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यहां ओडीएफ मतलब आउटडोर फैसिलिटी, शौचालय-कमरे जर्जर

चांडिल अनुमंडल का एकमात्र चांडिल डिग्री कालेज का 50 शैय्या वाला आदिवासी कल्याण छात्रवास। यहां ओडीएफ का मतलब आउटडोर फैसिलिटी है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Thu, 28 Mar 2019 09:09 PM (IST)Updated: Fri, 29 Mar 2019 10:37 AM (IST)
यहां ओडीएफ मतलब आउटडोर फैसिलिटी, शौचालय-कमरे जर्जर
यहां ओडीएफ मतलब आउटडोर फैसिलिटी, शौचालय-कमरे जर्जर

जमशेदपुर [दिलीप कुमार]।  झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिले के चांडिल अनुमंडल का एकमात्र चांडिल डिग्री कालेज का 50 शैय्या वाला आदिवासी कल्याण छात्रवास। यहां ओडीएफ का मतलब आउटडोर फैसिलिटी है। करें भी क्या? कुल पांच शौचालय हैं। पचास विद्यार्थियों के हिसाब से यह संख्या काफी कम है। मजबूरन खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है। 

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छात्रवास का निर्माण वर्ष 1995-96 में हुआ था। आज हालत यह है कि बारिश के दौरान छत से रिसकर पानी टपकता रहता है। बारहों महीने सीलन व बदबू के बीच समय गुजरता है। छतों के प्लास्टर टूट-टूटकर गिर रहे हैं। सबसे ज्यादा खराब हालत किचन की है। सीलिंग का काफी सारा प्लास्टर गिर चुका है और कोई भरोसा नहीं कि कब भरभराकर पूरी छत गिर जाए। इस आशंका में छात्र बाहर खुले में मिट्टी के चूल्हे पर खाना पकाते हैं।

बालिका छात्रावास को 14 साल में नहीं मिली छात्राएं, रह रहे छात्र

कालेज परिसर में अनुसूचित जाति की बालिकाओं के लिए बने 50 शैय्या वाले छात्रवास का निर्माण 2004 में कराया गया था। मजे की बात यह कि बीते 14 साल में एक भी छात्र इस छात्रावास के लिए नहीं मिली। किसी ने भी रहने के लिए आवेदन नहीं दिया। उधर, छात्रों का हास्टल जर्जर व खतरनाक होता चला गया। बालिकाओं के छात्रावास में अब छात्र रह रहे हैं। इसके लिए उन्हें अस्थायी तौर पर अनुमति दी गई है। हालांकि, इस छात्रवास में अबतक पानी की व्यवस्था नहीं है। छात्रवास में बने आठ शौचालय और छह स्नानागार बेकार पड़े हैं। इन शौचालय दरवाजे तक नहीं हैं। यहां के दरवाजे दीमक चट कर चुके हैं। इस छात्रवास में ना अधीक्षक हैं ना बावर्ची और ना सुरक्षा प्रहरी।

बावर्ची की नहीं सुविधा, खुद जमा करते राशन, पकाते भोजन

छात्रावास में न पाकशाला है और ना बावर्ची। यहां विद्यार्थियों को राशन भी नहीं मिलता है। छात्रवास के छात्र खुद राशन लाते हैं और आपस में मिलाकर खुद खाना पकाते हैं। छात्रवास परिसर में कुल चार चापाकल में मात्र एक चापाकल से पानी निकलता है। इसी से पूरे छात्रवास के छात्र अपनी प्यास बुझाते हैं।

सिर्फ सर्वे, मरम्मत नहीं

मरम्मत के लिए कई बार आग्रह किए जाने के बाद कल्याण विभाग ने छात्रवास का सर्वे किया, लेकिन कोई पहल नहीं की गई। यहां रहने वाले विद्यार्थियों के लिए दोनों छात्रवास मिलाकर पर्याप्त कमरे और बेड हैं, फिर भी संसाधनों के अभाव के कारण परेशानी होती है।

-डॉ. सुनील मुमरू, छात्रवास अधीक्षक

छात्र खुद करते सफाई

विभाग को कई बार पत्र लिख कर छात्रवास की समस्या दूर करने की मांग की गई, पर समाधान नहीं हुआ है। सफाई कर्मी नहीं होने के कारण छात्रों को खुद ही पूरे छात्रवास की सफाई करनी पड़ती है।

-उमेश सिंह मुंडा, छात्रवास के छात्र प्रमुख

बरसात में रतजगा की मजबूरी

छात्रावास में पंखा नहीं रहने के कारण गर्मी में परेशानी होती है। बरसात में छत से पानी टपकता है। रात जागकर बितानी पड़ती है। छात्रवास में बिजली, पानी की समस्या है। भवन कब गिर जाए कहा नहीं जा सकता। हमेशा हमसब दहतश में रहते हैं।

-गंगाधर सिंह मुंडा, विद्यार्थी


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