Pravasi LIVE : ट्रेलर पर बैठते की चमक उठी मजदूरों की आंखें Picture
Pravasi LIVE News. तीखी धूप उन्हें परेशान कर रही है। सबके कंधे या पीठ पर झोले-बैग हैं जो बोझ की तरह लग रहे हैं। एक-एक कदम बढ़ाना मुश्किल हो रहा है।
जमशेदपुर, जेएनएन। चिलचिलाती धूप खिली है। दिन के दो बजे हैं। मौसम का पारा 38.4 डिग्री सेल्सियस पर उछाल मार रहा है। धूप की वजह से सड़क पर पूरी आंखें खोलकर देखना मुश्किल हो रहा है। इसी बीच डिमना चौक से करीब डेढ़ दर्जन मजदूर रांची की ओर पैदल बढ़ रहे हैं। तीखी धूप उन्हें परेशान कर रही है। सबके कंधे या पीठ पर झोले-बैग हैं, जो बोझ की तरह लग रह हैं। एक-एक कदम बढ़ाना मुश्किल हो रहा है।
अचानक आस-पास के कुछ लड़के उन्हें रोकते हैं। पूछते हैं, कहां जाना है। जवाब मिलता है-हजारीबाग। आ कहां से रहे हैं-आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम से। लड़के मजदूरों से कहते हैं-ठहरिए। इस पर कुछ मजदूर विस्मय होकर उनकी ओर ताकते हैं। तब तक एक लड़का कहता है, आप लोगों के लिए हमसब गाड़ी की व्यवस्था करते हैं। कुछ ही मिनट में रांची की ओर जाने वाले एक ट्रेलर को लड़के जबरन रोकते हैं। इसी दौरान पुलिस की गाड़ी भी पहुंचती है। उस पर से कुछ जवान उतरते हैं-और लड़कों से पूछते हैं-क्या बात है। इस पर जवाब मिलता है-हमलोग मजदूरों को इस ट्रेलर पर चढ़ाना चाहते हैं। मकसद जानने के बाद पुलिस जवान कहते हैं, सभी लोग गाड़ी पर बैठ जाएं। इतना सुनते ही मजदूर दौड़कर ट्रेलर पर सवार होने लगते हैं। हां, इस दौरान उन्हें यह नहीं सूझ रहा है कि लड़कों और पुलिस जवानों को किस तरह से धन्यवाद दें। सबकी आंखें खुशी से चमक जाती हैं। लड़कों और पुलिस वालों का इशारा पाते ही चालक ट्रेलर आगे बढ़ा देता है।
चार दिन पहले शुरू किया सफर
देवघर के रहने वाले सृजन कोल बताते हैं कि वे विशाखापट्टनम में कंस्ट्रक्शन का काम करते थे। काम बंद होने पर ठेकेदार ने पैसे नहीं दिए। जो कुछ जमा-पूंजी थी, डेढ़ माह तक उसी से खा-पीकर गुजारा किया। जब पैसे खत्म होने लगे तो पैदल ही घर की ओर रुख किया।
पांच ट्रक पर किए सफर
सृजन ने बताया कि वे 15 मई को विशाखापट्टनम से चले है। पूरे रास्ते पांच ट्रक पर चढ़कर आए। कोई सौ रुपये लिया, कोई 200। आज जाकर जमशेदपुर बार्डर पहुंचे हैं। वहीं, बोकारो के हीरा लाल मंडल ने बताया कि उन्हें पता है कि श्रमिक स्पेशल ट्रेन चल रही है, लेकिन बुकिंग केवल ऑनलाइन होगी और हमारे पास न ही स्मार्टफोन है और न ही पैसे इसलिए पैदल ही घर लौट रहे हैं।