Weekly News Roundup Jamshedpur : आजकल मक्खी मार रहे साहब, पढ़िए खेल की दुनिया की अंदरूनी खबर
Weekly News Roundup. सुबह से लेकर शाम तक यहां की हर गलियां गुलजार रहा करती थीं वह आज सूनी हैं। सबसे बुरा हाल यहां के साहब लोगों का है। सभी मक्खी मार रहे हैं।
जमशेदपुर, जितेंद्र सिंह। Weekly News Roundup Jamshedpur off the field news कोरोना ने कइयों को बेरोजगार कर दिया। जेआरडी टाटा स्पोर्ट्स कांप्लेक्स का भी यही हाल है। सुबह से लेकर शाम तक यहां की हर गलियां गुलजार रहा करती थीं, वह आज सूनी हैं। सबसे बुरा हाल यहां के साहब लोगों का है। कोई काम ही नहीं है। सभी मक्खी मार रहे हैं।
दिन भर में जो भी दस-बारह लोग सलामी ठोकने आते थे, कोरोना के डर से वह भी जेआरडी का रुख नहीं कर रहे हैं। कई साहब को तो मन ही नहीं लग रहा है। कई कोरोना का रोना रो रहे हैं, तो कई अपने कार्यालय में ही उंघते नजर आ रहे हैं। बड़े साहब भी अलग तरह की परेशानी से जूझ रहे हैं। परेशान हैं, कैसे उनके अधीनस्थ अधिकारी चैन की बंसी बजा रहे हैं। जब मर्जी हो, किसी को बुला लिया और घंटों प्रवचन दे रहे। साहब हैं, इसलिए ऐसे में कुछ बोलने में भी नहीं बनता।
कोरोना को कोस रहीं मम्मियां
कोरोना क्या आया, मम्मियों पर आफत आ गई। जेआरडी टाटा स्पोर्ट्स कांप्लेक्स बंद, खेल गतिविधियां बंद, स्कूल बंद, मॉल के सिनेमाघर बंद। अब घर में बच्चे कोहराम मचा रहे हैं और मम्मियां कोरोना को कोस रही हैं। बेचारी मम्मियां। खीझ इस बात का भी है कि जेआरडी में अपनी सहेलियों से मिल नहीं पा रहीं। एक-दूसरे की बात पता नहीं चल पा रही है। बस घर में बैठे रहो। बच्चे तो बच्चे ठहरे। कभी खाने की जिद कर रहे तो कभी खेलने की। घर को ही प्लेग्राउंड बना दिया है। कोई फुटबॉल से धमाचौकड़ी कर रहा तो कोई घर में ही कूंगफू किंग बनने की कोशिश कर रहा। जिस घर में बच्चे हैं, उन घरों का सामान बिखरा पड़ा है। मम्मियां चिल्ला रही हैं। बच्चे बाहर खेलने की जिद कर रहे हैं, तो उन्हें मनाना भी पड़ रहा है। ड्यूटी से आकर पापा भी गुस्सा उतार रहे। बेचारी ये मम्मियां।
लौट आए बीते हुए दिन
भले ही लोग कोरोना को कोस रहे, पर जिन घरों में बच्चे हैं, वहां इस वायरस ने पुराने दिन लौटा दिए हैं। घर से निकलना जब बंद हो तो मनोरंजन का कोई साधन ढूढ़ना ही होगा। अब बच्चे दादा-दादी के पास ज्यादा समय बिता रहे हैं। दादाजी आजकल 'हमारे जमाने में' की बातें कर रहे हैं। बच्चे भी बड़े चाव से सुन रहे हैं। अच्छा, आपके जमाने में दो रुपये किलो घी मिलता था। आश्चर्य है। दादाजी लेमनचूस का स्वाद बताते नहीं अघा रहे हैं, तो दादी अम्मा गोटी खेल के बारे में पोतियों को बता रही हैं। कहते हैं, तुम्हारे कैडबरीज में खाक स्वाद है, जो हमारे लेमनचूस में हुआ करता था। कोई कितकित खेल रहा है तो कोई लूडो। लूडो में 'बेईमांटीस' पर विशेष नजर है। सभी एक साथ बैठकर अंत्याक्षरी खेल रहे हैं। चलो अच्छा ही है, कोरोना ने बड़ों को बीते हुए दिन लौटा दिए हैं। नाराज मत होइए, मेडल चाहिए
हाल ही में नोवामुंडी में आयोजित झारखंड राज्य जूनियर व सब जूनियर मुक्केबाजी चैंपियनशिप में विजेता खिलाड़ियों को पदक नहीं मिला। यह खबर सुर्खियां क्या बनीं, आयोजकों के माथे पर बल पड़ गए। अपने मातहतों पर खिसियाने लगे। कहने लगे- आप सबने मिट्टी पलीद कर दी। राज्य मुक्केबाजी संघ जल्द से जल्द इस 'उत्तम प्रबंध' का पटाक्षेप करना चाहता था, तभी कोरोना बाबा आ धमके। अब आयोजकों के पास माथा पीटने के अलावा कोई चारा नहीं है। जिला प्रशासन का आदेश है, भीड़ इकट्ठा नहीं करना है। उधर, खिलाड़ियों के अभिभावक बोल रहे हैं, 'साहब, नाराज मत होइए, मेडलवा दे दीजिए और मामल को खतम कीजिए।' गौरतलब है कि झारखंड मुक्केबाजी संघ के अध्यक्ष टाटा स्टील के वरीय अधिकारी सुरेश दत्त त्रिपाठी व सचिव उत्तम सिंह हैं। अब खिलाड़ियों के गले की शोभा बढ़ाने वाला यह मेडल पदाधिकारियों के गले की हड्डी बन गई है। हलक में अटक गई है।