एनसीएलटी के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर Jamshedpur News
इंकैब संयुक्त मोर्चा के भगवती सिंह ने एनसीएलटी के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। न्यायालय ने इंकैब की जमीन टाटा स्टील की बताई थी।
By Rakesh RanjanEdited By: Published: Tue, 25 Feb 2020 03:26 PM (IST)Updated: Tue, 25 Feb 2020 03:26 PM (IST)
जमशेदपुर, जासं। Petition filed in the High Court against the order of NCLT नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के उस आदेश के खिलाफ रांची हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई। जिसमें न्यायालय ने इंकैब की जमीन टाटा स्टील की बताई गई। सोमवार को एनसीएलटी द्वारा टाटा के पक्ष में जमीन बताने के फैसले के खिलाफ इंकैब संयुक्त मोर्चा के अध्यक्ष भगवती सिंह ने याचिका दाखिल की।
सात फरवरी को न्यायाधीश एमबी गोसाबी तथा वीके गुप्ता की डबल बेंच (एनसीएलटी कोलकाता) ने केबुल कंपनी को दिवालिया घोषित करने का आदेश देते हुए फैसले में कहा था कि इंकैब की जमशेदपुर में लगभग 178 एकड़ की जमीन टाटा स्टील की है। बीते शनिवार को इंकैब संयुक्त मोर्चा की आमसभा में टाटा स्टील के पक्ष में आये फैसले को झारखंड हाइकोर्ट में चुनौती देने का निर्णय लिया था। एनसीएलटी में कर्मचारियों का केस लड़ रहे अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव का कहना है कि एनसीएलएटी ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर फैसला दिया है जबकि सुप्रीम कोर्ट का भी कहना है कि कंपनी को चालू करने के उपाय होना चाहिए। उन्होंने जमीन पर टाटा के पक्ष में दिये गये फैसले पर कहा कि यदि जमीन पर एनसीएलएटी फैसला देगी तो जिला कोर्ट और उच्च न्यायालय क्या करेगा। इसी को हाइकोर्ट में चुनौती दी गई है। अब दो मार्च को केबुल कंपनी को दिवालिया घोषित करने के आदेश को अपीलिएट कोर्ट एनसीएलएटी (नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल) दिल्ली में चुनौती देने की तैयारी चल रही है।
1200 कर्मियों ने बकाया के लिए फार्म
सालों से बंद इंकैब इंडस्ट्रीज लिमिटेड (केबुल कंपनी) की नीलामी की घोषणा के बाद कर्मचारियों ने अपने बकाये के कागजात एकत्रित करने में जुटे हुए हैं। केबुल एसोसिएशन हॉल में बकाये राशि के लिए फार्म आदि आवश्यक कागजात दिए जा रहे हैं। सोमवार तक कुल 1200 कर्मचारियों ने बकाये के लिए फार्म लिए हैं। इंकैब कर्मी यूके शर्मा ने कहा कि कर्मचारियों को परेशानी नं हो इसे लेकर केबुल एसोसिएशन हॉल में फार्म लेने, सत्यापित कॉपी बनवाने से लेकर पूरे कार्य किए जा रहे हैं।
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