मरीजों की जान से खेल रहे प्राइवेट एंबुलेंस संचालक Jamshedpur News
मरीजों की जान बचाने वाली निजी एंबुलेंस को संचालित करने में बड़ी लापरवाही बरती जा रही है। लेकिन विभाग में ओहदे पदों पर बैठे जिम्मेदार लोगों को शायद ही इसकी फिक्र है।
जमशेदपुर, जासं। मरीजों की जान बचाने वाली निजी एंबुलेंस को संचालित करने में बड़ी लापरवाही बरती जा रही है। लेकिन, विभाग में ओहदे पदों पर बैठे जिम्मेदार लोगों को शायद ही इसकी फिक्र है। तभी तो बिना रोक-टोक के मनमाने ढंग से मरीजों को चूना लगाने के साथ-साथ उनके जीवन से खेला जा रहा है।
दैनिक जागरण ने शहर के कुछ निजी एंबुलेंस का जायजा लिया। इस दौरान पाया गया कि लगभग 70 फीसद एंबुलेंस चालक ही गंभीर मरीजों को ऑक्सीजन लगाने का काम करते हैं, जबकि उन्हें न तो प्रशिक्षण मिला होता है और न ही ऑक्सीजन की मात्रा कितनी देनी है, इसकी जानकारी होती है। फिर भी वह मरीजों के मुंह में ऑक्सीजन लगा रहे हैं। यहां तक कि ऑक्सीजन मास्क भी नहीं बदला जा रहा है।
एक ऑक्सीजन मास्क की कीमत 250 तक
एक चालक ने बताया कि एक ऑक्सीजन मास्क की कीमत बाजार में 60-250 रुपये तक है। प्रति मरीज को अलग-अलग मास्क देना अनिवार्य होता है लेकिन पैसा बचाने के चक्कर में अधिकांश चालक मास्क भी नहीं बदलते। इसी तरह, एंबुलेंस में एक चालक के अलावे एक इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन व एक नर्स 24 घंटे तैनात रहने चाहिए। लेकिन यहां 70 फीसद एंबुलेंस के चालक टेक्नीशियन व नर्स का पूरा काम करते हैं। ऑक्सीजन लगाने से लेकर काडिए डियुकिबेलेटर मशीन चलाने का काम करते हैं। इसी दौरान कभी कभार एंबुलेंस में ही मरीज की मौत हो जाती है। लेकिन, उस दौरान तकनीकी कारणों पर कोई प्रकाश नहीं डालता। सिर्फ डॉक्टर को ही दोषी ठहराया जाता है। जबकि गलती एंबुलेंस चालकों द्वारा भी किया जाता रहा है।
ये कहते विशेषज्ञ
नियम का पालन सभी को करना है। इसमें लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जा सकती। अगर कोई लिखित शिकायत करता है तो वैसे लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
- डॉ. आरएन झा, सिविल सर्जन, पूर्वी सिंहभूम।