संस्कृति से ही है हमारी पहचान : राज्यपाल Jamshedpur News
जमशेदपुर स्थित परसुडीह के तिलकागढ़ में आयोजित बाबा तिलका माझी समारोह में शामिल होने पहुंचीं सूबे की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ।
जमशेदपुर (जासं)। हमारी पहचान हमारी संस्कृति से ही है। हम अपनी संस्कृति के साथ चलते हुए ही खुद को आगे बढ़ा सकते हैं। दूसरों की संस्कृति को अपनाने की जरूरत नहीं है। ये बातें बुधवार को परसुडीह के तिलकागढ़ में आयोजित बाबा तिलका माझी समारोह में शामिल होने पहुंचीं सूबे की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहीं।
उन्होंने कहा कि झारखंड वीरों की भूमि है। इस भूमि पर सदियों से ऐसे-ऐसे वीरों ने जन्म लिया जिन्होंने देश की आजादी और अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए अपना बलिदान दिया। 1857 के सिपाही विद्रोह का इतिहास में उल्लेख है, लेकिन अंग्रेजों के खिलाफ यहां की जमीन से लड़ी गई अनेक लड़ाइयों का जिक्र न होना विडंबना है।
झारखंड वीरों की भूमि, इतिहास फिर से लिखने की जरूरत
राज्यपाल ने कहा कि झारखंड सदा से वीरों की भूमि रही है। बाबा तिलका माझी, बिरसा मुंडा, सिदो कान्हो, चांद भैरव, फूलो चांद जैसे वीरों ने अंग्रेजों के साथ लड़ाई लड़ते हुए अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया। इतिहास सही ढंग से नहीं लिखा गया। इतिहास को एक बार फिर से लिखने की जरूरत है।
यहां की महिलाओं ने तीर-धनुष लेकर आजादी की लड़ाई की अगुवाई की। आदिवासी स्वाभिमानी होते हैं। धैर्य की सीमा पार होने पर ही अपना रूप दिखाते हैं। यहां के आदिवासी अहिंसा के मार्ग पर चलते हैं। मुझे गर्व है कि मैं इस समाज से आती हूं। कहा जाता है कि आदिवासी समुदाय के लोग हडिय़ा-दारू पीते हैं। इसलिए इनका विकास नहीं होता, मगर यह धारणा बिल्कुल गलत है।
अहिंसा का पुजारी है आदिवासी समुदाय
द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि आदिवासी समुदाय गांधी जी की राह पर चलता है। ये लोग अहिंसा के रास्ते पर चलने वाले लोग हैं। इसका जीता जागता उदाहरण परसुडीह का यह छोटा सा तिलकागढ़ गांव है। मुझे यह जानकर गर्व हुआ कि यह गांव 1976 से नशा मुक्त है। इस गांव से दूसरे गांव को सीख लेने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि आर्थिक व सामाजिक सुधार सरकार के अकेले के वश की बात नहीं है। हम सभी को आगे बढ़कर योगदान देना होगा। जिंदगी भर हाथ पकड़कर चलने से कोई आगे नहीं बढ़ सकता। हमें समझना होगा कि हम आगे कैसे बढ़े।
गांव में बनेंगी चारदीवारी, खेलेंगे बच्चे
ग्रामीण की एक मांग पर उन्होंने आश्वासन देते हुए कहा कि गांव की 5.7 एकड़ जमीन की चारदीवारी के लिए उपायुक्त को निर्देश दिया है, ताकि खेलकूद, सांस्कृतिक कार्यक्रम आसानी से आयोजित किए जा सकें। 1976 से यह जमीन बाबा तिलका माझी के नाम से है। गांव के लोग इसे तिलका माझी स्टेडियम बनाना चाहते हैं। गांव से सटा सिदो कान्हू उडिय़ा स्कूल मात्र 12 डिसमिल में सिमटा हुआ है। जबकि स्कूल में फिलहाल 500 से भी ज्यादा बच्चे पढ़ते हैं। बगल की खाली सरकारी जमीन अगर स्कूल को दान में दे दी जाए तो इसका विस्तार संभव है। यह बहुत बड़ी बात है कि इस गांव में किसी तरह की चोरी नहीं होती। यह गांव की एकता की मिसाल है।
इसके पूर्व राज्यपाल ने बाबा तिलका माझी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। पारंपरिक नृत्य में हिस्सा लिया। राज्यपाल का हेलिकॉप्टर शाम 3.05 बजे जकता मैदान में उतरा। बाबा तिलका मेमोरियल क्लब की ओर आयोजित समारोह में पूर्व सांसद कृष्णा मार्डी, जिला परिषद उपाध्यक्ष राजकुमार ङ्क्षसह, पूर्व पार्षद स्वपन मजूमदार, पूर्व मुखिया रामचंद्र टुडू, मुखिया पानो मुर्मू आदि उपस्थित थे।
पारंपरिक नृत्य टीम ने मोहा मन
बाबा तिलका जयंती समारोह के दूसरे दिन बुधवार को पारंपरिक सांस्कृतिक नृत्य का आयोजन हुआ। इसमें बाहा नाच, पाता नाच, फिरकाल, धोंगेड़, सडफ़ा, डंठा, नाहागड़ी आदि नृत्य टीमों ने अपनी प्रस्तुतियों से लोगों का मन मोह लिया। इसमें कोल्हान समेत ओडिशा की नृत्य मंडलियों ने भाग लिया। शाम को हो, मुंडा व संताली भाषा में लघु नाटक का मंचन हुआ।