Move to Jagran APP

कहीं गड्ढे में डंप तो कहीं जलाकर नष्ट किए जा रहे पीपीई किट

पूर्वी सिंहभूम जिले व आसपास में पीपीई (पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेट) किट का निस्तारण करने की समुचित व्यवस्था नहीं है। यह जानकारी पड़ताल में सामने आई है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 03 Jun 2020 11:38 PM (IST)Updated: Thu, 04 Jun 2020 06:16 AM (IST)
कहीं गड्ढे में डंप तो कहीं जलाकर नष्ट किए जा रहे पीपीई किट
कहीं गड्ढे में डंप तो कहीं जलाकर नष्ट किए जा रहे पीपीई किट

जागरण न्यूज नेटवर्क, जमशेदपुर : पूर्वी सिंहभूम जिले व आसपास में पीपीई (पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेट) किट का निस्तारण करने की समुचित व्यवस्था नहीं है। यह जानकारी पड़ताल में सामने आई है। ग्रामीण क्षेत्रों में इस्तेमाल की गई पीपीई किट को वहा के चिकित्सा पदाधिकारी गड्ढा खुदवाकर उसमें डंप करवा रहे हैं। इससे मुसीबत बढ़ सकती है। जबकि झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के क्षेत्रीय पदाधिकारी सुरेश पासवान का कहना है कि कोविड-19 से संबंधित सभी कचरे को दोहरा पॉली बैग में पैक कर उसे इंसीनरेटर प्लांट में निस्तारण करना है। अगर, इसे गढ्डे में डंप किया जा रहा है तो यह गंभीर विषय है।

loksabha election banner

दूसरी ओर जमशेदपुर के महात्मा गाधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल, वायरोलॉजी लैब व टाटा मुख्य अस्पताल (टीएमएच) में किट का निस्तारण इंसीनरेटर मशीन के माध्यम से किया जा रहा है, जो सही तरीका है। मशीन में पीपीई किट को 850 से 1050 डिग्री तापमान पर डिस्पोज किया जाता है। इससे संक्रमण फैलने की संभावना नहीं रहती है।

--

अब तक किट का उपयोग

दो माह में जिले में करीब 7500 पीपीई किट का उपयोग किया गया है। इसमें सरकारी व निजी संस्थानों के उपयोग किए गए किट भी शामिल हैं। जिले में रोजाना 150 से 200 किलोग्राम तक कोविड-19 का बायो वेस्ट निकल रहा है।

--

कोविड-19 के लिए क्या है गाइडलाइंस

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कोविड-19 संक्रमित कचरा निस्तारण के लिए नई गाइडलाइंस जारी की है। लाल रंग के कूड़ेदान में कोरोना संक्रमित और पीले रंग के कूड़ेदान में क्वारंटाइन किए गए मरीजों का कचरा डाला जाएगा। इनमें दोहरा पॉली बैग लगाना है। बैग को विसंक्रमित किया जाना है। हर अस्पताल और क्वारंटाइन सेटर में इस कचरे का भंडारण भी अलग से होगा। इसका बाकायदा रिकार्ड रखा जाएगा। इसे एकत्र करने वाले कर्मचारी भी अलग होंगे और इसे ले जाने वाला वाहन भी। बैग पर हाइपोक्लोराइड का छिड़काव कर विशेष वाहनों से इंसीनरेटर मशीन या प्लांट भेजना है। जिससे उसका सही ढंग से निस्तारण हो सके।

--

कहां कैसा है हाल

एमजीएम अस्पताल

महात्मागांधी मेमोरियल मेडिकल (एमजीएम) कॉलेज का अस्पताल बायो वेस्ट कचरा से पटा हुआ है। इंसीनीरेटर मशीन के आगे कचरा रखा गया है। प्रबंधन का कहना है कि पीपीई किट को प्राथमिकता देकर निस्तारण किया जा रहा है। जमा वेस्ट पुराना है। उसका निस्तारण धीरे-धीरे हो रहा है।

--

जमशेदपुर प्रखंड

यहां 500 पीपीई किट है। कोरोना संदिग्ध मरीजों के नमूने लेने के लिए 20 टीमें बनाई गई हैं। हर टीम में तीन-तीन कर्मचारियों को रखा गया है। अबतक 200 से अधिक नमूना लिया जा चुका है। उपयोग किट को जमीन के अंदर गाड़ दिया जा रहा है।

--

घाटशिला अनुमंडल अस्पताल

यहां करीब 30 फीट गढ्डे खोदकर उसमें पीपीई किट को डंप किया जा रहा है। अब तक करीब 302 किट का उपयोग हुआ है। उपयोग किए गए किट को ब्लीचिंग पाउडर एवं हाइपोक्लोराइड में डुबो दिया जाता है। इसके आठ घंटे बाद गड्डे में डाल दिया जाता है।

--

चाकुलिया प्रखंड

यहां 129 किट का उपयोग हुआ है। रोजाना 40 से 45 नमूने लिए जाते हैं। उपयोग किए गए किट को सीएचसी परिसर में रखे गए ब्लीचिंग पाउडर व हाइपोक्लोराइड में डुबो दिया जाता है। इसके बाद उसे एक गढ्डे में डंप किया जाता है।

--

मुसाबनी प्रखंड

यहां पर अब तक 107 किट का उपयोग हुआ है। रोजाना करीब 30 नमूने लिए जाते हैं। किट को ब्लीचिंग पाउडर एवं हाइपोक्लोराइड में डुबो दिया जाता है। इसके बाद उसे वेस्ट स्टोरेज रूम में रखा जाता है। आदित्यपुर से गाड़ी कचरा को लेने के लिए आती है।

----

पोटका प्रखंड

यहां 95 पीपीई किट का उपयोग हो चुका है। किट के निस्तारण के लिए स्वास्थ्य केंद्र से थोड़ी दूरी पर एक छोटा शॉकपीट बनाया गया हैं, जिसके ऊपर ढक्कन भी रखा गया है। निस्तारण के बाद शॉकपीट को ढक्कन से ढंक दिया जाता है।

--

डुमरिया प्रखंड

65 पीपीई किट का उपयोग हुआ है। रोजाना पांच से छह नमूने लिए जाते है। इसमें तीन लैब टेक्नीशियन को लगाया गया है। यहां भी इंसीनीरेटर की सुविधा नहीं होने की वजह से कचरा को गढ्डे में डंप किया जा रहा है।

--

बहरागोड़ा प्रखंड

यहां 143 पीपीई किट काम में लाए जा चुके हैं। वहीं, सिर्फ सात बचा हुआ है। किट को ब्लीचिंग पाउडर एवं हाइपोक्लोराइड में डुबो दिया जाता है। इसके बाद उसे करीब 40 फीट गढ्डे में डंप किया जा रहा है।

--

पटमदा प्रखंड

यहां कुल 110 पीपीई किट उपलब्ध हैं। नमूना लेने के लिए दो लोगों को प्रतिनियुक्त किया गया है। उपयोग किए गए किट को पटमदा सीएचसी के कचरा घर में रखा जाता है। अधिक होने पर उसे उसे जला दिया जाता है।

--

नीमडीह प्रखंड

चांडिल अनुमंडल क्षेत्र के हुंडु पाथरडीह स्वास्थ्य केंद्र को कोरोना कोविड केयर सेटर बनाया गया है। यहां 30 कोरोना संदिग्ध मरीज है। रोजाना तीन पीपीई किट का उपयोग होता है, जिसे एक गढ्डे में रखकर उसे जला दिया जाता है।

--

ईचागढ़ व कुकडु प्रखंड

यहां कुल 105 किट उपलब्ध कराया गया है। अबतक 181 संदिग्ध मरीजों का नमूना लिया गया है। उपयोग किए गए किट को सैनिटाइज करने के बाद जला दिया जाता है।

--

कोविड-19 से संबंधित सभी नियमों का पालन किया जा रहा है। इंसीनरेटर मशीन के माध्यम से किट का निस्तारण करना है। अगर किसी तरह की शिकायत मिल रही है तो उसकी जांच की जाएगी।

- डॉ. महेश्वर प्रसाद, सिविल सर्जन, पूर्वी सिंहभूम।

-

कोविड-19 को लेकर निर्देश जारी किया गया है। कोविड से संबंधित सभी कचरे को दोहरा पॉली बैग में पैक कर उसे इंसीनरेटर प्लांट में निस्तारण करना है। अगर, गढ्डे में डंप किया जा रहा है तो यह गंभीर विषय है।

- सुरेश पासवान, क्षेत्रीय पदाधिकारी, झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.