Engineers Day 2021: जब लालू प्रसाद ने रोक दिया था स्वर्णरेखा का पानी, तब भी नहीं हुआ था जमशेदपुर में पेयजल संकट
Engineers Day 2021 विश्वेश्वरैया के योगदान से जमशेदपुर में कभी पेयजल संकट नहीं हुआ। तब भी जब वर्ष 1994-95 में संयुक्त बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने स्वर्णरेखा का पानी रोक दिया था। डिमना से पेयजल व्यवस्था सुचारू रही थी।
वीरेंद्र ओझा, जमशेदपुर। भारत रत्न सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया के जन्मदिन को ही पूरा देश अभियंता दिवस के रूप में मनाता है। उन्हें लोग अलग-अलग वजहों से याद करते हैं, लेकिन जमशेदपुर से उनका खास लगाव रहा है। विश्वेश्वरैया की वजह से ही आज तक जमशेदपुर में कभी पेयजल संकट नहीं हुआ। यह इसलिए हुआ, क्योंकि विश्वेश्वरैया ने 1944 में ही डिमना लेक का निर्माण करा दिया था।
विश्वेश्वरैया टाटा स्टील के 1927 से 1955 तक निदेशक मंडल में रहे। इसी बीच उन्होंने शहर व टाटा स्टील की जलापूर्ति व्यवस्था के लिए मानगो से करीब 14 किलोमीटर दूर पूर्वी सिंहभूम जिले के बोड़ाम प्रखंड में 93.30 वर्ग किलोमीटर में झील का निर्माण कराया था। उससे पहले शहर और कंपनी में स्वर्णरेखा नदी से जलापूर्ति की व्यवस्था थी, जो आज भी है। उस वक्त भी कंपनी ने डिमना लेक को विकल्प के रूप में बनाया था। आज भी जब स्वर्णरेखा नदी में पानी कम हो जाता है, तभी डिमना लेक से जलापूर्ति की जाती है। इस झील की क्षमता 3400 मिलियन लीटर है।
इस वजह से लालू प्रसाद ने रोक दिया था पानी
टाटा स्टील के तत्कालीन सीनियर जनरल मैनेजर (वर्क्स) राजेश प्रकाश त्यागी बताते हैं कि वर्ष 1994-95 में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने यह कहते हुए स्वर्णरेखा का पानी बंद कर दिया था कि जब तक टाटा स्टील जल-कर का भुगतान नहीं करती, एक बूंद पानी नहीं दिया जाएगा। त्यागी बताते हैं कि स्वर्णरेखा नदी के तट पर बना कंपनी का पंप हाउस कई दिन तक बंद रहा। बिहार सरकार के आदेश के खिलाफ टाटा स्टील पटना हाईकोर्ट गई, जहां हमने तर्क दिया कि नदी प्रकृति की देन है और इसके पानी पर वहां रहने वालों का मौलिक अधिकार है। इसी आधार पर कोर्ट से हमें जीत मिली। इस अवधि में डिमना लेक से शहर और कंपनी में जलापूर्ति होती रही, कभी संकट नहीं हुआ। हालांकि उस दौरान हम एक बूंद पानी भी बर्बाद नहीं होने दिया। उस समय हमें विश्वेश्वरैया बहुत याद आए। यदि उन्होंने डिमना लेक नहीं बनवाया हाेता तो क्या होता, इसकी बस कल्पना ही की जा सकती है। विश्वेश्वरैया ने ही कर्नाटक का कृष्णराज सागर बांध बनाया था।
डिमना लेक से वाटर फिल्टर हाउस तक चार पाइपलाइन
आरपी त्यागी बताते हैं कि विश्वेश्वरैया कितने दूरदर्शी थे, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने डिमना लेक से साकची स्थित वाटर फिल्टर व पंपिंग स्टेशन तक चार पाइपलाइन बिछाने की सलाह दी थी। इसमें एक पाइप से पानी खींचने के लिए साकची से पंपिंग की जाती है, जबकि दूसरे पाइप से पानी आता है। दोनों के लिए एक-एक अतिरिक्त पाइप लगाया गया है, ताकि आपात स्थिति में एक पाइप खराब हो जाए, तो दूसरे पाइप से जलापूर्ति होती रहे। अमूमन देश के अन्य शहरों में इस तरह की जलापूर्ति व्यवस्था नहीं है, जबकि इसके पाइपलाइन के ऊपर डिमना रोड का डिवाइडर बना हुआ है। इस पर पेड़ भी लगे हैं। हर दिन सब्जी बाजार भी लगता है।