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Jharkhand : ग्रामीणों से निवाले की वसूली, नक्‍सली हर कार्डधारी से मांग रहे आधा किलो चावल

लॉकडाउन में नक्‍सली ग्रामीणों से निवाले की वसूली कर रहे हैं। नक्‍सलियों ने प्रति कार्ड धारी आधा किलोग्राम चावल देने का फरमान जारी किया है। दुकानदार व ग्रामीण मना नहीं कर पा रहे।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sun, 07 Jun 2020 09:16 AM (IST)Updated: Sun, 07 Jun 2020 09:16 AM (IST)
Jharkhand : ग्रामीणों से निवाले की वसूली, नक्‍सली हर कार्डधारी से मांग रहे आधा किलो चावल
Jharkhand : ग्रामीणों से निवाले की वसूली, नक्‍सली हर कार्डधारी से मांग रहे आधा किलो चावल

चक्रधरपुर, दिनेश शर्मा।  कोरोना काल सभी के लिए यादगार रहेगा। खासकर घोर नक्‍सल क्षेत्र में रहनेवाले लोगों के लिए। आपको याद होगा कि वर्ष 1975 में एक फिल्‍म आई थी शोले। जिसमें खलनायक गब्बर की भूमिका अमजद खान ने निभाई थी। इसमें गब्बर ग्रामीणों से राशन की वसूली कर अपने गिरोह को चलाता था और ग्रामीणों को डराता- धमकाता रहता था। यही हाल वर्तमान में घोर नक्‍सल क्षेत्र के ग्रामीणों का है। नक्‍सली उन्‍हें धमका रहे हैं। उनके निवाले पर अपना हक जमा रहे हैं। बच्‍चों के मुंह से निवाल छीन रहे हैं। उनकी इस क्रूरता से ग्रामीण दशहतजदा है। इसके बावजूद उनकी इस हरकत का विरोध तक नहीं कर सकते। पुलिस को भी अपनी समस्‍या खुलकर नहीं बता सकते और पिसते चले जा रहे हैं। 

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कोरोना वायरस से बचाव को लेकर 23 मार्च से जारी लॉकडाउन में जब आम लोगों को तरह -तरह की परेशानी का सामना करना पड़ रहा है तो ऐसे में हमेशा खूनी वारदात को अंजाम देकर पुलिस व सुरक्षा बलों की नींद उड़ाने वाले नक्सलियों का जीवन-यापन किस तरह हो रहा होगा, यह बड़ा सवाल है। खाद्यान्न व रोजमर्रा की जिंदगी में उपयोग होनेवाले सामान उन्हें कैसे उपलब्ध हो रहे होंगे, खास कर राशन पानी। जानकार व जिन्होंने नक्सलियों को करीब से जाना है, उनकी माने तो पश्चिमी सिंहभूम जिला में इन दिनों नक्सलियों की गतिविधि काफी तेज हो गई है। यहीं कारण है कि लॉकडाउन में भी उन्‍हें राशन आसानी से उपलब्‍ध हो रहा है। सुदूर गांवों में भी राशन अथवा किराना की दुकानें खुल गई हैं। जहां से नक्सलियों को थोक न सही खुदरा में तो राशन आसानी से मिल जा रहा है। सुदूर गांव के किराना दुकानदार खुशी से या डर से उन्हें राशन देने को मजबूर हैं। दुकानदार बताते हैं कि नक्सली भी पैसा देकर ही राशन लेते हैं। 

राशन उपलब्‍ध कराने में काम कर रहा स्‍थानीय नेटवर्क

नक्सलियों को राशन उपलब्ध कराने में स्थानीय नेटवर्क काम करता है। जिसमें गांवों के पीडीएस दुकानदार प्रमुख हैं। इसके अलावा गांवों के बेरोजगार युवक भी इसमें शामिल हैं। नक्सली संगठन युवकों के लाए गए सामान की दोगुनी तक कीमत दे रहे हैं। वर्तमान समय में नक्सली संगठनों मे ज्यादातर स्थानीय युवक-युवतियां शामिल हैं, जो बाजारों से सामान खरीद कर ले आते हैं। जिन पर कोई शक नहीं करता है। पुलिस द्बारा पूछताछ करने पर वे अपना आधार कार्ड दिखा देते हैं। वहीं कुछ क्षेत्रों में सीधे ग्रामीणों से ही नक्सलियों ने प्रति कार्डधारी आधा किलो चावल देने का फरमान सुनाया है। जानकारी के मुताबिक भयभीत ग्रामीणों ने भी नक्सलियों का फरमान चुपचाप मान लेने में ही अपनी भलाई समझी और राशन दे भी दिया।

ग्रामीणों के घरों में तैयार कर रहे भोजन

कई सुदूर गांवों में नक्सली पूर्व में भी ग्रामीणों के घरों में ही अपना भोजन बनवाकर इसकी पूरी रकम का ग्रामीणों को भुगतान करते रहे हैं। लॉकडाउन की अवधि में पुलिस के नक्सल विरोधी अभियान के दौरान नक्सलियों से मिली सामग्री भी इस बात की पुष्टि करती है कि राशन या दैनिक उपयोग की सामग्री की नक्सलियों को कोई किल्लत नहीं है। पिछले ढाई मााह में नक्सलियों से दर्जन भर मुठभेड़ की वारदातें हुई हैं। इनमें नक्सल कैम्प से भारी तादाद में रोजमर्रा के उपयोग के सामान मिले हैं।


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