NEET उत्तीर्ण छात्र पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, मांगा इंसाफ; जानिए क्या है फरियाद
NEET. नेशनल इलिजिबिलिटी कम इंटरेस्ट टेस्ट (नीट) से इस वर्ष हजारों बच्चे डाक्टर बनने की चाहत में उत्तीर्ण हुए। 600 अंक लाने के बावजूद उनका दाखिला नहीं हुआ। ऐसे में नीट पास होने वाले 10 छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर अपने लिए इंसाफ मांगा है।
जमशेदपुर, जासं। नेशनल इलिजिबिलिटी कम इंटरेस्ट टेस्ट (नीट) से इस वर्ष हजारों बच्चे डा. बनने की चाहत में उत्तीर्ण हुए। लेकिन झारखंड के युवाओं का दुर्भाग्य है कि 600 अंक लाने के बावजूद उनका दाखिला नहीं हुआ। ऐसे में नीट पास होने वाले 10 छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर अपने लिए इंसाफ मांगा है।
जमशेदपुर में भी कई ऐसे बच्चे हैं जिन्होंने नीट की परीक्षा में 600 अंक लाए हैं लेकिन उन्हें अब तक दाखिला नहीं मिल रहा है। कारण है मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीइ) द्वारा की गई कार्रवाई। जिसके कारण दुमका, पलामू व हजारीबाग में कॉलेज तो खुले लेकिन वर्ष 2020-21 सत्र के लिए उनका दाखिला नहीं हो रहा है। एमसीआइ ने इन कॉलेजों में दाखिले पर रोक लगा दी है। इसके कारण छात्र और उनके अभिभावक कई बार मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से लेकर स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता से मिले लेकिन हर बार उन्हें आश्वासन ही मिला। ऐसे में छात्रों ने सेशन बर्बाद होने के डर से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
छात्रों की क्या गलती
पास एक छात्र के पिता व जमशेदपुर निवासी एके गुप्ता का कहना है कि एमसीआइ के प्रावधानों को यदि झारखंड सरकार पूरा नहीं कर पाई तो इसमें छात्रों का क्या कसूर। झारखंड सरकार इस दिशा में ठोस पहल करे क्योंकि सेशन बर्बाद होने के डर से अच्छे नंबर लाने और अब तक किसी भी कॉलेज में दाखिला नहीं मिलने के कारण सभी छात्र मानसिक तनाव में हैंं। प्राइवेट कॉलेजों की फीस इतनी ज्यादा है कि एक सामान्य व्यक्ति इसका वहन नहीं कर सकता है। इसलिए सरकार को उत्तीर्ण बच्चों के भविष्य पर विचार करते हुए पहल करनी चाहिए।