जिस कुर्सी और टेबल पर बैठे थे नेता जी, इस गांव की है धरोहर
जिस कुर्सी-टेबल पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस बैठे थे वह इस गांव की धरोहर है। झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के कालिकापुर में यह सहजकर रखी गई है।
घाटशिला (पूर्वी सिंहभूम), जेएनएन। जिस कुर्सी-टेबल पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस बैठे थे वह इस गांव की धरोहर है। झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के धालभूम के लोगों के मन में आजादी की भावना जागृत करने के लिए नेताजी सुभाष चंद्र बोस दौरे पर आए थे। जिनमें एक कालीकापुर गांव भी है। यह प्राचीन इतिहास वाला गांव है।
पहले धालभूम में दो थाना हुआ करते थे, एक घाटशिला व दूसरा कालिकापुर। कांग्रेस नेता सह प्रखंड अध्यक्ष कमल लोचन भकत तथा स्वर्गीय अतुल कृष्ण दत्त के प्रयत्नों से 5 दिसंबर 1939 को नेताजी जमशेदपुर से फोर्ड गाड़ी से कालिकापुर आए थे। नेताजी के स्वागत में लगभग 300 महिलाओं ने शंख बजाया था। इस स्वागत से अभिभूत नेताजी ने सभी का अभिवादन स्वीकार करते हुए अंग्रेजों को देश से भगाने के लिए प्रेरित करते हुए संदेश दिया था कि आजादी भीख मांगने से नहीं मिलेगी, लड़कर लेनी होगी। झूठ से कभी समझौता नहीं करना चाहिए।
नेताजी के संदेशों ने छोड़ा था असर
नेताजी के इस संदेश से क्षेत्र के लोगों पर काफी असर पड़ा था। सभा में स्वर्गीय कमल लोचन भकत ने कैमरा से दो फोटो खींची। इस दौरान कालिकापुर के ग्रामीणों ने नेताजी को दो मान पत्र भी दिए थे। कालिकापुर में जो मान (प्रशस्ति पत्र) दिया गया था तथा जिस कुर्सी पर नेताजी बैठे थे और जिस टेबल के सामने नेताजी ने खड़े होकर भाषण दिए थे और उस बिछाया हुआ टेबल क्लॉथ, मान पत्र, फोटो, कुर्सी आज भी स्वर्गीय कमल लोचन के पुत्र कुमुद रंजन भकत ने घर पर धरोहर के रूप में संभाल कर रखा हुआ है।
कालिकापुर में हुई थी सभा
कुमुद रंजन भकत ने बताया कि जिस समय नेताजी आए थे वे उस समय काफी छोटे थे। लेकिन उनकी आंखों में कालिकापुर में आयोजित बैठक में उमड़ी भीड़ आज भी जीवित है। वे कहते हैं कि उनके पिता कमल लोचन भकत के अनुसार नेताजी कालिकापुर में जनसभा करने के बाद घाटशिला एवं बहरागोड़ा में आम बैठक की थी। तथा खड़गपुर होते कलकत्ता चले गए। नेताजी को सभी बैठकों में दिया गया मान पत्र स्मृति के रूप में नेताजी ने कमल लोचन भकत को सौंप दिया। वे सारे पत्र आज भी कुमुद रंजन भकत के यहां संभाल कर रखे हुए हैं।