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दम फूलता है, दर्द होता है और मर जाते हैं लोग

किस तरह झारखंड के चौका इलाके में कारखानों का प्रदूषण गांव के जल, जंगल और जमीन के साथ इंसानों की जिंदगी बर्बाद कर रहा है, इसकी जमीनी सच्चाई से रूबरू कराती रपट।

By JagranEdited By: Published: Fri, 20 Jul 2018 08:00 AM (IST)Updated: Fri, 20 Jul 2018 08:00 AM (IST)
दम फूलता है, दर्द होता है और मर जाते हैं लोग
दम फूलता है, दर्द होता है और मर जाते हैं लोग

विश्वजीत भट्ट, जमशेदपुर : कारखानों से हर रोज निकलता बेहिसाब काला धुआं और गंदा पानी। इसी के बीच जिंदगी की घड़ियां गिनने की बेबसी। यह खौफनाक प्रदूषण किस तरह लोगों को अपनी गिरफ्त में ले रहा, यह आप चौका क्षेत्र में खुली आंखों से देख सकते हैं। अधिकतर लोग दमे से हांफते और दर्द से कराहते मिलेंगे। बुजुर्ग कहते हैं, यह बेहिसाब दर्द वर्षो से हम झेलते आ रहे हैं। और, जान भी नहीं पाते, मौत आ जाती है। इन कारखानों के प्रदूषण से अबतक करीब 15 से 20 लोग मौत की खामोश नींद सो चुके हैं। कई अपाहिज हो चुके हैं। कई लोगों ने अपनी आंखों की रोशनी खो दी है।

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वर्ष 2006-07 के दरम्यान सरायकेला खरसावां जिले के चौका क्षेत्र में थोड़े ही वक्त में करीब एक दर्जन कारखाने स्थापित हो गए। लोगों को प्रलोभन दिया गया कि नौकरी मिलेगी। इलाका विकास की नई ऊंचाइयां छुएगा। ग्रामीण प्रलोभन में आ गए। जमीन तो चली गई। अब जान पर भी आफत है। कारखानों से निकलने वाला जहरीला धुआं गांव वालों की जिंदगी पर भारी पड़ रहा है।

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तेजी से जमीन हो रही बंजर

डस्ट उड़ाते ये कारखाने भारी मात्रा में कार्बन डायआक्साइड, कार्बन मोनोआक्साइड, सल्फर डायआक्साइड, कैडमियम, निकेल, लेड, क्रोमियम, आर्सेनिक उगल रहे हैं। इससे इलाके की जमीन तेजी से बंजर हो रही है। इस क्षेत्र के करीब 120 गांवों के हजारों लोग सांस संबंधी बीमारी से ग्रसित हैं। धुएं की एक मोटी परत जमीन पर जमी मिलेगी। खेती पर भी इसका असर दिखने लगा है। इस इलाके में महुआ, बेर और पलाश के पेड़ पर होनेवाली लाह की खेती पूरी तरह से बंद हो गई है। साग-सब्जी मिलना मुहाल हो गया है। एक तरफ रोग की मार, दूसरी ओर खेती-किसानी बंद होने से बेरोजगारी बढ़ रही है। तालाब की मछलियां तक मर जाती हैं।

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चार साल में रुगड़ी ये गांव चुके हैं जान

हाड़ीराम मंडल, धरनी टुडू, नील महली, सिदाम महली और पातई महली की टीबी से मौत हो चुकी है। मिथिलेश प्रसाद सीने में संक्रमण से जान गंवा चुके हैं। रमाकांत महतो और मोहन महली की मौत सांस संबंधी बीमारी के कारण हो चुकी है।

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ये लोग चल रहे वर्षो से बीमार

सुधीर महली चार साल से टीबी से ग्रस्त हैं, दुर्गा चरण महतो, सात साल से सांस की बीमारी से ग्रस्त हैं। कैलाश महतो चार साल से लकवाग्रस्त हैं। तीन साल का हरि प्रसाद, त्वचा में संक्रमण का शिकार हैं।

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इनकी गई आंखों की रोशनी

रुगड़ी गांव के श्याम महतो और आघनू राम महतो प्रदूषण के कारण अपनी आंखों की रोशनी गंवा चुके हैं। अगर इलाके का सर्वे हो तो कई और मरीज सामने आ सकते हैं।

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कोट ::::::::

चौका क्षेत्र में प्रदूषण फैलाने वालेतमाम कारखानों के खिलाफ चौका थाने में विभाग ने प्राथमिकी दर्ज कराई है। सरायकेला व्यवहार न्यायालय में मुकदमा भी किया गया है। इसके बावजूद कारखाने बाज नहीं आ रहे हैं। अब और कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

- सुरेश पासवान, क्षेत्रीय पदाधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण पर्षद, आदित्यपुर


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