पद्मासन में दी गई मौनी बाबा को समाधि, स्थापित होगी प्रतिमा
मौनी बाबा आश्रम सोनारी के संस्थापक श्रीश्री गंगा गिरी उर्फ मौनी बाबा को गुरुवार को पद्मासन की मुद्रा में समाधि दी गई। शडसी भंडारे के बाद समाधि स्थल के ऊपर ही मौनी बाबा की प्रतिमा स्थापित होगी ताकि उनके भक्त बाबा का दर्शन कर सके।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : मौनी बाबा आश्रम, सोनारी के संस्थापक श्रीश्री गंगा गिरी उर्फ मौनी बाबा को गुरुवार को पद्मासन की मुद्रा में समाधि दी गई। शडसी भंडारे के बाद समाधि स्थल के ऊपर ही मौनी बाबा की प्रतिमा स्थापित होगी ताकि उनके भक्त बाबा का दर्शन कर सके।
मौनी बाबा बुधवार को अपना देह त्यागकर ब्रहमलीन हो गए थे। गुरुवार सुबह पांच बजे से बाबा को पद्मासन (जैसा वे भक्तों से मिलते समय बैठते थे) मुद्रा में दो घंटे बैठाया गया। सुबह लगभग सात बजे मौनी बाबा को पंच स्नान (दूध, दही, घी, मधु व गंगाजल) के बाद जल से स्नान कराकर उन्हें भस्म लगाकर नए कपड़े पहनाए गए। इसके बाद फूलों से सजाकर सुबह नौ बजे तक फिर भक्तों के दर्शन करने का मौका दिया गया। नगर भ्रमण से वापसी के बाद बाबा के सभी कपड़े उतारकर उन्हें सिर्फ लंगोट पहनाया गया। साथ में उन्हें कपड़े की झोली दी गई। जिसमें आटे, गुड़ व घी से बनी रोटी (एक तरफ कच्ची) उनकी लंबी यात्रा के लिए देकर विदाई दी गई। बाबा के अंतिम दर्शन के लिए रायगढ़ से उनके भक्त कैलाश अग्रवाल, कोलकाता से डॉ. श्रृति, कोरबा से त्रिलोक चंद्र, राजस्थान से राजू यादव, वंदना यादव, शिवम, वंशिका व कृष्णा सहित कई भक्त दूसरे राज्यों से आए हैं।
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सोनारी में निकली भ्रमण यात्रा
सुबह नौ बजे से खुले वाहन पर बाबा को बैठाकर नगर भ्रमण कराया गया। सबसे आगे बैंड और पीछे हरि कीर्तन और मौनी बाबा का उद्घोषक करते भक्त कागलनगर से सोनारी नर्स क्वार्टर से एरोड्राम पहुंचे। यहां से कागलनगर होते रूपगनर से वापस मंदिर प्रांगण पहुंचे। इस दौरान सैकडों की संख्या में भक्त मौनी बाबा के अंतिम दर्शन को उमड़े।
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100 किलोग्राम नमक व 50 किलोग्राम चीनी से दी गई बाबा को समाधि
मंदिर प्रांगण (उनके कमरे के बगल) में ही दस फीट गहरा और पांच फीट चौड़ा गढ्डा खोदा गया। इसमें भ्रमण से लौटने के बाद मौनी बाबा को पद्मासन की ही मुद्रा में बैठाया गया। फिर इनके इन्हें सौ किलोग्राम नमक व 50 किलोग्राम चीनी से ढंका गया। पूर्व परंपरा के अनुसार सिर पर मिट्टी का एक ढक्कन रखा गया। इसके बाद उन्हें मिट्टी से ढंक दिया गया। फिर ऊपर से गोबर से लिपाई कर समाधि स्थल को फूलों से सजाया गया। शाम में भगवान शिव की आरती के बाद समाधि स्थल की भी आरती की गई।
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16 दिनों जलेगा अखंड ज्योत, आज से शुरू होगा शिव पुराण
बाबा की समाधि के पास अखंड ज्योत जलाया गया है जो 16 दिनों तक जलता रहेगा। वहीं, शुक्रवार शाम से मंदिर प्रांगण में शिव पुराण भी शुरू होगा। सात मार्च को शड़सी भंडारा होगा।
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शिवरात्रि में नहीं निकलेगी बारात
प्रत्येक शिवरात्रि पर मौनी बाबा मंदिर में भव्य आयोजन होता है। भगवान शिव की बारात निकाली जाती है। शिव-पार्वती विवाह होता है और कीर्तन दरबार सजता था। लेकिन मौनी बाबा के निधन के बाद सभी आयोजन स्थगित कर दिए गए हैं। मंदिर में सामान्य दिनों की तरह केवल पूजा-पाठ होगी।
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बाबा ने तय कर लिया था अपने जाने का समय : विनोद
मौनी बाबा के ट्रांसलेटर विनोद चतुर्वेदी बताते हैं कि उन्होंने एकादशी के दिन अपना प्राण त्यागने का दिन पहले ही तय कर लिया था। विनोद बताते हैं कि बाबा को फेफडे़ से संबधित बीमारी के कारण दो फरवरी को टीएमएच में भर्ती कराया गया था। वे 15 फरवरी को स्वस्थ होकर लौटे। हमने उनके लिए ऑक्सीजन देने वाली मशीन भी खरीदकर लाए थे। लेकिन बाबा ने इशारों में ही कह दिया था कि जब वे जाएंगे तो कोई मशीन या दवा काम नहीं आएगी। मंगलवार 18 फरवरी को उन्होंने एक पंडित को बुलाकर गीता का पाठ सुना। खुद से गंगाजल व तुलसी का पत्ता भी ग्रहण किया। एकादशी के दिन वे बात करते-करते अपने ही ब्रहमलीन हो गए। विनोद बताते हैं कि बाबा किसी को बुलाने या नाराज होने पर चुटकी बजाते थे। बाबा की वो चुटकी आज भी कानों में गूंजती है।
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ट्रस्ट द्वारा हो मंदिर का संचालन
विनोद चतुर्वेदी बताते हैं कि वे वर्ष 1995 से मौनी बाबा के साथ हैं। उन्होंने पीछे अपना कोई उत्तराधिकारी नहीं बनाया। वे चाहते थे कि ट्रस्ट के माध्यम से मंदिर का संचालन हो। इसके लिए एक वकील को भी बुलाकर सलाह ली थी। लेकिन उसे अंतिम रूप नहीं दे पाए। वे चाहते थे कि मंदिर सदैव विकास करता रहे।