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कोल्हान में खाकी को भाती रही है खादी, जमशेदपुर के एसपी रहे डॉ. अजय लोकसभा तक पहुंचे

खाकी को बाय-बाय करते हुए खादी के साथ सफर शुरू करने वालों में जमशेदपुर में आइपीएस अधिकारियों की संख्या अधिक रही। कुछ ने मुकाम हासिल किया तो कुछ पहुंचने की जुगत में हैं।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Fri, 20 Sep 2019 09:15 AM (IST)Updated: Fri, 20 Sep 2019 09:15 AM (IST)
कोल्हान में खाकी को भाती रही है खादी, जमशेदपुर के एसपी रहे डॉ. अजय लोकसभा तक पहुंचे
कोल्हान में खाकी को भाती रही है खादी, जमशेदपुर के एसपी रहे डॉ. अजय लोकसभा तक पहुंचे

जमशेदपुर,अन्वेष अम्बष्ठ। बिहार विभाजन के बाद झारखंड का गठन हुआ। क्षेत्रीय के साथ राष्ट्रीय राजनीतिक दलों की गतिविधियां बढ़ीं। सियासत में हलचल तेज हुई। बदले दौर में प्रदेश में एक नया ट्रेंड भी शुरू हुआ। समाज से सीधे जुडऩे और राजनीति में भागीदारी निभा कुछ अलग करने की चाहत में खाकी वाले साहबों का खादी की ओर रुख तेजी से हुआ।

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खाकी को बाय-बाय करते हुए खादी के साथ सफर शुरू करने वालों में जमशेदपुर में आइपीएस अधिकारियों की संख्या अधिक रही। कुछ ने मुकाम हासिल किया तो कुछ पहुंचने की जुगत में हैं। हार नहीं मानी। पहले बेहतर अफसर होने के साथ अब अच्छा जनप्रतिनिधि भी खुद को साबित करने की तैयारी में हैं।

डॉ अजय कुमार सांसद बने

जमशेदपुर में 90 के दशक में एसपी रहे डॉ. अजय कुमार ने बिहार में लालू यादव की सरकार में इस्तीफा दे दिया। कारपोरेट घराने से जुड़े। डॉक्टरी भी की। इसके बाद प्रदेश के क्षेत्रिय दल झारखंड विकास मोर्चा के टिकट पर लोकसभा उपचुनाव 2011 में लड़ा। भारी मतों से विजयी हुए। बाद में कांग्रेस से जुड़ गए। प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर भी काबिज हुए। पार्टी को बाय-बाय कर अब आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए हैं। उनकी बेहतर छवि रही है।

अमिताभ चौधरी ने रांची से लड़ा चुनाव

अजय कुमार के बाद अमिताभ चौधरी ने आइपीएस की नौकरी छोड़ राजनीति में कूदने का मन बनाया। कई बार जमशेदपुर संसदीय सीट से भाजपा से लडऩे की चर्चा भी हुई। मौका नहीं मिला। रांची से चुनाव भी लड़े। हार गए, लेकिन झारखंड क्रिकेट एसोसिएशन पर कब्जा जमा लिया। अब तक दबदबा कायम है। जमशेदपुर में वे पुलिस अधीक्षक पद पर रहे।

अरुण उरांव ने थामा कांग्रेस का दामन

डॉ. अरुण उरांव जमशेदपुर में 2002 से 2005 तक पुलिस अधीक्षक रहे। मूल रूप से पंजाब कैडर के आइपीएस रहे अरुण उरांव आइजी पद पर प्रोन्नत हुए। इसके बाद उन्होंने वीआरएस ले लिया। उनके पिता कार्तिक उरांव कांग्रेस से जुड़े थे। अरुण उरांव ने भी कांग्रेस का दामन थाम लिया। उनकी पत्नी गीताश्री उरांव गुमला के सिसई से विधायक भी रहीं। कांग्रेस हाईकमान ने अरुण उरांव को 2019 में छत्तीसगढ़ में हुए विधानसभा चुनाव में सह चुनावी प्रभारी बनाया था। वहां कांग्रेस की सरकार है। लोहरदगा संसदीय सीट से चर्चा उठती रही कि उन्हें टिकट मिलेगा। ऐसा नहीं हुआ। अरुण उरांव का नाम पूर्वी सिंहभूम जिले के घाटशिला अनुमंडल में लांगो में हुई घटना के कारण चर्चित रहा। ग्रामीणों को मिलाकर 12 से अधिक नक्सलियों को मार गिराया था। जनता के बीच उनकी अमिट छाप है।

लक्ष्मण प्रसाद सिंह भाजपा में

पूर्वी सिंहभूम जिले से सटे सरायकेला-खरसावां जिले के एसपी रहे लक्ष्मण प्रसाद सिंह ने डीआइजी पद पर प्रोन्नति के बाद विभाग से वीआरएस ले लिया। भाजपा में शामिल हो गए। विधानसभा चुनाव लडऩे की तैयारी में है। जमशेदपुर में 1992 में एसपी रहे रेजी डुंगडुंग जो अपर पुलिस महानिदेशक पद तक पहुंचे, स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के बाद राजनीतिक में उतरने वाले हैं। ऐसे कयास लग रहे हैं। 


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