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बनने लगा औद्योगिक माहौल, अब भी कई रोड़े हटने का इंतजार

जमशेदपुर को झारखंड की औद्योगिक राजधानी यूं ही नहीं कहा जाता। यहां विश्व प्रसिद्ध टाटा स्टील व टाटा मोटर्स समेत दर्जनों कंपनियां हैं जो बड़े देशों को निर्यात करती हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 Feb 2019 07:45 AM (IST)Updated: Sat, 23 Feb 2019 07:45 AM (IST)
बनने लगा औद्योगिक माहौल, अब भी कई रोड़े हटने का इंतजार
बनने लगा औद्योगिक माहौल, अब भी कई रोड़े हटने का इंतजार

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : जमशेदपुर को झारखंड की औद्योगिक राजधानी यूं ही नहीं कहा जाता। यहां विश्व प्रसिद्ध टाटा स्टील व टाटा मोटर्स समेत दर्जनों कंपनियां हैं, जो बड़े देशों को निर्यात करती हैं। राज्य गठन के बाद से अब तक इन कंपनियों ने जो उपलब्धि हासिल की, वह अपने बूते। इधर साढ़े चार साल से राज्य सरकार ने उद्योग-धधे विकसित करने के लिए कई सराहनीय कदम उठाए। मोमेंटम झारखंड, इंडस्ट्रियल पालिसी, सिंगल विंडो सिस्टम, इज ऑफ डुइंग बिजनेस आदि से औद्योगिक माहौल बनने लगा है, लेकिन अब भी कई रोड़े हैं जिन्हें हटाए बिना सपनों को पंख नहीं मिल सकते। वैसे सरकार का काम नीति के साथ आधारभूत संरचना का विकास करना है, जबकि बाकी काम उद्यमी को खुद करना पड़ता है। आधारभूत संरचना के लिए कुछ काम हुए हैं, लेकिन कई काम अब भी रह गए हैं। इन्हीं सब विषयों पर चर्चा के लिए शुक्रवार को 'उद्योग की स्थिति' पर बातें हुई। डिमना रोड, मानगो स्थित कार्यालय में शहर के उद्यमियों ने अपने अनुभव साझा किए, जिसमें औद्योगिक विकास के बाधक तत्वों की ओर इशारा किया, तो समाधान भी सुझाए।

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अब इंडस्ट्रियल एरिया में दस फीसद कंपनियां ही बीमार (सिक) हैं, अधिकांश चालू स्थिति में हैं। सिंगल विंडो सिस्टम का फायदा भी मिल रहा है। बिजली की स्थिति में सुधार की आवश्यकता है। - संतोष खेतान

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मौजूदा झारखंड सरकार ने जो इंडस्ट्रियल पालिसी बनाई, उसके बाद ही बंद कंपनियों के खुलने की रफ्तार तेज हुई। अब यहां की कंपनियों को डिफेंस-रेलवे के आर्डर भी मिल रहे हैं। - अशोक गुप्ता

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यहां की अधिकांश कंपनियां टाटा स्टील व टाटा मोटर्स पर निर्भर हैं। यह निर्भरता कम होनी चाहिए। यहां फूड प्रोसेसिंग प्लांट भी खुलने चाहिए, जिससे रोजगार बढ़ेगा। - अनिल मोदी

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पश्चिम बंगाल, दिल्ली और महाराष्ट्र की तर्ज पर यहां माइक्रो इंडस्ट्री का हब विकसित होना चाहिए। यहां की अधिकांश कंपनियां छोटे-छोटे कलपुर्जे दूसरे शहरों से मंगाती हैं। - स्वरूप गोलछा

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जीएसटी लागू होने के बाद उद्योग-व्यापार काफी आसान हुआ है। अब लाइसेंस-परमिट के लिए दफ्तरों का चक्कर नहीं लगाना पड़ता है। - रितेश मित्तल

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जमशेदपुर में गारमेंट इंडस्ट्री से संबंधित मार्केट और माइक्रो इंडस्ट्री की काफी संभावना है। इस पर सरकार को ठोस कदम उठाना चाहिए। - दीनदयाल अग्रवाल

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यहां आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु की तर्ज पर कंपनियों को आवंटित जमीन का मालिकाना देना चाहिए। इससे उद्यमी का आधा तनाव खत्म हो जाएगा। - किशोर गोलछा

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झारखंड में खनिज संपदा भरपूर है, लेकिन अभी तक यहां मिनरल प्रोसेसिंग यूनिट नहीं लगी है। इसकी वजह से हमारे उत्पाद का वैल्यू एडीशन यहां नहीं हो पाता। - महेश सोंथालिया

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अधिकांश कंपनियां टाटा मोटर्स पर निर्भर हैं। इसकी वजह से करीब दो माह से हमारे यहां भी 24 घंटे की बजाय छह घंटे काम हो रहे हैं। छोटी-छोटी कंपनियां तो लगभग बंद हैं। - नीरज संघी

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मैं ट्रेडिंग से इंडस्ट्री की ओर जाना चाहता था। आवेदन किया तो मुझे जहां जमीन दी गई, वहां का माहौल देखकर इंडस्ट्री लगाने का इरादा छोड़ दिया। - आशुतोष अग्रवाल

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सरकार की नीयत पर कोई शक नहीं है, लेकिन व्यवस्था नहीं सुधर रही है। प्रदूषण अनापत्ति के लिए उन कंपनियों से भी 100 पेड़ लगाने को कहा जाता है, जिनके पास पार्किंग की जगह नहीं है। - सुधीर सिंह

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झारखंड की स्थिति बदतर थी, लेकिन पिछले साढ़े चार साल में काफी काम हुआ है। मोमेंटम झारखंड में थोड़ी चूक हुई है कि ऑटो सेक्टर की किसी बड़ी कंपनी नहीं आ सकी। - सुरेश सोंथालिया

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