सरायकेला एसपी मो.अर्शी को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का सम्मन, चार हफ्ते में मांगा जवाब Saraikela News
सरायकेला - खरसावां जिले के एसपी मो.अर्शी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने दूसरी बार जिले के एसपी को सम्मन जारी करते हुए चार हफ्तों में जवाब तलब किया है। मामला आदित्यपुर में दो पक्षों में मारपीट से जुड़ा है।
सरायकेला, जासं। सरायकेला - खरसावां जिले के एसपी मो.अर्शी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने दूसरी बार जिले के एसपी को सम्मन जारी करते हुए चार हफ्तों में जवाब तलब किया है। इससे पहले 20 मई को आयोग ने जिले के एसपी को समन जारी करते हुए मामले में अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया था, लेकिन एसपी की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया।
इधर, एक बार फिर से आयोग ने 22 सितंबर को एसपी को सम्मन जारी करते हुए चार हफ्तों के भीतर यानी 30 अक्टूबर 2020 तक जवाब तलब किया है। आयोग ने एसपी को ह्यूमन राइट्स एक्ट 1993 की धारा 13 के तहत यह सम्मन जारी करते हुए साफ कर दिया है कि यह अंतिम चेतावनी दी जा रही है। इसके बाद आयोग सीधी कार्रवाई करने का अधिकार रखता है।
आदित्यपुर में मारपीट का है मामला
आपको बता दें कि पिछले 1 मई को सरायकेला- खरसावां जिले के आरआईटी थाना अंतर्गत एमआईजी 247 निवासी आलोक दूबे और 248 निवासी प्रिंस कुमार के बीच हुए खूनी टकराव मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने एक पक्ष प्रिंस कुमार राय एवं उनके परिवार के साथ हुई घटना और उसके बाद पुलिसिया कार्रवाई को मानवाधिकार का हनन मानते हुए संज्ञान लिया था। वैसे इस मामले को आयोग तक झारखंड के कोडरमा निवासी मानवाधिकार कार्यकर्ता ओंकार विश्वकर्मा ने पहुंचाया था। उक्त मामले में अबतक आलोक दूबे, पप्पु दूबे, सुमित राय, शांति दूबे और सोनी दूबे पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
आलोक दूबे ने भी दर्ज कराया था काउंटर केस
हालांकि, आलोक दूबे की ओर से भी काउंटर केस बाद में दर्ज कराया गया था। वैसे पीड़ित प्रिंस राय ने सीएम हेमंत सोरेन को ट्वीट कर इंसाफ मांगा था। तब पीड़ित की एफएआईआर आरआईटी थाने में दर्ज हुई थी। घटना के बाद आरोपित खुलेआम घूमते रहे। यहां तक कि प्रिंस का पूरा परिवार लहूलुहान अवस्था में रातभर लाज के लिए थाने में तड़पता रहा।लेकिन थाना की ओर से मेडिकल के लिए नहीं ले जाया गया था।