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कहीं बोनस की खुशी तो कहीं वेतन को मोहताज

दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी में कार्यरत 42 से अधिक मजदूरों को पांच माह से वेतन नहीं मिला है। इससे उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 26 Aug 2018 05:23 PM (IST)Updated: Sun, 26 Aug 2018 05:23 PM (IST)
कहीं बोनस की खुशी तो कहीं वेतन को मोहताज
कहीं बोनस की खुशी तो कहीं वेतन को मोहताज

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : लौहनगरी में एक ओर टाटा स्टील में बोनस समझौता होने से टाटा के हजारों कर्मचारियों के बीच खुशी का माहौल है, तो कहीं ऐसे कर्मचारी भी हैं जो वेतन को मोहताज हैं। दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी में विभिन्न जगहों पर कार्यरत 42 से अधिक मजदूरों को पांच माह से वेतन नहीं मिला है। दूरदराज के गांवों में रहनेवाले मजदूर वेतन के लिए दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी के रेंज कार्यालय मानगो का चक्कर काट रहे हैं, लेकिन सरकार द्वारा आवंटन नहीं भेजने के कारण चाहकर डीएफओ व रेंजर कुछ नहीं कर पा रहे हैं। दैनिक वेतनभोगी मजदूर गुरुचरण मुर्मू कहते हैं कि पिछले पांच माह से वेतन नहीं मिलने के कारण घर में खाना-पीना मुश्किल हो गया है। दुकानदार ने उधार में राशन देना बंद कर दिया है। इसी तरह गोविंद चाकी कहते हैं कि वेतन नहीं मिलने के कारण घर चलाना मुश्किल हो रहा है। कार्यालय आने पर रेंजर साहब अपना जेब से कुछ राशि उपलब्ध कराए, जिससे कुछ दिनों तक काम चला। इसी तरह शमीम अख्तर बेग कहते हैं कि वेतन की आस में मेरा पर्व बकरीद भी पार गया, लेकिन वेतन नहीं मिला। वेतन नहीं मिलने के कारण मेरा बकरीद जैसा पर्व फीका मनाना पड़ा। वेतन नहीं मिलने से जगत सिंह, भीष्म सिंह, गिरी उरांव, धनंजय सिंह आदि मजदूरों ने बताया कि अप्रैल 2018 से वेतन नहीं मिला है। ऐसी हालत में बच्चों की पढ़ाई, दवा से लेकर खाना-पीना मुश्किल हो गया है। उन्होंने रेंजर व डीएफओ से मांग किया कि जल्द से जल्द बकाया वेतन का भुगतान कराया जाए ताकि घर परिवार का खाना-पीना व दुकानदारों का बकाया का भुगतान किया जा सके।

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इस बाबत पूछने पर दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी के रेंज ऑफिसर आरपी सिंह ने कहा कि दैनिक वेतनभोगियों को पिछले पांच माह से वेतन नहीं दिया गया था, जिसके कारण मजदूरों की आर्थिक स्थिति बहुत ही खराब हो गयी थी। अत्यंत जरूरतमंद को अपने जेब से कुछ राशि देते गए ताकि घर परिवार चल सके। एक सप्ताह के अंदर वेतन भुगतान करा दिया जाएगा।


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