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इस गांव का कोई व्यक्ति कभी ट्रेन में नहीं चढ़ा, बस देखी है ट्रेन की तस्वीर

संथाली बोलने वाले आदिवासियों का ये गांव देश-दुनिया से ऐसा कटा हुआ है कि यहां के लोग अपने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री तक का नाम भी नहीं जानते।

By BabitaEdited By: Published: Mon, 23 Jul 2018 10:00 AM (IST)Updated: Mon, 23 Jul 2018 10:09 AM (IST)
इस गांव का कोई व्यक्ति कभी ट्रेन में नहीं चढ़ा, बस देखी है ट्रेन की तस्वीर
इस गांव का कोई व्यक्ति कभी ट्रेन में नहीं चढ़ा, बस देखी है ट्रेन की तस्वीर

जमशेदपुर, मुजतबा हैदर रिजवी। जिला मुख्यालय जमशेदपुर से 45 किलोमीटर दूर पहाड़ों की गोद में बसे जरकी गांव का कोई भी बाशिंदा रेलगाड़ी पर सवार नहीं हो सका है। गांव में किसी ने रेलगाड़ी देखी तक नहीं है। संथाली बोलने वाले आदिवासियों का ये गांव देश-दुनिया से ऐसा कटा हुआ है कि यहां के लोग अपने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री तक का नाम भी नहीं जानते।

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शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सेवाओं से महरूम इस गांव के लोग संचार तकनीक से भी कोसों दूर हैं। 150 की आबादी वाले इस गांव में पहुंचने के लिए पथरीली सड़क है, जिस पर पैदल चलना भी दुश्वार है। गांव में एक भी पक्का घर नहीं है। यहां के ज्यादातर लोग गांव में ही रह कर अपनी रोजी-रोटी का जुगाड़ करते हैं। लोगों का मुख्य धंधा लकड़ी काटने का है। जंगलों से थोड़ी-बहुत लकड़ी काटने के बाद पटमदा में इसे बेच कर नकदी हासिल कर लेते हैं। ज्यादातर लोग पटमदा के आगे नहीं गए हैं। गांव के ही नारायण टुडू की मानें तो कभी ऐसी जरूरत ही नहीं पड़ी कि कोई कहीं जाए। यही वजह है कि ये लोग कभी ट्रेन में नहीं चढ़े।

वासुदेव बताते हैं कि उन्होंने रेलगाड़ी की तस्वीर भर देखी है। पंचायत के प्रधान शिव चरण सिंह सरदार बताते हैं कि यहां के लोग आसपास के गांव तक ही सीमित हैं। इसलिए इन्हें कभी बाहर जाने की जरूरत ही नहीं पड़ी। गांव के आठ-10 लोग रोज जमशेदपुर आते-जाते हैं। यहां वो मजदूरी करते हैं। इन लोगों के पास कीपैड मोबाइल है। 

पीएम व सीएम का नाम नहीं जानते गांव वाले

जरकी गांव में समाचार का कोई साधन नहीं है। इस वजह से यहां के लोगों को देश-दुनिया की जानकारी नहीं हो पाती। गांव के लोगों को ये तक नहीं पता कि उनका प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री कौन है। किस राजनीतिक दल की सरकार है। गांव के धरानी टुडू बताते हैं कि वोट देने के लिए उन्हें चार किलोमीटर दूर पाकोटोला गांव जाना पड़ता है। जो लेकर जाता है वो जिस निशान पर बताता है वहीं वोट दे देते हैं। 


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