थानेदारी बचाने को रेस हुए थानेदार, मना रहे कहीं फायरिंग न हो, जानिए क्या है वजह
शहर की थानेदारी बचाने को थानेदार रेस हो गए हैं। मना रहे कहीं इलाके में फायरिंग की घटना ना हो। इसके लिए अपने मुखबिर तंत्र को मजबूत कर रहे है। वांटेड और दागी अपराधियों को ढूंढ़ा जा रहा है।
अन्वेश अंबष्ठ, जमशेदपुर : शहर की थानेदारी बचाने को थानेदार रेस हो गए हैं। मना रहे कहीं इलाके में फायरिंग की घटना ना हो। इसके लिए अपने मुखबिर तंत्र को मजबूत कर रहे है। वांटेड और दागी अपराधियों को ढूंढ़ा जा रहा है। कारण साकची, गोलमुरी और सीतारामडेरा थाना प्रभारी से डीआइजी राजीव रंजन सिंह का विभागीय स्प्ष्टीकरण मांगा जाना है।
साकची और गोलमुरी में फायरिंग की घटना हुई थी। हालांकि इसमें कोई हताहत नहीं हुआ था। दोनों थाना की पुलिस ने फायरिंग करने वालों को घटना के एक दिन भीतर गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था, लेकिन फायरिंग की घटना क्यों हुई इसको लेकर एसएसपी तमिण वणन ने दोनों प्रभारियों समेत सीतारामडेरा थाना प्रभारी को विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा डीआइजी से की है।
वहीं मामले को लेेकर थानेदारों में गुप्तगू जारी हैं। मंथन किए जा रहे है। थानेदारों में चर्चा हो रही हैं कि विभागीय कार्रवाई अलग बात हैं। ये चलता रहता है। महत्वपूर्ण पहलू ये हैं कि थाना क्षेत्र में कई ऐसे लोग होते है। जिनकी ऊंची पहुंच होती है। थानेदार से पटरी नहीं बैठती। किसी वजह से उनकी पैरवी नहीं सुन पाएं।
ऐसी स्थिति में थानेदार के खिलाफ जाल बुनने की तैयारी शुरू हो जाती है। माहौल बनाने में लग जाते है। थानेदार को हटाने को किसी अपराधी से सेटिंग-गेटिंग कर इलाके के चौक-चौराहे या गली-मुहल्लों में फायरिंग या दूसरे वारदात को अंजाम दिलाने की फिराक में भी रहते है।
शहर में ऐसा होता रहा है। जिले के एसएसपी रहे नवीन कुमार सिंह (वर्तमान में आइजी) ने अखिलेश सिंह गिरोह के खिलाफ अभियान चला रखा था। परेशान गिरोह ने सुनियोजित रणनीति के तहत शहर में कई ऐसे जगहों, राजनीतिक दलों के नेताओ के आवास और कार्यालय और कारोबारियों के प्रतिष्ठान पर गोलियां चलवाई। मकसद था। एसएसपी के साथ-साथ जिनके इलाके में वारदात हुई वहां के थानेदार के खिलाफ लोग आवाज उठाएं। आंदोलन हो। विधि व्यवस्था पर सवाल खड़ा हो और एसएसपी का तबादला हो जाएं।
यह खुलासा तब हुआ जब अपराधी पकड़े गए। इसी तरह एक थानेदार के दूसरे थानेदार से पटरी नही बैठने की स्थिति या मन मुताबिक सेटिंग-गेटिंग कर थानेदारी पाने को लेकर बदमाशों का इस्तेमाल दूसरे क्षेत्र के थानेदार को परेशान करने को होते है। वरीय अधिकारियों को गुमराह करने में कोई कसर बाकी नहीं जाती। इन मामलों में मुखबिरों की भी संदेहास्पद रहती है। ऐसी कई करनामें शहर में देखने-सुनने को मिले है। जिले के पुराने थानेदार और पुलिस अधिकारी इस खेल से वाकिफ है।