नैक ने बदला कॉलेज के मूल्यांकन का तरीका, डी ग्रेड मिलने पर कॉलेज होगा अनाधिकृत
अब कॉलेज के प्रिंसिपल छात्रों को अपने पक्ष में बोलने की नसीहत नहीं दे पाएंगे। छात्र अपनी मर्जी से अपना जबाव दे पाएंगे।
वेंकटेश्वर राव, जमशेदपुर। राष्ट्रीय प्रत्यायन एवं मूल्यांकन परिषद (नैक) ने कॉलेज के मूल्यांकन का तरीका बदल दिया है। अब कॉलेज के प्रिंसिपल छात्रों को अपने पक्ष में बोलने की नसीहत नहीं दे पाएंगे। छात्र अपनी मर्जी से अपना जबाव दे पाएंगे। नए नियम के अनुसार नैक ने छात्रों से सीधे सवाल पूछने का निर्णय लिया है। इसके लिए नैक कॉलेज के 20 छात्रों का फोन नंबर व ईमेल आइडी प्रिंसिपल से प्राप्त करेगी। इसके बाद 10 छात्रों से पत्राचार करेगी तथा पठन-पाठन व्यवस्था का फीडबैक लेगी।
सिर्फ यही नहीं कॉलेज में शिक्षक समय पर आते हैं कि नहीं, उनका व्यवहार कैसा है, शिक्षक पारंपरिक विधि से पढ़ाते हैं या फिर आधुनिक तरीका अपनाते हैं, इसकी जानकारी ली जाएगी। इसके अलावा कॉलेज द्वारा छात्रों की सुविधा के लिए क्या-क्या कदम उठाए गए हैं इसकी भी जानकारी ली जाएगी। पत्राचार के अलावा आवश्यकता पड़ने पर फोन पर फीडबैक लिया जा सकता है।
नैक के कुल नंबर का पांच फीसद अंक छात्रों के फीडबैक पर मिलेगा। संख्यात्मक तथ्यों पर सबसे ज्यादा 70 फीसद अंक तथा गुणात्मक शिक्षा पर 25 फीसद अंक निर्धारित किया गया है। नए नियमों के अनुसार अब सात ग्रेडिंग प्वाइंट पर शैक्षणिक संस्थाओं का मूल्यांकन होगा। अब यूनिवर्सिटी, कॉलेजों और अन्य संस्थानों की ग्रेडिंग नए सिस्टम से लागू होगी। ग्रेडिंग सिस्टम की समीक्षा के बाद नैक की विशेष समिति ने यह बदलाव किया है।
नए सिस्टम के तहत सबसे अधिक सीजीपीए पाने वाले संस्थानों को लेटर ग्रेड दिया जाएगा। वहीं इससे नीचे रहने वाले संस्थानों को ए प्लस प्लस, ए, बी, बी प्लस, सी या डी ग्रेड दिया जाएगा।
डी ग्रेड मिलने पर कॉलेज होगा अनाधिकृत
अब सात ग्रेड्स पर कॉलेजों का मूल्यांकन नैक की टीम करेगी। इसके बाद अब नैक की टॉप ग्रेड ए प्लस प्लस हो जाएगी, वहीं नए नियम के अनुसार अब जिस कॉलेज को नैक अपनी मूल्यांकन रिपोर्ट में डी ग्रेड देगा, उस कॉलेज को अनाधिकृत माना जाएगा।
नए नियमों के अनुसार ही वर्तमान में कॉलेजों का निरीक्षण हो रहा है। छात्रों से सवाल अब कॉलेज में नहीं पूछे जाएंगे। पत्र के माध्यम से ही उनसे कॉलेज के शैक्षणिक माहौल और छात्र सुविधाओं के बारे में जानकारी ली जायेगी।
- डॉ. आरपी सिंह, पूर्व कुलपति, कोल्हान विश्वविद्यालय।