में आपसी सहमति से क्वार्टर फिक्स-अप बंद
टाटा स्टील में आपसी सहमति से होने वाला क्वार्टर फिक्स-अप बंद हो गया है। कंपनी में जल्द ही नई व्यवस्था प्रभावी होगी।
जमशेदपुर,निर्मल प्रसाद। टाटा स्टील में आपसी सहमति से होने वाला क्वार्टर फिक्स-अप बंद हो गया है। कंपनी में जल्द ही नई व्यवस्था प्रभावी होगी। टाटा वर्कर्स यूनियन की वर्तमान कार्यकारिणी में मेडिकल एक्सटेंशन की पुरानी परंपरा में बदलाव के बाद अब फिक्स-अप को लेकर कर्मचारियों को दूसरा बड़ा झटका लगने वाला है। टाटा स्टील में अब तक कर्मचारी आपसी सहमति से क्वार्टर फिक्स-अप करते थे। इसमें उन्हें एन प्लस थ्री पॉलिसी के तहत चार लोगों को अपना क्वार्टर फिक्स-अप करने का विकल्प मिलता था। जो कर्मचारी ज्यादा रुपये अदा करे उनसे फिक्स-अप कराने की छूट थी।
अब नई व्यवस्था के तहत कर्मचारियों को क्वार्टर खाली करने के दो माह पूर्व स्टेट विभाग में आवेदन देना होगा। फिर जमशेदपुर यूटिलिटी एंड सर्विसेज कंपनी लिमिटेड (जुस्को) व टाटा वर्कर्स यूनियन की एक संयुक्त कमेटी संबधित क्वार्टर में बनाए गए ढांचे के वैल्यूएशन करेगी। बनाया गया ढांचा कितने वर्ष पुराना है, उसके डेप्रिसेशन (ह्रास नियम) के तहत उसका मूल्य तय होगा और इसे कंपनी प्रबंधन द्वारा क्वार्टर छोड़ने वाले कर्मचारी को चुकाया जाएगा। ऐसे में क्वार्टर लेने वाले से क्वार्टर छोड़ने वाले कर्मचारी का सीधा संपर्क खत्म हो जाएगा। ऑनलाइन व्यवस्था के तहत वरीयता के आधार पर ही किसी कर्मचारी को क्वार्टर आवंटित होगा। वहीं, अब जो कर्मचारी ऐसा क्वार्टर लेगा उससे कंपनी किराया बढ़ाकर लेगी। यानी क्वार्टर छोड़ने वाले और लेने वाले दोनो कर्मचारियों को इससे नुकसान होने वाला है। इस पूरे मामले में टाटा वर्कर्स यूनियन का शीर्ष नेतृत्व मौन स्वीकृति दे दी है। इसे लेकर कई कमेटी मेंबरों में नराजगी जाहिर भी की है। कमेटी मेंबरों को चिंता है कि क्या पता अब ऐसे ही ग्रेड का भी स्वरूप न बदल जाए।
क्यों हुआ नियमों में बदलाव
टाटा स्टील के एलडी-3 के एक कमेटी मेंबर को टाटा वर्कर्स यूनियन नेतृत्व ने नियमों को धता बताते हुए एक क्वार्टर आवंटित कराया। जिन्हें वह क्वार्टर नहीं मिला। उन्होंने इसकी शिकायत एमडी ऑनलाइन के माध्यम से टीवी नरेंद्रन को कर दी। जिसके कारण पहले क्वार्टर एलॉटमेंट को लेकर ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू हुई और अब क्वार्टर फिक्स-अप को लेकर नियमों में बदलाव होने वाला है।
क्या होता है फिक्स-अप
कोई कर्मचारी प्रबंधन से अनुमति लेकर अपने क्वार्टर में कोई निर्माण करता है और उसे छोड़ने के वक्त जिस कर्मचारी को क्वार्टर मिलता है उससे निर्माण की लागत को लेता है तो उसे फिक्स अप कहते हैं। क्वार्टर लेते वक्त निर्माण की कीमत तय होती थी, जो लागत से लगभग 40 से 50 फीसद होता था। इस व्यवस्था को प्रबंधन भी मानता था। इससे क्वार्टर लेने व देने वाले दोनों को फायदा होता था। अब यह सब नहीं होगा। पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी। अब इसे प्रबंधन की संयुक्त कमेटी तय करेगी कि क्वार्टर छोड़ने वाले को कितनी राशि दी जाए।
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