डॉक्टर-मंत्री प्रकरण से बढी राजनीतिक तपिश, ओपी आनंद के घर पहुंचे जमशेदपुर के विधायक सरयू राय; कहा-सरकार की साख पर लग रहा बट्टा
डॉक्टर-मंत्री प्रकरण से राजनीतिक तपिश में इजाफा हो गया है। पहले तो डाॅक्टर ओपी आनंद को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। सुबह डाॅक्टर जेल गए उधर उसके आदित्यपुर आवास पर छापेमारी करने ड्रग विभाग की टीम पहुंच गइ। इसके बाद विधायक भी डाक्टर के घर पहुंचे।
जमशेदपुर, जासं। डॉक्टर-मंत्री प्रकरण से राजनीतिक तपिश में इजाफा हो गया है। पहले तो डाॅक्टर ओपी आनंद को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। सुबह डाॅक्टर जेल गए, उधर उसके आदित्यपुर आवास पर छापेमारी करने ड्रग विभाग की टीम पहुंच गइ। इसे बाद पूर्व मंत्री एवं जमशेदपुर के विधायक भी डाक्टर के घर पहुंचे।
डाॅ आेपी आनंद के आदित्यपुर स्थित 111 सेव लाइफ अस्पताल में सिविल सर्जन की अगुवायी में स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के आदेश पर जांच के लिए पहुंची टीम को सहयोग नहीं करने के साथ ही मंत्री को धमकी देनेवाले वीडियो के वायरल होने के बाद विवाद बढा। डाॅक्टर के खिलाफ थाने में केस दर्ज हुआ एवं ताबडतोड जांच शुरू हो गइ। इस दौरान राजनीतिक बयानबाजी का दौर भी चला, लेकिन कोइ बडा चेहरा सामने नहीं आया। एक सप्ताह बाद शनिवार को जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय सामने आए थे एवं मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर विवाद का हल निकालने को कहा। इसके बाद रात में ही डाॅक्टर को गिरफ्तार कर लिया गया। रविवार सुबह डाक्टर जेल भेजे गए। इधर, उनके आदित्यपुर स्थित आवास पर ड्रग विभाग की टीम धमक गइ। टीम ने दवा बरामद की। इस मामले में मुकदमे की तैयारी चल रही है। यह खबर मिलते ही सरूय राय हकीकत जानने डाॅक्टर के घर पहुंचे। अब देखना दिलचस्प होगा कि आगे क्या होता है।
सरकार की साख हो रही खराबःसरयू
डाॅक्टर आेपी आनंद के घर पहुंचे सरयू राय ने कहा कि अब ज्यादती की इंतहा हो रही है। इससे सरकार की खास पर भी बट्टा लग रहा है। जो कार्रवाइ हो रही है उससे छिपा नहीं है कि सरकारी मशीनरी का गलत इस्तेमाल हो रहा है। पहले डाॅक्टर को जेल एवं अब छापा, यह तो यही बात हुइ कि जिसके पास सत्ता है आैर मशीनरी है, वह कुछ भी कर सकता है।
पत्र में लिखी थी ये बात
विधायक सरयू राय ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लिखे पत्र में कहा था कि अस्पताल से जुड़ी खबरें विगत कई दिनों से जमशेदपुर से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्रों में प्रमुखता से प्रकाशित हो रही हैं। आज की खबर से लग रहा है कि प्रशासनिक हस्तक्षेप के कारण यह अस्पताल बंद होने की कगार पर है। पिछले साल भी जमशेदपुर का मेडिका अस्पताल अकारण बंद हो गया था। सरकार, प्रशासन, टाटा स्टील नहीं बता पाया कि इस अस्पताल के बंद होने की नौबत क्यों आई। विडंबना है कि एक ओर कोरोना में अस्पतालों के बेड की संख्या एवं गुणवत्ता बढ़ाने की हर कोशिश हो रही है और दूसरी ओर अस्पतालों के बंद होने की स्थिति भी पैदा हो रही है।
सरकार की छवि पर पड रहा प्रतिकूल प्रभाव
मूल बात यह है कि स्वास्थ्य मंत्री के मौखिक आदेश पर जांच करने आई टीम के साथ अस्पताल संचालक ने दुर्व्यवहार किया। मंत्री के प्रति अभद्र शब्दोंं का इस्तेमाल किया, जो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। तुरंत बाद अपनी गलती महसूस कर अस्पताल संचालक ने अशिष्टता के लिए माफी मांग ली। होना तो चाहिए था कि इसके बाद बात वहीं खत्म हो जाती। अस्पताल संचालक को स्वास्थ्य मंत्री की माफी मिल जाती। अस्पताल की क्लिनिकल जांच हो जाती, जांचोपरांत अस्पताल चलने लगता। यदि मंत्री को अस्पताल संचालक का कृत्य माफी योग्य नहीं लगता तो अपशब्द व्यक्त करने के लिए कानून की प्रासंगिक धाराओं में अस्पताल संचालक पर मुकदमा दर्ज होता, उनपर विधिसम्मत कारवाई होती। परंतु ऐसा होने की जगह अस्पताल के बंद होने की नौबत आ गई है। क्लिनिकल जांच की जगह प्रशासनिक जांच चलने लगी है जो आपराधिक दंड विधान की कार्रवाई की ओर बढ़ती प्रतीत हो रही है। इसका प्रतिकूल प्रभाव सरकार की छवि पर पड़ रहा है।