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रास्ता खोज रहे यादव जी

साइबर अपराध से पुलिस की नींद हराम हो गई है। पढ़े-लिखे लोगों के साथ-साथ सरकारी और प्राइवेट कंपनियों के अधिकारी और कर्मचारी भी इसके शिकार हो रहे हैं।

By Edited By: Published: Thu, 12 Mar 2020 07:17 AM (IST)Updated: Thu, 12 Mar 2020 12:27 PM (IST)
रास्ता खोज रहे यादव जी
रास्ता खोज रहे यादव जी

साइबर अपराध से पुलिस की नींद हराम हो गई है। पढ़े-लिखे लोगों के साथ-साथ सरकारी और प्राइवेट कंपनियों के अधिकारी और कर्मचारी भी इसके शिकार हो रहे हैं। इस अपराध से निपटना यहां की पुलिस के लिए कड़ी चुनौती बनी हुई है। जमशेदपुर में बढ़ते साइबर अपराध के कारण ही यहां पर साइबर थाना स्थापित किया गया। शिकायतें यहां हर दिन दर्ज हो रही हैं। लेकिन, कम ही मामले निष्पादित हो रहे हैं। वजह, थाने में सात इंस्पेक्टर की प्रतिनियुक्ति की गई। थाने में दर्ज होने वाले केस के सुपरविजन को डीएसपी की जरूरत थी। जमशेदपुर जैप छह की डीएसपी जयश्री कुजूर को डीएसपी बना दिया गया। थाने में केस दर्ज करने का टारगेट माह में 22 है। इसमें आइटी से जुड़े हर मामले इसी थाने में दर्ज होने हैं, लेकिन ऐसा नहीं होता। अधिकतर फरियादी थाने में टरका दिए जाते हैं। यहां सात इंस्पेक्टर के बावजूद रफ्तार धीमी है। रास्ता खोज रहे यादव जी हवलदार एच यादव के क्या कहने। कुछ महीने पहले तक शहर से दूर एक थाने में पदस्थापित थे। अच्छी खासी कमाई हो जाती थी। मन मुताबिक छुट्टी मिल जाती थी। डयूटी भी नहीं के बराबर थी। शहर की चकाचौंध के चक्कर में कंपनी क्षेत्र के एक थाने में बदली करा ली। सोचकर चले थे कि यहां विटामिन एम की आमद खूब होगी। लेकिन, यहां तो सिर मुंडाते ओले पड़ने वाले हालात बन गए। महीना बीता और सामने कमाई का हिसाब आया तो होश उड़ गए। ग्रामीण थाने में अकेले ही जितना हिस्सा मिल जाता, उससे तो गए ही। अब डयूटी भी खूब करनी पड़ रही। अब उन्हें सूझ नहीं रहा कि आगे क्या करें। हर करीबी से अपना दुखड़ा सुनाते हुए दिन काट रहे हैं। साथ ही यह जुगाड़ भी बैठने में लगे हैं कि किसी तरह कोई ऐसा रास्ता मिल जाए जो उन्हें दोबारा पुराने थाने तक पहुंचा दे। खाकी पर चढ़ा चुनावी रंग होली खत्म होते पुलिस अधिकारियों पर झारखंड पुलिस एसोसिएशन चुनावी रंग चढ़ने लगा है। खाकी पर खादी का रंग दिख रहा। चुनाव में खड़े प्रत्याशी सभी जिले और थाने तक पहुंच रहे हैं। समर्थन मांग रहे हैं। आर्थिक सहयोग भी लिए जा रहे हैं। थाने में केंद्रीय प्रत्याशियों के समर्थन व विरोध को लेकर चर्चा जारी है। 13 और 14 मार्च को रांची में अधिवेशन है। अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व महासचिव समेत पांच पदों के लिए 15 मार्च को मतदान है। मतों की गिनती भी उसी दिन होगी। चुनाव में शामिल होने के लिए सहायक अवर निरीक्षक, दारोगा व इंस्पेक्टर रैंक के पुलिस अधिकारियों को दो दिन की विशेष छुट्टी मुख्यालय से दी गई है। जिले से 63 पुलिस अधिकारी डेलीगेट के रूप में चुनाव में शामिल होंगे। अध्यक्ष पद पर ब्रजेश सिंह और योगेंद्र सिंह व महामंत्री के लिए संतोष महतो व अक्षय कुमार राम के बीच कड़ी टक्कर है। साक्ष्य नहीं दे रही पुलिस दुमका जेल में बंद जमशेदपुर का कुख्यात अखिलेश सिंह लगातार आपराधिक मामलों में बरी होता जा रहा है। अब जमानत की चर्चा जोरों पर है। हर कोई जानना चाहता है कि आखिर ऐसा कैसे हो रहा? पुलिस की सारी शेखी व तैयारी अदालत में फुस्स हो जा रही है। मामलों में पुलिस को छोड़ कर अन्य गवाह पलट जाते हैं। कुछ ऐसे भी मामले हैं जिसमें पुलिस वाले भी पलटी मार चुके हैं। अदालत को साक्ष्य चाहिए जो उसके विरुद्ध मामले में पुलिस शायद जुटा नहीं पा रही। जितने भी मुकदमे हुए, उसमें उसे साजिशकर्ता बताया गया। किसी गुर्गे का पुलिस के सामने दिए गए बयान को आधार बना दिया गया। साजिशकर्ता की धारा 120बी को पुलिस साबित नहीं कर पा रही। आरोप-पत्र, केस डायरी व साक्ष्य में चूक सामने आ रही है। सिर्फ गैंगस्टर मामले को अदालत में देखने के लिए जयप्रकाश को लीगल एडवाइजर प्रतिनियुक्त किया गया है।

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