दिल्ली की तर्ज पर जमशेदपुर की बस्तियों को भी दे सकते मालिकाना हक Jamshedpur News
मंत्री सरयू राय ने कहा है कि दिल्ली की अवैध बस्तियों के लिये क़ानून बनाकर उन्हें मालिकाना हक़ का रास्ता साफ़ कर दिया है उसी तरह जमशेदपुर में भी किया जा सकता है।
जमशेदपुर (जागरण संवाददाता)। जिस तरह भारत सरकार ने दिल्ली की अवैध बस्तियों को नियमित करने के लिये क़ानून बनाकर उन्हें मालिकाना हक़ देने का रास्ता साफ़ कर दिया है उसी तरह जमशेदपुर की बस्तियों को भी मालिकाना हक़ दिया जा सकता है।
यह कहना है राज्य के खाद़य एवं आपूर्ति मंत्री सरयू राय का। नई दिल्ली से जारी प्रेस वक्तव्य में उन्होंने कहा है कि जो बस्तियां विगत अनेक वर्षों से टाटा लीज़ की ज़मीन पर, टाटा लीज़ से बाहर की गई ज़मीन पर या सरकार की ज़मीन पर बसी हुई हैं उन्हें सरकार ने पानी, बिजली, सड़क आदि की सुविधायें उपलब्ध कराया है। मानगो सहित अन्य स्थानों की बस्तियों के उन भूखंडों को भी इस आधार पर मालिकाना दिया जा सकता हैं जिनपे अवैध दख़ल का खतियान लोगों के पास है।
खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय ने कहा है कि कल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निवास स्थान पर ऐसी बस्तियों के लोग आभार प्रकट करने के लिये गये थे जो बस्तियां पहले अवैध थीं पर जिन्हें भारत सरकार ने हाल ही में क़ानून बनाकर वैध कर दिया है। प्रधान मंत्री ने भी इन बस्तीवासियों को शुभकानायें दी। सरयू राय ने कहा कि कल मैंने दिल्ली में इस मामले के कई जानकार लोगों से इस बारे मे बात की। उनमें दिल्ली भाजपा के वरीय नेता भी हैं। सबका यही मानना है कि प्रधानमंत्री ने दिल्ली की अवैध बस्तियों को मालिकाना हक़ देने की नियमावली बनाकर असंभव को संभव कर दिया है।
दिल्ली में इसे एक क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है। सबका मानना है कि प्रधानमंत्री के इस निर्णय के आलोक में टाटा लीज़ और सरकारी ज़मीन पर बसीं जमशेदपुर की बस्तियों को मालिकाना हक़ आसानी से दिया जा सकता है। सीएनटी एक्ट या कोई अन्य टेनेन्सी एक्ट का कोई प्रावधान इसमें बाधक नहीं बन सकता है। इस आलोक मैं मानगो सहित जमशेदपुर की ऐसी सभी बस्तियों को मालिकाना हक़ देने की पहल नये सिरे से आरम्भ करेंगे।
उन्होंने कहा कि मेरा आरम्भ से यह मानना रहा है कि मानगो और जमशेदपुर की बस्तियों और व्यक्तियों को उस ज़मीन का, जिसपर वे लंबे समय से बसे हैं, मालिकाना हक क़ानून बनाकर ही दिया जा सकता है। 2007 में मैंने इस आशय का एक निजी विधेयक झारखंड विधान सभा में पेश किया था। अब समय आ गया है कि लंबे समय से लंबित मालिकाना हक़ के मामला को क़ानूनी जामा पहना दिया जाय।