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लूडो, सांप-सीढ़ी व वॉल पेंटिंग के जरिए गणित को बना दिया आसान

बच्चों को गणित की पढ़ाई पहाड़ जैसी लग रही थी। रुचि घट रही थी। मैं उनके मन को ताड़ गई। फिर मैंने खेल का सहारा लिया। उन्हें लूडो व सांप-सीढ़ी खेल व वॉल पेटिंग के जरिए गणित समझाने लगी। धीरे-धीरे बच्चों की रुचि बढ़ने लगी। यह कहना है इशिता डे का।

By JagranEdited By: Published: Sat, 05 Sep 2020 01:41 AM (IST)Updated: Sat, 05 Sep 2020 06:22 AM (IST)
लूडो, सांप-सीढ़ी व वॉल पेंटिंग के जरिए गणित को बना दिया आसान
लूडो, सांप-सीढ़ी व वॉल पेंटिंग के जरिए गणित को बना दिया आसान

जासं, जमशेदपुर : बच्चों को गणित की पढ़ाई पहाड़ जैसी लग रही थी। रुचि घट रही थी। मैं उनके मन को ताड़ गई। फिर मैंने खेल का सहारा लिया। उन्हें लूडो व सांप-सीढ़ी खेल व वॉल पेटिंग के जरिए गणित समझाने लगी। धीरे-धीरे बच्चों की रुचि बढ़ने लगी। यह कहना है इशिता डे का। वह जमशेदपुर स्थित तारापोर स्कूल की शिक्षिका हैं। शनिवार को उन्हें राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से केंद्र सरकार सम्मानित करेगी। जमशेदपुर एनआइसी सेंटर में यह सम्मान प्रदान किया जाएगा।

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इशिता डे 12वीं के छात्रों को अर्थशास्त्र व जियोग्राफी पढ़ाती हैं, लेकिन आगे बढ़ कर उन्होंने छात्रों के लिए गणित को भी आसान बनाने का किया। कई पाठ्यक्रमों को स्कूल में लागू किया। छात्रों की रुचि को ध्यान में रखते हुए वोकेशनल पाठ्यक्रम शुरू किया। वह स्कूल की वाइस प्रिसिपल हैं।

सामुदायिक शिक्षा की वकालत करते हुए उन्होंने पोटका के टंगराईन विद्यालय जाकर सरकारी स्कूल के छात्रों को बेहतर शिक्षा मुहैया कराने के लिए निजी स्तर से प्रयास किए। वहां कंप्यूटर प्रयोगशाला खोली गई। एक्सएलआरआइ के सौजन्य से वहां यंग लीडर्स अचीवमेंट प्रोग्राम भी शुरू कराया। अगल से शिक्षा देने के लिए मेधावी छात्रों का चयन होने लगा।

इशिता डे अपने इनोवेटिव आइडियाज के लिए जानी जाती हैं। सामाजिक दायित्व के तहत तीन सरकारी स्कूलों को गोद लेकर वहां के बच्चों को पढ़ाने का काम कर रही हैं। इशिता को शैक्षणिक कार्य के लिए डॉ. जेजे ईरानी अवार्ड के नाम से विख्यात टाटा स्टील एजुकेशन एक्सीलेंस अवार्ड गणित के लिए मिल चुका है। लगातार दो वर्ष यह पुरस्कार उनके नाम हो चुका है। उन्हें सीआइएससीई काउंसिल की ओर से बेस्ट इनोवेशन टीचर्स अवार्ड भी मिल चुका है।

इशिता डे कहती हैं कि नई शिक्षा नीति से भारत की अलग पहचान बनेगी। वर्तमान परिवेश के साथ-साथ आने वाले 20 वर्षो को ध्यान में रखकर यह नीति तैयार की गई है। इससे छात्रों के साथ शिक्षकों को भी अपनी पहचान बनाने का अवसर मिलेगा। आने वाली पीढ़ी के लिए यह नीति रामबाण साबित होगी।

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इन कार्यो के कारण मिलेगा राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार

- दूसरे विषय की शिक्षिका होते हुए भी गणित को सरल तरीके से समझाने के लिए नया इनोवेटिव तरीका अपनाया।

- पोटका के टंगराईन स्कूल व मुसाबनी के दो स्कूलों को गोद लेकर सप्ताह में तीन दिन वहां के बच्चों को पढ़ाना।

- नई शिक्षा नीति के अनुरूप दो वर्ष पूर्व ही स्कूल का पाठ्यक्रम तैयार कर देना और दो वर्षो से उसी अनुरूप पढ़ाई कराना।

- खुद को छात्रों के साथ जोड़कर रखना। उनकी पढ़ाई को रुचिकर बनाने के लिए उनसे सुझाव मांगना। उसी अनुरूप शिक्षकों को कक्षाएं लेने के प्रेरित करना। साथ ही बेहतर परिणाम आना।

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प्रोफाइल

नाम : इशिता डे

स्कूली शिक्षा : राजेंद्र विद्यालय साकची

ग्रेजुएशन : उत्कल यूनिवर्सिटी, भुवनेश्वर

शिक्षा- एमए इन इकोनॉमिक्स मदुरई यूनिवर्सिटी

कार्य अनुभनव- 1997-99 (एमएनपीएस स्कूल में शिक्षण)

2005- अब तक (तारापोर स्कूल में शिक्षण)

2011 के बाद से बतौर वाइस प्रिसिपल कार्यरत

पति- पार्थो डे (टाटा कमिस में फायनेंस विभाग में अधिकारी)

पुरस्कार : टाटा स्टील द्वारा डॉ. जेजे ईरानी अवार्ड, आइसीएससी द्वारा सर्वश्रेष्ठ शिक्षिका का पुरस्कार


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