पूजा से मिलिए, ये पढ़ाई के लिए पैसे जुटाने को बेचती है गोलगप्पे
पूजा कुमारी खोमचा लगाकर गोलगप्पे-पापड़ी बेचती है। इससे होनेवाली कमाई उसका घर चलाने और पढ़ाई करने के काम आती है।
जमशेदपुर [युगल किशोर] । पूर्वी सिंहभूम के जमशेदपुर के साकची कालीमाटी रोड पर गुरुद्वारा के सामने रोज शाम को लोग पूजा का इंतजार करते हैं। छोटे कद की पूजा कुमारी यहां खोमचा लगाकर गोलगप्पे-पापड़ी बेचती है। शाम को खोमचा लगते ही लोग यहां आते हैं और पूजा उन्हें खुशी-खुशी गोलगप्पे खिलाती है। इससे होनेवाली कमाई उसका घर चलाने और पढ़ाई करने के काम आती है। वह साकची आमबगान के समीप स्थित साकची हाईस्कूल में दसवीं की पढ़ाई कर रही है। पढ़-लिखकर कोई अच्छा जॉब कर अपनी और अपने परिवार का सहारा बन उन्हें बेहतर जिंदगी देने का सपना पाल रखा है।
मां तैयार करती गोलगप्पे, परिवार बनाता है ठोंगा
काशीडीह रोड नंबर चार में पूजा का परिवार किराए के घर में रहता है। पांच बहनों में वह सबसे छोटी है। पूजा से छोटा एक भाई है। मुश्किल हालात के बावजूद सभी स्कूल जाते हैं और पढ़-लिखकर कुछ अच्छा करने-बनने की सोच रखते हैं। खर्च चलाने के लिए घर में पूरा परिवार मिलकर कागज के ठोंगे बनाता है। उससे भी कुछ आय हो जाती है। मां दिन में गोलगप्पे और गोलगप्पे में डालने के लिए मसाला आदि तैयार करती है। पूजा स्कूल से लौटने के बाद शाम को चाढ़े चार से पांच बजे तक खोमचा लेकर पहुंच जाती है गुरुद्वारा के सामने। आसपास ही उसके पड़ोसी भी फल आदि का ठेला लगाते हैं। पिता देवलाल साह भी उसके साथ होते हैं। फिलहाल वे कुछ महीनों से बिहार के छपरा स्थित अपने गांव गए हैं।
स्कूल मददगार, जरूरत पर शिक्षिकाएं करती हैं मदद
अपनी पढ़ाई को लेकर समस्या के बारे में पूछने पर पूजा कुमारी ने बताया कि सभी छह भाई-बहनें पढ़ाई कर रही हैं। मां ने स्कूल जाकर बातचीत की तो वहां से फीस माफ की गई। वहीं जरूरत पडऩे पर शिक्षिकाएं भी मदद करती हैं। सबसे बड़ी बहन सुमन ग्रेजुएट कॉलेज में बीए की पढ़ाई कर रही है। उससे छोटी पूनम कुमारी भी इंटरमीडिएट कर रही है जबकि छोटा भाई काशीडीह हाईस्कूल में पढ़ रहा है। सभी कुछ न कुछ बनना चाहते हैं। हंसते हुए पूजा कहती है, इंटर में पढ़ रही मेरे से बड़ी बहन पूनम तो कहती रहती है कि उसे पढ़-लिखकर कलेक्टर बनना है।