टाटा समूह को बड़ा झटका, साइरस मिस्त्री के मामले में NCLAT का बड़ा फैसला
नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) का बड़ा फैसला आया है। ट्रिब्यूनल ने साइरस मिस्त्री को टाटा समूह का कार्यकारी चेयरमैन बनाने को कहा है।
जमशेदपुर, जेएनएन। नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) का बड़ा फैसला आया है। इसके आलोक में टाटा संस से हटाए गए साइरस मिस्त्री फिर से कार्यकारी चेयरमैन के पद पर बहाल किए जाएंगे । ट्रिब्यूनल ने उनके हटाए जाने को गलत मानते हुए फिर से बहाल करने को कहा है। साथ ही एन चंद्रशेखरन को कार्यकारी चेयरमैन बनाए जाने को गलत माना है।
नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल ने बुधवार को यह फैसला दिया। ट्रिब्यूनल ने फैसले के लिए देश के सबसे बड़े कॉर्पोरेट युद्ध टाटा समूह-साइरस मिस्त्री मामले को सूचीबद्ध किया था। अपीलीय न्यायाधिकरण 2018 के बाद से इस मामले की सुनवाई कर रहा है। पहले इस साल जुलाई में अपना आदेश सुरक्षित रखा था। यह मामला एनसीएलएटी अध्यक्ष एसजे. की अदालत में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था।
छठे चेयरमैन थे साइरस
छठे अध्यक्ष के रूप में साइरस मिस्त्री 2012 से 2016 के बीच टाटा समूह के चेयरमैन रहे थे। उन्हें 24 अक्टूबर, 2016 को एक बोर्डरूम मीटिेंग में बाहर कर दिया गया था। 20 दिसंबर 2016 को टाटा संस और अन्य के खिलाफ उत्पीड़न और कुप्रबंधन को लेकर मुंबई के नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में मिस्त्री ने अपील की थी।
साइरस ने ये लगाए थे आरोप
हटाए जाने के बाद साइरस मिस्त्री ने टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन रतन टाटा पर हस्तक्षेप का आरोप लगाया था। इसके अलावा टाटा संस और समूह फर्मों की होल्डिंग कंपनी पर भी कई तरह के आरोप लगाए थे। मिस्त्री ने टाटा समूह के अध्यक्ष के रूप में उनके निष्कासन को चुनौती देने के अलावा टाटा समूह के अल्पसंख्यक शेयरधारकों के अधिकारों के दुरुपयोग और उत्पीड़न का भी आरोप लगाया था।
टाटा घराने से बाहर के पहले चेयरमैन बने थे साइरस
अगस्त 2010 में टाटा संस के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने रतन टाटा का उत्तराधिकारी चुने जाने के लिए पांच सदस्यीय चयन समिति गठित की थी। 23 नवंबर 2011 को टाटा संस बोर्ड के निदेशकों व चयन समिति के भारी समर्थन से साइरस पी मिस्त्री को डिप्टी चेयरमैन बनाया गया। इसके एक सप्ताह बाद साइरस मिस्त्री को 83 बिलियन डॉलर वाली टाटा समूह के टाटा इंडस्ट्रीज बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में शामिल किया गया।
साइरस के शामिल होने के साथ ही बोर्ड के निदेशकों की संख्या ग्यारह तक विस्तारित हुई। उस समय तय हुआ था कि रतन टाटा के दिसंबर 2012 में रिटायरमेंट के बाद साइरस मिस्त्री बतौर एमिरट्स चेयरमैन सेवा देंगे। नयी भूमिका में अपनी सेवा देने का काम जब उन्होंने शुरू किया तब वे समूह के न सिर्फ दूसरे सबसे युवा लीडर के रूप में जाने गए बल्कि कंपनी के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब टाटा परिवार से बाहर का कोई व्यक्ति चेयरमैन बना।
पहली बार रतन टाटा के साथ जमशेदपुर आऐ से मिस्त्री
चेयरमैन बनने के बाद साइरस मिस्त्री 3 मार्च 2012 को रतन टाटा के साथ ही पहली बार जमशेदपुर आए थे। संस्थापक दिवस पर कंपनियों के अधिकारियों से मिलाने रतन टाटा ही अपने साथ उन्हें जमशेदपुर लाए थे। उन्होंने टाटा वर्कर्स यूनियन के पदाधिकारियों से मुलाकात करायी। साइरस मिस्त्री का परिचय कराने के दौरान ही रतन टाटा बिष्टुपुर स्थित उद्यमियों की संस्था सिंहभूम चेंबर ऑफ कॉमर्स गये थे, जहां रतन टाटा ने सभी सवालों के जवाब दिए थे।
बाद में टाटा संस के चेयरमैन पद से साइरस पी मिस्त्री को हटाये जाने से टाटा ग्रुप से जुड़ी जमशेदपुर की सभी कंपनियों में हड़कंप मच गया था। साइरस मिस्त्री ने कमान संभालने के दो साल बाद यानी 2014 में बड़ा फैसला लिया था। लखटकिया कार नैनो रतन टाटा की सपनों की कार थी, लेकिन इसे भी बंद कर इसकी कीमत दो लाख से अधिक कर इसे नया लुक दिया गया। इससे नैनो कार का कारोबार सिमट गया। टाटा स्टील के यूरोपीय कारोबार को भी समेट लिया गया। इसके बाद पूरे विश्व में टाटा ग्रुप की परेशानियां बढ़ी।
2012 से 8 बार जमशेदपुर आ चुके साइरस
टाटा संस के चेयरमैन बनने के बाद साइरस मिस्त्री पहली बार 3 मार्च 2012 को जमशेदपुर आये थे। उसके बाद से हर साल तीन मार्च यानी संस्थापक दिवस के अवसर पर वे जमशेदपुर आते थे. उनके साथ उनकी पत्नी रोहिका मिस्त्री भी जमशेदपुर आ चुकी हैं। हालांकि 2012 के बाद साइरस मिस्त्री सिर्फ दो बार जमशेदपुर आए।