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कर्ज ले व गहने गिरवी रख पेट पाल रहे पुरानी किताबों के विक्रेता Jamshedpur News

मार्च-अप्रैल में स्कूलों का सत्र शुरू होने पर सेकेंड हैंड किताबों की बिक्री कर ये पूरे साल के लिए कमाई करते हैं।

By Vikas SrivastavaEdited By: Published: Tue, 26 May 2020 07:49 PM (IST)Updated: Tue, 26 May 2020 07:49 PM (IST)
कर्ज ले व गहने गिरवी रख पेट पाल रहे पुरानी किताबों के विक्रेता Jamshedpur News
कर्ज ले व गहने गिरवी रख पेट पाल रहे पुरानी किताबों के विक्रेता Jamshedpur News

जमशेदपुर (जागरण संवाददाता)। साहब! अब हमलोगों की पुरानी दुकान को खुलवा दीजिए नहीं तो हमारे परिवार भूखे मर जाएंगे। लॉकडाउन की मार ने हमार रोजी-रोटी पर आफत कर दिया है। खर्च चलाने के लिए कर्ज लेने और गहने गिरवी रखने के लिए मजबूर हैं।

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यह कहना था साकची पुरानी कोर्ट के पास पुरानी किताबों की बिक्री करने वालों की। दरअसल, मार्च-अप्रैल में स्कूलों का सत्र शुरू होने पर सेकेंड हैंड किताबों की बिक्री कर ये पूरे साल के लिए कमाई करते हैं जो आजकल बंद है।

कर्ज में डूबे आधा दर्जन से अधिक दुकानदार 

पुरानी किताबों के दुकानदार इम्तियाज कहते हैं कि दुकानें बंद होने के कारण आधा दर्जन दुकानदार सड़क पर आ चुके हैं। इम्तियाज ने बताया कि पुराना सत्र और परीक्षाएं खत्म होने के बाद प्रत्येक दुकानदार ने एक से डेढ़ लाख रुपये की किताबें खरीदी थी ताकि उसे बेच कर कमाई कर सके। सवा से डेढ़ लाख रुपये का फायदा सबको होने का अनुमान था। मार्च-अप्रैल दो माह में साल भर की कमाई कर लेते थे, लेकिन इस वर्ष उसी अवधि में दुकानें बंद रखनी पड़ी। जमा पूंजी तो गई ही कमाई भी डूब गयी। यहां करीब 35 दुकानें हैं जिन्हें लगभग एक करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है।

कर्ज व गहने गिरवी रखकर चला रहे घर

किताब दुकानदार टिकारू, महावीर, श्रवण, राजा, बल्ली राय साव, रामचंद्र, नारायण साव, सुभम, इम्तियाज, संजय, विजय कुमार, मदन कुमार साव, राजेश कुमार, धु्रव प्रसाद आदि की हालत इतनी खराब है कि कोई घर के गहने गिरवी तो कोई ब्याज पर रकम लेकर परिवार पाल रहा है। इम्तियाज ने बताया कि अब तो लॉकडाउन को देखते हुए देनेे वाले भी कर्ज देने में आनाकानी कर रहे हैं। हालत यह हो गयी है कि लोग पेट की आग बुझाने के लिए चोरी-छिपे ग्राहकों की मांग पर किताब बेच रहे हैं। 

40 साल से पुरानी किताबों की बिक्री कर चला रहे परिवार 

पुरानी किताब की दुकान चलाने वाले भुइयांडीह निवासी सुमन कुमार कहते हैं कि उनका परिवार 40 साल से पुरानी किताबों की बिक्री के कारोबार से जुड़ा है। साकची गोलचक्कर के पास उनके पिता दुकान चलाते थे, अब 2006 से पुरानी कोर्ट के पास दुकान चला रहे हैं। सुमन कहते हैं कि कोरोना की मार ऐसी पड़ी कि अब कैसे परिवार का खाना-पीना चलेगा, समझ से बाहर है। 

उपायुक्त से लगायी गुहार

पुरानी किताब दुकान खुलवाने के लिए उपायुक्त रविशंकर शुक्ला से भी गुहार लगायी, लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई। दुकानदारों ने उपायुक्त को आश्वस्त किया कि वह लॉकडाउन के नियमों का पालन करेंगे, इसके बावजूद अब तक अनुमति नहीं मिली है। 


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