स्टील वेज की तरह एनएस ग्रेड को नहीं दे सकते सुविधाएं : एमडी
टाटा स्टील के ओल्ड (स्टील वेज) ग्रेड जैसी सुविधाएं एनएस ग्रेड में कार्यरत कर्मचारियों को नहीं दे सकते हैं।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : टाटा स्टील के ओल्ड (स्टील वेज) ग्रेड जैसी सुविधाएं एनएस ग्रेड में कार्यरत कर्मचारियों को नहीं दे सकते हैं। फिलहाल प्रबंधन यह देख रहा है कि ओल्ड ग्रेड सीरीज को जो भी सुविधाएं मिलती हैं, वह भी कितना उचित है।
टाटा स्टील के मासिक कार्यक्रम एमडी ऑनलाइन में इक्यूपमेंट मेंटनेंस से कमेटी मेंबर आरआर शरण के सवाल का जवाब देते हुए ये बातें कंपनी के सीईओ सह एमडी टीवी नरेंद्रन ने कहीं। शरण का सवाल था कि ओल्ड ग्रेड में कार्यरत सुपरवाइजरों को सुपरवाइजरी गेट-टू-गेदर ग्रांट मिलता है जबकि एनएस ग्रेड के सुपरवाइजर इस सुविधा से वंचित हैं। उन्हें भी इसका लाभ दिया जाए। जवाब में एमडी ने कहा कि कंपनी के अपने उसूल हैं। ओल्ड सीरीज और न्यू सीरीज ग्रेड में कार्यरत कर्मचारियों को मिलने वाली सुविधाएं भी अलग-अलग हैं। कुछ नियम व शर्तो के साथ न्यू सीरीज ग्रेड बना था। ये पॉलिसी का विषय है और इस पर प्रबंधन, टाटा वर्कर्स यूनियन नेतृत्व से ही बात करता है। कंपनी में कार्यरत लगभग 7000 एनएस ग्रेड कर्मचारी लंबे समय से स्टील वेज की तर्ज पर वेतन और अन्य सुविधाएं देने की मांग कर रहे हैं। वहीं, एनएस ग्रेड में कार्यरत कमेटी मेंबर यूनियन नेतृत्व पर दबाव बनाए हुए हैं कि उन्हें भी समान काम के लिए समान वेतन मिलना चाहिए। एमडी ने नई दिल्ली स्थित सेल्स ऑफिस से वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से कर्मचारियों के सवालों का जवाब दिया। वहीं, भुवनेश्वर, नोवामुंडी, सुकिंदा, सिंगापुर, थाइलैंड, कलिंगानगर, कोलकाता व मुंबई से जुड़े अधिकारियों से मई में किए गए कार्यो की समीक्षा भी की। स्टील व एनएस ग्रेड की सुविधाओं में अंतर
-स्टील वेज को डीए प्रतिशत में जबकि एनएस ग्रेड को परप्वाइंट में रुपया मिलता है।
-स्टील व एनएस ग्रेड के इंसेंटिव बोनस के परप्वाइंट वैल्यू में भी अंतर है।
-दोनों ग्रेड के कर्मचारियों के व्हीकल एलाउंस में भी अंतर।
-स्टील वेज के सुपरवाइजरों को मिलता है सुपरवाइजरी ग्रांट। जबकि एनएस-7 में कार्यरत कर्मचारियों को नहीं।
-स्टील व एनएस ग्रेड कर्मचारियों के लीव ट्रैवल्स एलाउंस (एलटीसी) की राशि में भी अंतर।
-स्टील वेज को वार्षिक इंक्रीमेंट 3 प्रतिशत जबकि एनएस ग्रेड को फिक्स एमाउंट।
-ग्रेड रिवीजन में भी स्टील वेज कर्मचारियों को मीनिमम गारेंटेड बेनीफिट (एमजीबी) प्रतिशत में जबकि एनएस ग्रेड को तय निर्धारित राशि में पैसा मिलता है। स्टार रेटिंग के आधार पर मिलेंगे भविष्य में काम
कार्यक्रम के दौरान कंपनी की ओर से एथिक्स पर एक अधिकारी ने जानकारी दी। बताया कि टाटा स्टील प्रतिवर्ष वेंडर कंपनियों का सीएमएस समीक्षा कराती है। इसमें वेंडर कंपनियों को जो स्टार रेटिंग तय होते हैं उसके आधार पर ही भविष्य में उन्हें काम आवंटित किए जाते हैं। लेकिन कुछ वेंडर कंपनियां बाहरी ऑडिटर को सुविधाएं देकर अपने मन मुताबिक रिपोर्ट तैयार करा लेती हैं। इस पर एमडी ने कहा कि सभी लोकेशन में कार्यरत वेंडर कंपनियां इस ऑडिट को गंभीरता से लें। कंपनी किसी भी सूरत में सेफ्टी से समझौता नहीं करेगी।
कलिंगानगर को फणि से काफी नुकसान
कलिंगानगर प्लांट के वाइस प्रेसिडेंट (ऑपरेशन) राजीव कुमार ने बताया कि फणि तूफान प्लांट को काफी नुकसान हुआ। कंपनी इंजीनियरिग एंड प्रोजेक्ट की मदद से सीख ले रही है कि भविष्य में तूफान आए तो उससे कैसे निपटा जा सकता है। एमडी ने दिलाई सस्टेनबिलिटी की शपथ
टाटा स्टील में सस्टेनबिलिटी माह का शुभारंभ हुआ। एमडी ने सभी कर्मचारियों को सस्टेनबिलिटी की शपथ दिलाई। कहा कि हमें सेफ्टी और पर्यावरण संरक्षण पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। कंपनी नियमित रूप से कर्मचारियों को इसके लिए ट्रेनिंग देकर जागरूक कर रही है। बजट के बाद बेहतर बाजार की उम्मीद
मार्केट एंड सेल्स विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पांच जुलाई को केंद्र सरकार अपना पूरक आम बजट पेश करेगी। उम्मीद है कि इसके बाद बाजार बेहतर होंगे। हालांकि ऑटोमोबाइल सेक्टर में नरमी बनी हुई है। लेकिन हमें इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर से बहुत उम्मीदें हैं। इससे स्टील की डिमांड बढ़ेगी।
एक माह में टूटने शुरू हो जाएंगे खाली क्वार्टर
मिल्स एंड मैकेनिकल विभाग से अनवर अहमद ने कंपनी के खाली क्वार्टरों में असामाजिक तत्वों का कब्जा होने का मामला उठाया। कहा कि धातकीडीह, बीएच एरिया सहित शहर के अन्य जगहों पर दर्जनों क्वार्टरों में मात्र एक या दो क्वार्टर में ही कर्मचारी रहते हैं। रात दस बजते ही खाली क्वार्टरों में असामाजिक तत्वों का जमावड़ा हो जाता है। इससे कर्मचारी डरे रहते हैं। इस पर कॉरपोरेट रिलेशन चीफ रितूराज सिन्हा ने कहा कि एक माह के अंदर क्वार्टरों को तोड़ने का काम शुरू हो जाएगा। वहीं, उन्होंने धातकीडीह सहित कुछ इलाकों में गंदे पानी की सप्लाई का भी मामला उठाते हुए जांच की मांग की। ढाई माह से नहीं मिल रहा खर्च
आरआर शरण का कहना था कि उनके विभाग में एक कर्मचारी ने जॉब फॉर जॉब के तहत अपने बेटे को मार्च में नौकरी दी। लेकिन लगभग ढाई माह बीतने के बावजूद उन्हें कंपनी से मिलने वाला मासिक खर्च नहीं मिल रहा है। इस पर वाइस प्रेसिडेंट (एचआरएम) एसडी त्रिपाठी ने कहा कि वे इस मामले को देखकर बता पाएंगे। उन्होंने सवाल उठाया कि टीएमएच में फैटी लीवर के लिए एलसीएम टेस्ट की सुविधा नहीं है। अस्पताल प्रबंधन द्वारा शहर के निजी अस्पतालों में टेस्ट के लिए भेजा जाता है।