हाईवे के गड्ढे ले रहे जान, एनएचएआइ को फिक्र नहीं
रांची-महुलिया राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) 33 पर लोगों की जान जाने का सिलसिला जारी है। इस पर अब तक इस साल सिर्फ जमशेदपुर के आसपास 38 लोग काल के गाल में समा चुके हैं।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : रांची-महुलिया राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) 33 पर लोगों की जान जाने का सिलसिला जारी है। इस पर अब तक इस साल सिर्फ जमशेदपुर के आसपास 38 लोग काल के गाल में समा चुके हैं। मौत के इस हाईवे पर चिलगू से जमशेदपुर तक जानलेवा गड्ढे बरकरार हैं। इन गड्ढों में फंस कर लोगों की जान जा रही है और लेकिन, अब तक इस इलाके में एनएच 33 की मरम्मत का काम शुरू नहीं हो पाया है। जबकि, भयावह स्थिति को देखते हुए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) को जमशेदपुर से ही मरम्मत की शुरुआत करानी चाहिए थी। लेकिन, वो बेफिक्र है।
शहर से सटे एनएच-33 पर मौत का नाच जारी है। कब किसकी और कहां दुर्घटना में मौत हो जाए। किसे कौन वाहन टक्कर मारकर भाग निकले इसकी कोई गारंटी नही है। एनएच 33 का पारडीह कालीमंदिर से जमशेदपुर के डिमना चौक के बीच का खंड बेहद खतरनाक है। जमशेदपुर में बालीगुमा पुलिया के पास ही अब तक दो युवकों की जान जा चुकी है जबकि, एक टीएमएच में जिंदगी-मौत के बीच जूझ रहा है। चार अक्टूबर को जमशेदपुर के शंकोसाई मोहल्ले का रहने वाला सैमसंग कंपनी का मस्त्री विकास जब अपने साले धीरन के साथ घाटशिला से जमशेदपुर आ रहा था तो उसकी स्कूटी अचानक बालीगुमा पुलिया के सामने मौजूद खतरनाक गड्ढों में कूद कर स्लो हो गई। तभी पीछे से आ रहे तेज रफ्तार ट्रक ने स्कूटी को रौंद डाला। इस हादसे में विकास के दो टुकड़े हो गए और धीरन गंभीर तौर पर जख्मी हो गया। 17 अक्टूबर की रात को मानगो के समतानगर निवासी राकेश शर्मा की बाइक को बालीगुमा पुलिया के पास एक तेज रफ्तार ट्रक ने पीछे से टक्कर मार दी। इस हादसे में राकेश शर्मा ने मौके पर ही दम तोड़ दिया था। चौका के पास 19 अक्टूबर को एनएच 33 के खतरनाक डायवर्सन के पास हादसे में चौका निवासी युवक जीतेश कुमार की मौत हो गई। लगातार हो रहे हादसों से लोगों के चेहरे पर दहशत की लकीरें खिंच गई हैं।
---------
हर महीने चार-पांच लोगों की मौत
आंकड़े बयां करते हैं कि एनएच-33 से जुड़े डिमना चौक, पारडीह, चौका, चांडिल, टाटा-कांड्रा मार्ग पर हादसे पर हादसे हो रहे हैं। 27 फरवरी को पारडीह के पास कार और ट्रेलर में टक्कर से चार युवकों की मौत हो गई थी। जनवरी में चार, फरवरी में छह, मार्च में तीन, अप्रैल में चार, मई में पांच, जून में तीन, जुलाई में पांच, अगस्त में दो, सितंबर में तीन और अक्टूबर में अब तक तीन लोग मौत के मुंह में समा चुके हैं।