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राम मंदिर से जुड़ी हैं नेताजी की यादें, टाटा स्‍टील से दिलाई थी जमीन Jamshedpur News

झारखंड के जमशेदपुर के बिष्टुपुर स्थित राम मंदिर की स्थापना में नेताजी सुभाष चंद्र बोस का भी अहम योगदान रहा है। उन्‍होंने ही मंदिर के लिए जमीन दिलवायी थी।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sun, 23 Feb 2020 04:40 PM (IST)Updated: Sun, 23 Feb 2020 04:40 PM (IST)
राम मंदिर से जुड़ी हैं नेताजी की यादें, टाटा स्‍टील से दिलाई थी जमीन Jamshedpur News
राम मंदिर से जुड़ी हैं नेताजी की यादें, टाटा स्‍टील से दिलाई थी जमीन Jamshedpur News

जमशेदपुर,वेंकटेश्वर राव।  Netaji Subhash Chandra Bose memories are associated with Ram temple जमशेदपुर में रहने वाले दक्षिण भारतीयों की आस्था का केंद्र है बिष्टुपुर स्थित राम मंदिर। इसे आंध्र भक्त श्री राम मंदिरम के नाम से लोग पुकारते हैं। शहर में इस मंदिर की स्थापना वर्ष 1919 में हुई थी। गर्व की बात यह है कि इस मंदिर के लिए वर्ष 1929 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने स्थाई रूप से लीज पर जमीन मुहैया कराने में भूमिका अदा की थी।

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चूंकि यह इलाका टाटा स्टील का लीज क्षेत्र है, इसलिए मंदिर के लिए स्थाई रूप से जमीन मिलना संभव नहीं था। लेकिन, दक्षिण भारतीय लोगों के आग्रह पर नेताजी ने इसके लिए पहल की। टाटा स्टील कंपनी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की बात टाल नहीं सकी। अंतत: मंदिर के निर्माण के लिए स्थाई रूप से जमीन मिल गई। इस समुदाय से जुड़े बुजर्ग बताते हैं कि आंध्र भक्त श्रीमंदिर बिष्टुपुर की शुरुआत वर्ष 1919 में हुई थी। विशाखापट्टनम से आए भजन मंडली के सदस्यों ने मिलकर इसकी नींव रखी थी।उस समय टीन शेड में भगवान श्रीराम और अन्य देवी देवताओं की पूजा होती थी। उनके सम्मान में भजन गाए जाते थे। इस मंडली में वी नरसिम्हा, ई बुच्चु राजू, दामोदर लक्ष्मण दास और उनके साथी शामिल थे। सभी लोग आरएन वन टाइप क्वार्टर में एक शेड बनाकर श्रीराम की पूजा करते थे। इस क्वार्टर के मालिक कंपारंग नायकुल्लू थे।

मंदिर परिसर में पीपल का पेड़ भी 60 साल पुराना

बिष्टुपुर राम मंदिर परिसर में स्थापित पीपल का पेड़ भी 60 साल पुराना है। यहां भी लोग पूजा-पाठ करते हैं। इसका पौधरोपण पूर्व राष्ट्रपति वीवी गिरी ने किया था। हाल ही में इस पेड़ को कांट-छांट कर ठीक किया गया है। इसके चबूतरे को और सुंदर बना दिया गया है। गर्मी के मौसम में इसके नीचे जब आप बैठेंगे तो आनंदित हो उठेंगे।

वर्ष 1922 में लग गई थी आग

वर्ष 1922 में शेड में आग लग गई थी। इसके बाद बिष्टुपुर में वर्ष 1923 में वर्तमान जगह पर टाटा स्टील ने एक छोटा-सा प्लॉट आवंटित कर दिया। वर्ष 1929 में टाटा स्टील ने स्थायी रूप से 120 गुने 180 वर्ग फीट का एक प्लॉट आवंटित कर दिया और मैनेजमेंट को मंदिर बनाने की अनुमति प्रदान कर दी। यह मंदिर दो वर्ष के भीतर बनकर तैयार हो गया। वर्तमान में मंदिर में भगवान गणोश, राम-सीता-लक्ष्मण और हनुमान, शंकर, नवग्रह, राधा कृष्ण, मां दुर्गा तथा भगवान बालाजी की मूर्तियां स्थापित हैं।


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