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अब बिरसा चौक के लिए शुरू हुआ हस्ताक्षर अभियान Jamshedpur News

शहर के साकची गोलचक्कर पर 15 नवंबर को शहीद स्मारक समिति ने पत्थलगड़ी की थी और इस गोल चक्कर का नाम बिरसा चौक रख दिया था। गोलचक्कर पर लगे हाईमास्ट लाइट के खंभे में बिरसा चौक के नाम से एक पोस्टर लगाया गया था।

By Vikram GiriEdited By: Published: Fri, 20 Nov 2020 02:28 PM (IST)Updated: Fri, 20 Nov 2020 02:28 PM (IST)
अब बिरसा चौक के लिए शुरू हुआ हस्ताक्षर अभियान Jamshedpur News
अब बिरसा चौक के लिए शुरू हुआ हस्ताक्षर अभियान। जागरण

जमशेदपुर (जागरण संवाददाता) । शहर के साकची गोलचक्कर पर 15 नवंबर को शहीद स्मारक समिति ने पत्थलगड़ी की थी और इस गोल चक्कर का नाम बिरसा चौक रख दिया था। गोलचक्कर पर लगे हाईमास्ट लाइट के खंभे में बिरसा चौक के नाम से एक पोस्टर लगाया गया था। वहां एक बड़े पत्थर को हरे रंग से रंग कर उस पर बिरसा चौक लिखकर वहां गाड़ दिया गया था। इस कार्यक्रम में जुगसलाई के विधायक मंगल कालिंदी नेतृत्व कर्ता के रूप में शामिल थे। इसे लेकर दबी जुबान से चर्चा होने लगी कि कोई भी व्यक्ति या संस्था शहर के बीचों-बीच पत्थलगड़ी कैसे कर सकता है। यह क्षेत्र टाटा स्टील के अधीन आता है।

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लोग सवाल उठाने लगे कि क्या इसके लिए जिला प्रशासन या टाटा स्टील से अनुमति ली गई है। शायद यही वजह है कि शहीद स्मारक समिति ने शुक्रवार को हस्ताक्षर अभियान शुरू किया है। समिति के सदस्यों का कहना है साकची गोलचक्कर का नामकरण बिरसा चौक करने के समर्थन में हस्ताक्षर कराकर एक ज्ञापन झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सौंपा जाएगा। इसका उद्देश्य मुख्यमंत्री से संवैधानिक समर्थन लेना है। शायद सरकार हमें यहां बिरसा मुंडा की प्रतिमा लगाने की अनुमति दे सकती है।

ऐसा होगा तो किसी को हम पर अंगुली उठाने की नौबत नहीं आएगी। ज्ञात हो कि इससे पहले झारखंड के स्थापना दिवस और भगवान बिरसा मुंडा जयंती के दिन यह पत्थलगड़ी साकची गोलचक्कर पर की गई थी। विधायक मंगल कालिंदी ने कहा था कि साकची या जमशेदपुर झारखंड में है, जहां के लोग धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की पूजा करते हैं। बिरसा मुंडा की पूजा मुख्यमंत्री और राज्यपाल भी करते हैं। उन्हीं की जयंती पर झारखंड राज्य की स्थापना हुई थी। ऐसे में यदि हम जमशेदपुर में बिरसा मुंडा की मूर्ति लगाते हैं तो किसे आपत्ति हो सकती है।

कालिंदी ने कहा कि मेरा मानना है कि हमें पूरे राज्य के हर चौक-चौराहे पर महान स्वतंत्रता सेनानियों-क्रांतिकारियों और ऐसे महापुरुषों की मूर्ति लगानी चाहिए, जिनका योगदान इस देश, राज्य और समाज को एक नई दिशा देने में रहा है। ऐसा होगा, तभी हमारी आने वाली पीढ़ी इनके बारे में जान सकेगी। आज भी कई ऐसे महापुरुष हैं, जिनकी कृतियां इतिहास के पन्नों में गुम होकर रह गई हैं। क्या हमारा यह दायित्व नहीं है कि हम नई पीढ़ी को अपने देश के महापुरुषों के बारे में बताएं।


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