अब लोगों के लिए घर बनाना हुआ महंगा...बालू, गिट्टी के दाम में बेतहाशा बढ़ोतरी... देखिए कितने बढ़े दाम
गिट्टी का मूल्य 31 मार्च को ₹700 टन था जो आज बढ़कर अट्ठारह सौ रुपये टन हो चुका है। पीएम आवास एवं अंबेडकर आवास के लाभुक कहते हैं कि जो पैसा मिला है। उससे आवास बनाना काफी मुश्किल है।
जमशेदपुर, जासं। पोटका प्रखंड से 31 मार्च को जैसे ही 16 स्टोन माइन्स का लीज समाप्त हुए, वैसे ही जिन लीज होल्डर के लीज समाप्त नहीं हुए उनकी चांदी ही चांदी हो गई है। झारखंड सरकार के कड़े निर्देश के बाद उपायुक्त विजया जाधव के निर्देश पर अवैध माइनिंग पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। वहीं दूसरे राज्यों से उड़ीसा एवं बंगाल से आने वाले गिट्टी एवं बालू पर भी रोक है, क्योंकि इन दोनों राज्यों के चालान को वैध नहीं मान रहा है। जिला प्रशासन दूसरी तरफ कुछ दिनों पहले बहारागोरा के समीप बंगाल से बालू आना शुरू हुआ है, उसकी मूल्य इतना ज्यादा है कि लोग गृह निर्माण का कार्य नहीं कर सकते। 31 मार्च तक जहां एक सौ सेफ्टी बालू की कीमत 2500 रुपये से 3000 रुपये थी, आज वह बढ़कर 6000 रुपये पहुंच चुकी है।
दूसरी ओर गिट्टी का मूल्य 31 मार्च को ₹700 टन था, जो आज बढ़कर अट्ठारह सौ रुपये टन हो चुका है। पीएम आवास एवं अंबेडकर आवास के लाभुक कहते हैं कि जो पैसा मिला है। उससे आवास बनाना काफी मुश्किल है। इसलिए पोटका के 140 प्रधानमंत्री आवास एवं 50 अंबेडकर आवास का कार्य पूरी तरह से ठप हो चुका है। जल्द ही पत्थर एवं बालू घाट लीज नहीं हो पाता है, तो स्थिति और भी ज्यादा विकराल होने की संभावना है। बात करें गिट्टी की तो इन दिनों जिनके पास लीज अब तक समाप्त नहीं हुआ है, वैसे संवेदक खूब लूट रहे हैं। गिट्टी के लिए 3 दिन पहले पैसा जमा करना पड़ता है, इसके बाद ₹700 टन की गिट्टी अट्ठारह सौ रुपया भुगतान करना पड़ रहा है।
वहीं जिला प्रशासन की नजर इस ओर नहीं है। और ना ही इस पर रोक लगाने की कोई व्यवस्था है, जिसके कारण मनमाना लूट मचा हुआ है। जबकि इन 3 महीनों में न तो पेट्रोल डीजल के दाम बढ़े और न ही ऐसे कोई सरकार द्वारा रॉयल्टी बढ़ाया गया, इसके बाद भी मूल्य में बेहताशा वृद्धि होने से प्रधानमंत्री आवास, अंबेडकर आवास तथा अन्य आवास निर्माण का कार्य पूरी तरह से ठप हो चुका है। संवेदक जितेंद्र कुमार श्रीवास्तव के नाम पर लखन साई का लीज है, मगर अनिल कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि हम लोग 31 मार्च तक ₹240 टन बोल्डर बेचते थे, अब ₹300 टन बोल्डर बेच रहे हैं, वहीं क्रेशर में गिट्टी बनने के बाद 1100 से 1200 टन तथा वाहन का भाड़ा जोड़ने से हो सकता है कि मूल्य इतना ज्यादा भाग रहा हो, मगर पहले एक हाईवा में 30 टन लोड किया जाता था मगर अब वही 17 से 18 टन ही लोड हो पा रहा है। इसके कारण वाहन का भाड़ा भी काफी ज्यादा बढ़ रहा है। इसलिए हो सकता है गिट्टी के दाम में बढ़ोतरी हुई है, मगर इतना ज्यादा भी नहीं होना चाहिए। यदि सरकारी नियम की बात करें तो ₹30 पर सेफ्टी के हिसाब से गिट्टी तथा 7.8 रुपये प्रति सेफ्टी रॉयल्टी का प्रावधान है। मगर क्रेशर मालिक ₹30 पर सेफ्टी का चालान देकर ₹48 पर सेफ्टी की ले रहे हैं। साथ ही साथ 7.8 रुपए रॉयल्टी की जगह ₹12 प्रति सेफ्टी रॉयल्टी वसूली की जा रही है। लीडिंग कंस्ट्रक्शन के संवेदक सोनू सिंह से बात की गई तो उनका कहना है कि मेरा खुद का गिट्टी का खपत है। मैं बाजार में नहीं बेचता मगर कहीं न कहीं गिट्टी का दाम बताने में कतरा रहे हैं संवेदक।