जमशेदपुर में नव वर्ष की तैयारियों में जुटे विभिन्न समाज के लोग, उगादि से प्रारंभ होगा सिलसिला
Jamshedpur News जमशेदपुर में रहने वाले विभिन्न समाज के लोग अपने-अपने नववर्ष मनाने की तैयारियों में लग गए है। इसके लिए घरों में नए कपड़े खरीदने की शुरुआत हो चुकी है। नववर्ष मनाने का सिलसिला तेलुगु नववर्ष उगादि से प्रारंभ हो जाएगा।
जमशेदपुर : जमशेदपुर में रहने वाले विभिन्न समाज के लोग अपने-अपने नववर्ष मनाने की तैयारियों में लग गए है। इसके लिए घरों में नए कपड़े खरीदने की शुरुआत हो चुकी है। नववर्ष मनाने का सिलसिला तेलुगु नववर्ष उगादि (Ugadi) से प्रारंभ हो जाएगा।
उगादि 12 अप्रैल, हिंदु नववर्ष 13 अप्रैल, मिथिला व बंगला नववर्ष 14 अप्रैल को है। इस बार कोविड के कारण कार्यक्रम तो होंगे, लेकिन कार्यक्रमों के स्वरूप को कम किया गया है। शहर के आंध्र की संस्थाओं एडीएल सोसाइटी कदमा, आंध्र एसोसिएशन कदमा, बिष्टुपुर राम मंदिर में उगादि के में उगादि के अवसर पर सिर्फ पंचांग श्रवणम का कार्यक्रम ही होगा। इसमें साल भर के पंचांग को पढ़ा जाएगा। कब बारिश होगी, खेती ठीक से होगी या नहीं। साल भर कैसा बीतेगा इस बारे में विस्तार से पुरोहित बताएंगे।
इस दौरान कोविड गाइडलाइन का पालन करते हुए लाेग बैठेंगे। हिंदू नववर्ष की पूर्व संध्या पर निकलने वाली नववर्ष यात्रा भी इस बार नहीं निकलेगी। अपने-अपने घरों में लोग हिंदू नववर्ष मनाएंगे। इस दौरान पूजा पाठ का आयोजन भी होगा। बंगाली समाज के नववर्ष पर भी कोई खास कार्यक्रम सामूहिक रूप से समाज की संस्थाओं द्वारा आयोजित नहीं होगा। बस घरों में पारंपरिक पूजा एवं व्यंजनों को बनाकर इसका आनंद लिया जाएगा। समाज के सदस्य अपनी सोसाइटी में संगीत संध्या के आयोजन की तैयारी में ही जुटे हुए है। इसमें बहुत कम संख्या में लोग उपस्थित रहेंगे।
उगादि पर घर-घर में बनेगी आम की पच्चड़ी
तेलुगू नववर्ष उगादि पर समाज के हर घर में आम, मधु, मिर्चा की पच्चड़ी (चटनी) बनेगी। पूजा से पूर्व इस चटनी को बनाकर पूजा-अर्चना की जाएगी। इस दिन समाज के लोग नए वस्त्र को धारण करेंगे तथा मंदिरों में पूजा करेंगे। समाज की महिलाएं इस दौरान पारंपरिक रूप से श्रृंगार करेंगी। समाज के बच्चे बड़े-बुजुर्गो का आशीर्वाद ग्रहण करेंगे। इस दौरान मंदिरों में भी पूजा अर्चना होगी।
जुड़ी शीतल के रूप में मनाया जाता है नववर्ष
मिथिला समाज अपने मिथिला दिवस को जुड़ी शीतल के रूप में मनाते हैं। इसे पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक माना जाता है। इस दिन कोविड नियमों का पालन करते हुए अंतरराष्ट्रीय मैथिली परिषद भारतीय जनगणना 2021 और मैथिली कोड पर परिचर्चा का आयोजन कर रहा है। समाज की अन्य संस्थाएं इस दिवस को मनाने की तैयारी कर रही है।