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बनारस की तर्ज पर अब स्वर्णरेखा और खरकई नदी में ट्रीटमेंट होकर गिरेगा नाले का पानी

जमशेदपुर के नालों का पानी स्वर्णरेखा व खरकई नदी में जाकर गिर रहा है। इससे नदियां प्रदूषित हो रही है। इसे रोकने के लिए बनारस की तर्ज पर एक परियोजना पर कार्य चल रहा है। इन नालियाें का जायजा लेने नमामि गंगे टीम के सदस्य जमशेदपुर पहुंचे।

By Jitendra SinghEdited By: Published: Tue, 25 Jan 2022 01:10 PM (IST)Updated: Tue, 25 Jan 2022 01:10 PM (IST)
बनारस की तर्ज पर अब स्वर्णरेखा और खरकई नदी में ट्रीटमेंट होकर गिरेगा नाले का पानी
जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र के अधिकारियों के साथ बैठक करते कोलकाता से आई टीम।

जमशेदपुर (मनोज सिंह)। जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति के अंतर्गत बहने वाली स्वर्णरेखा और खरकई नदियों में 16 बड़े नालों का गंदा पानी गिरकर पानी को प्रदूषित कर रहे हैं। इससे मानव के साथ ही जलीय जीव जंतुओं के अस्तित्व पर ही खतरा मंडराने लगा है। यही नहीं औद्योगिक नगरी जमशेदपुर में रहने वाले 15 लाख से अधिक लोगों के लिए जीवनदायनी स्वर्णरेखा व खरकई नदी है। इसी के पानी से आम जनजीवन का प्यास बुझाई जा रही है और यहां के बड़े-बड़े उद्योग धंधे चल रहे हैं। गंदे युक्त नदी की पानी को स्वच्छ बनाने की मुहिम पर सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। जिस प्रकार बनारस में नमामि गंगे की टीम ने गंगा नदी को स्वच्छ किया, ठीक उसी तर्ज पर जमशेदपुर की दोनों नदियाें के पानी स्वच्छ बनाया जाएगा। इसके लिए सभी 16 बड़े नालों की पानी को ट्रीटमेंट करने के बाद ही अब नदी में गिराई जाएगी। इसके लिए कोलकाता से एक उच्चस्तरीय टीम जमशेदपुर पहुंच कर विशेष पदाधिकारी कृष्ण कुमार के साथ नदी व नालों का जायजा लिया।

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16 नालों से प्रतिदिन एक करोड़ लीटर गंदा पानी गिरता है नदी में

जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति के अंतर्गत 16 बड़े नाले हैं। इसी नाले के माध्यम से शहर का गंदा पानी नदी में गिरकर नदी की पानी को प्रदूषित कर रही है। जानकारी के अनुसार 16 नालों से प्रतिदिन 10 एमएलडी (एक करोड़ लीटर) से भी अधिक गंदे पानी नदी में गिर रही है। इसके कारण आम जनता के साथ ही जलीय जीव जंतुओं के अस्तित्व पर संकट मंडरा रही है। गमी के दिनों में नदी मानों नाला में तब्दील हो जाता है।

स्वर्णरेखा नदी की पानी हो गई है प्रदूषित

स्वर्णरेखा नदी का पानी प्रदूषित हो गया है। पानी में आक्सीजन की मात्रा भी घटती जा रही है। मानक से पानी में बायोलोजिकल आक्सीजन डिमांड बीओडी अधिक हो गया है, जबकि बायोलोजिकल आक्सीजन डिमांड मानक से कम होना चाहिए। झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बाेर्ड ने पिछले वर्ष स्वर्णरेखा नदी का पानी की जांच कराई थी। जिसमें पाया गया था कि अधिकतर जगह पर पानी में आक्सीजन की मात्रा कम है।


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