CRISTMAS : प्रभु यीशु के जन्म पर चर्चों में हुई प्रार्थना, एक दूसरे को दी बधाई Jamshedpur News
क्रिसमस पर बुधवार जमशेदपुर सहित आसपास के सभी गिरजाघरों में विशेष प्रार्थना सभा हुई। प्रभु यीशु के जन्म पर लोग खुशियों से झूम उठे।
By Vikas SrivastavaEdited By: Published: Wed, 25 Dec 2019 10:08 AM (IST)Updated: Wed, 25 Dec 2019 01:23 PM (IST)
जमशेदपुर (जेएनएन)। जमशेदपुर सहित जिले के अलग-अलग क्षेत्रों में में क्रिसमस का उल्लास परवान पर है। मंगलवार की रात प्रभु यीशु के जन्म का उत्सव धूमधाम के साथ मनाया गया। आधी रात को माता मरियम ने चरनी में प्रेम, शांति और त्याग के प्रतिमूर्ति प्रभु यीशु को जन्म दिया।
गिरजाघरों में केक काटकर प्रभु यीशु के जन्म की खुशियां मनाई गई। सेंट जोसफ महागिरिजा में फादर जिल्सन, फादर जयराज और फादर रॉबर्ट ने विशेष आराधना किया। मौके पर चर्च में उपस्थित मसीहियों को प्रभु के आने की सुसमाचार दिया। रात 12 बजे प्रभु के जन्म का समाचार मिलते ही चर्च परिसर हाले लुइया, हाले लुइया और मेरी क्रिसमस से गूंजने लगा। रात 10.30 बजे से कैरोल संगीत का कार्यक्रम शुरू हुआ।
वहीं रात 11 बजे से विशेष प्रार्थना किया गया। इसके पूर्व बालक रूप में प्रभु की मूर्ति का आशीष लिया गया। यहां प्रभु के जन्म के बाद रात एक बजे केक काटकर प्रभु के जन्म का उल्लास मनाया गया। यहां बुधवार को क्रिसमस के दिन सुबह विशप स्वामी तेलेस्फोर बिलूंग आराधना के बाद आशीष देंगे। मिस्सा के बाद यहां सांता ने उपहार और चॉकलेट भी बांटे।
गिरजाघरों में विशेष प्रार्थना, यीशु के जन्म पर लोग खुशियों से झूम उठे
घाटशिला अनुमंडल अंतर्गत मउभण्डार के संत एंथोनी चर्च और एनलोकिन प्रोटेस्टेंट चर्च में प्रार्थना सभा में बड़ी संख्या में ईसाई समाज के लोग शामिल हुए। मऊभंडार स्थित संत एंथोनी चर्च में पादरी फादर अनिम व फादर जॉन बास्कु तथा मउभण्डार एनलोकिन प्रोटेस्टेंट चर्च में पादरी विकास कुजूर ने प्रार्थना सभा के बाद प्रभु के संदेश को सुनाया।
उन्होंने बताया कि प्रभु का जन्म संसार के कल्याण के लिए हुआ। प्रभु के बताए मार्ग पर हम सभी लोगों को चलने की जरूरत है। हमे आपसी प्यार, भाईचारा, सहानुभूति, प्रेम की भावना रखते हुए इस पावन पर्व को मनाना चाहिए।
प्रार्थना सभा के बाद लोगो ने एक दूसरे को बधाई देने का सिलसिला चल पड़ा। मउभण्डार एनलोकिन प्रोटेस्टेंट चर्च में क्रिसमस के गीतों की धूम मची। विभिन्न गीतों के बोल पर युवक, युवती और महिलाएं नाचते गाते नजर आए। मौके पर चर्च कमिटी के अध्यक्ष आर ए लाल, सचिव आर एफ बाजराय, अनिल कुमार हेरेंज, कोषाध्यक्ष बी कश्यप, रमेश नायर समेत अन्य मौजूद रहे।
बदल रहा क्रिसमस मनाने का तरीका
बदलते परिवेश के साथ क्रिसमस मनाने का तौर तरीका में भी बदलाव आने लगा है। मसीही समाज के सभी वर्ग के लोगों में इस पर्व को लेकर खासा उत्साह देखा जा रहा है। क्रिसमस के पूर्व लोग एक-दूसरे के घर जाकर कैरल के माध्यम से यीशु मसीह के जन्म का संदेश दे रहे थे। मंगलवार को संत जोसफ कैथड्रल गोलमुरी के साथ मर्सी चैपल, बारीडीह, ज्ञानदीप बिरसानेगर, संत लुपिता चर्च टेल्को, संत मेरीज चर्च बिष्टुपुर आदि में रात को प्रभु यीशु मसीह का जन्मोत्सव मनाया गया। इसके अलावा बिरसानगर स्थित सेंट एंड्रज चर्च समेत विभिन्न चर्चो में कार्यक्रम किए गए।
गिरजाघरों में आकर्षक सज्जा किया गया चरनी का निर्माण
क्रिसमस के मौके पर शहर के चर्च के अलावा ईसाई समाज के लोगों के घर रंग-बिरंगी लाइटों से जगमगा रहे हैं। सेंट जोसफ चर्च परिसर में आकर्षक रूप से सजे चरनीभी बनाया गया है। प्रभु यीशु मसीह का जन्म गांव के गोशाला में आधी रात के वक्त हुआ था। उनके जन्म को लेकर चरनी को प्राकृतिक लूक देते हुए प्रभु यीशु के जन्म की झांकियां सजाई गई हैं।
आज सांता बांटेगा गिफ्ट
मान्यता है कि डेढ़ हजार साल पहले जन्मे संत निकोलस ही असली सांता और सांता का जनक है। उनका घर उत्तरी ध्रुव पर है और वे उड़ने वाले रेनडियर्स की गाड़ी पर चलते हैं। हालांकि संत निकोलस और जीसस के जन्म का सीधा संबंध नहीं रहा है फिर भी आज के समय में सांता क्लॉज क्रिसमस का अहम हिस्सा हैं। उनके बिना क्रिसमस अधूरा सा लगता है। क्रिसमस के दिन बुधवार को शहर के विभिन्न चर्च में सुबह प्रार्थना सभा होगी।
कौन थे संत निकोलस
संत निकोलस का जन्म तीसरी सदी में जीसस की मौत के 280 साल बाद मायरा में हुआ। वे एक रईस परिवार से थे। वे जब छोटे थे तभी उनके माता-पिता का देहांत हो गया। बचपन से ही उनकी प्रभु यीशु में बहुत आस्था थी। वे बड़े होकर ईसाई धर्म के पादरी, पुजारी और बाद में बिशप बने। उन्हें जरूरतमंदों और बच्चों को गिफ्ट्स देना बहुत अच्छा लगता था। वे अक्सर जरूरतमंदों और बच्चों को गिफ्ट्स देते थे।
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