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Navaj Bai Tata: टाटा संस की थी ये पहली महिला निदेशक, गरीबों को दान के बजाए दिया प्रशिक्षण के बाद रोजगार

Navaj Bai Tata नवाज बाई टाटा की सबसे बड़ी खूबी थी कि उन्होंने परोपकार के रूप में दान देने के बजाए गरीब और जरूरतमंद महिलाओं को प्रशिक्षण दिया। इसके बाद इन्हें रोजगार के अवसर प्रसादन किया। यहां रही उनके बारे में पूरी जानकारी।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Wed, 22 Sep 2021 05:38 PM (IST)Updated: Wed, 22 Sep 2021 05:38 PM (IST)
Navaj Bai Tata: टाटा संस की थी ये पहली महिला निदेशक, गरीबों को दान के बजाए दिया प्रशिक्षण के बाद रोजगार
लेडी नवाज बाई टाटा की फाइल फोटो।

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। टाटा समूह की पहचान एक परोपकारी समूह के रूप में होती है। आज हम बताने जा रहे हैं एक ऐसी महिला के बारे में जो टाटा समूह की पहली महिला निदेशक थी। ये थी लेडी नवाज बाई टाटा। इनका जन्म 23 सितंबर 1877 में हुआ था। टाटा स्टील ने लेडी नवाज बाई टाटा को उनकी 144वीं जयंती पर याद कर रही है।

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सर रतन टाटा से हुआ था विवाह

वर्ष 1890 दशक के अंत में नवाज बाई टाटा का विवाह सर रतन टाटा (जमशेद जी एन टाटा के छोटे बेटे) से हुई थी। लेडी नवाज बाई टाटा को वर्ष 1924 में टाटा संस के बोर्ड में निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया। वे 20 अगस्त 1965 में अपने निधन तक इस पद पर कार्यरत रही। टाटा संस के बोर्ड में निदेशक के रूप में नियुक्त होने वाली वह पहली महिला थी।

गरीबों को दान के बजाए प्रशिक्षण देकर दिया रोजगार

नवाज बाई टाटा की सबसे बड़ी खूबी थी कि उन्होंने परोपकार के रूप में दान देने के बजाए गरीब और जरूरतमंद महिलाओं को प्रशिक्षण दिया। इसके बाद इन्हें रोजगार के अवसर प्रसादन किया। इसी उद्देश्य से वर्ष 1928 में उन्होंने सर रतन टाटा इंस्टीट्यूट की स्थापना में अहम भूमिका निभाई। इसका उद्देश्य गरीबों को प्रशिक्षण देकर उन्हें रोजगार के अवसर प्रदान करना था। उनके इस पहल से महिलाएं स्वालंबी बनी और उन्हें भी रोजगार मिला।

ललित कला की पारखी थी नवाज बाई

सर रतन टाटा और लेडी नवाज बाई टाटा फाइन आर्ट (ललित कला) की पारखी थे। उन्होंने दुनिया भर में अपनी यात्रा के मायम से जेड, पेंटिंग और अन्य कलाकृतियों का एक बहुमूल्य संग्रह एकत्र किया। सर रतन टाटा के निधन के बाद लेडी नवाज बाई टाटा ने उनकी संपत्ति की अंतिम समय तक देखरेख की थी।


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