झारखंड के इस जिले में सर्पदंश के एक माह के आंकड़े हैं डरानेवाले, बरतें ये सावधानी
पूर्वी सिंहभूम जिले में पिछले एक माह में आए सर्पदंश के मामले तो वाकई डराने वाले हैं। रोज कोई न कोई जिले के किसी कोने से सांप के डंसने के कारण अस्पताल में भर्ती किया जा रहा है।
जमशेदपुर, जासं। बारिश का मौसम है। जरा सावधान रहें। सांप बिल से निकल कहीं भी आपके पैरों के नीचे आ सकते हैं, जो आपके लिए जानलेवा हो सकता है। पूर्वी सिंहभूम जिले में पिछले एक माह में आए सर्पदंश के मामले तो वाकई डराने वाले हैं। रोज कोई न कोई जिले के किसी कोने से सांप के डंसने के कारण अस्पताल में भर्ती किया जा रहा है। चूंकि जिले का ग्र्रामीण इलाका आदिवासी बहुल है, इसलिए सर्पदंश को लेकर कई तरह के अंधविश्वास भी जानलेवा साबित हो रहे हैं। चूंकि बरसात के मौसम में सांप अपने बिल से निकलते हैं, इसलिए इस मौसम में खतरा ज्यादा रहता है।
हर दिन औसतन दो मरीज पहुंच रहे अस्पताल
एमजीएम व सदर अस्पताल में हर दिन औसतन दो मरीज सांप के डंसने के बाद इलाज के लिए आ रहे हैं। एमजीएम अस्पताल का आंकड़ा देखा जाए तो बीते 15 दिनों में कुल 17 लोगों को सांपों ने डंसा है, जिसमें दो लोगों की मौत हो चुकी है। सात अगस्त को सांप काटने के तीन मरीज एमजीएम अस्पताल पहुंचे। इनमें बिरसानगर के जॉनी लोहार, आदित्यपुर की गीता देवी और डुमरिया के विजय हांसदा शामिल हैं। वहीं 9 अगस्त को तीन लोगों को सांप ने डंस लिया। इसमें कदमा निवासी रवि पात्रों, घालभूमगढ़ निवासी श्वांगी हांसदा व मुसाबनी निवासी शंकर महाली शामिल हैं। सभी को एमजीएम अस्पताल के इमरजेंसी विभाग में भर्ती कराया गया।
स्नान करने गए किसान को सांप ने डंसा
ईचागढ़ स्थित चौंगा गांव निवासी प्रह्लाद साह को शनिवार की सुबह एक सांप ने डंस लिया। इसके बाद युवक को एमजीएम अस्पताल में भर्ती कराया गया। युवक ने बताया कि वह पेशे से किसान है। सुबह में पास के ही एक तलाब में स्नान करने के लिए गया था। तभी सांप ने डंस लिया। युवक का इलाज एमजीएम अस्पताल में चल रहा है।
ग्र्रामीण इलाके खतरनाक, शहर में टेल्को स्नेक जोन
पूर्वी सिंहभूम के ग्र्रामीण इलाके में तो सांप के डंसने का डर इसलिए हमेशा बना रहता है, वह इलाका जंगल-झाडिय़ों से घिरा हुआ है और सांप के लिए इससे मुफीद जगह हो नहीं सकती। शहर में टेल्को का पूरा इलाका स्नेक जोन है। सर्प विशेषज्ञ एनके सिंह के मुताबिक टेल्को के प्लाजा, रिवर व्यू इलाके में तो जहरीले सांप निकलते हैं, अन्य इलाकों में निकले वाले सांप जहरीले नहीं हैं।
आंकड़े बताते हैं
सांप कटने से दुनियाभर में होने वाली मौतों की संख्या में भारत सबसे आगे है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक हर साल 83,000 लोग सांप के दंश का शिकार होते हैं और उनमें से 11,000 की मौत हो जाती है। मौत का सबसे बड़ा कारण है तुरंत प्राथमिक उपचार न होना।
भारत में सांपों की 236 प्रजातियां
भारत में सांपों की लगभग 236 प्रजातियां हैं। इनमें से ज्यादातर सांप जहरीले नहीं होते। आम धारणा है कि सभी सांप खतरनाक होते हैं, लेकिन ऐसे सांपों के काटने से सिर्फ जख्म होता है, मौत दहशत के कारण हो जाती है। देश में जहरीले सांपों की 13 प्रजातियां हैं, जिनमें से चार बेहद जहरीले होते हैं- कोबरा (नाग), रस्सेल वाइपर, स्केल्ड वाइपर और करैत। देश में सबसे ज्यादा मौतें नाग या गेहुंवन व करैत के काटने से होती हैं।
सांप के डंसने पर बरते सावधानियां
- जख्म को साबुन व पानी से धोएं।
- सांप के काटने का स्थान रंग बदले तो समझें कि सांप जहरीला है।
- मरीज का तापमान, नब्ज, सांस की गति और रक्तचाप का ध्यान रखें।
- सांप के जहर का प्रभाव 15 मिनट से 12 घंटे के बीच शुरू होता है।
- आधे घंटे तक उपचार तक नहीं पहुंचे तो डंसे हुए भाग के ऊपर दो से चार इंच की पंट्टी बांधे, ताकि जहर का प्रवाह आगे न बढ़े।
- सांप के काटने के स्थान पर बर्फ न लगाएं।