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इस्लामाबाद में राम कथा करने की इच्छा : मोरारी बापू

जासं, जमशेदपुर : यदि पाकिस्तान के लोग और वहां की सरकार राजी हो तो वहां राम कथा करने क

By JagranEdited By: Published: Sat, 12 May 2018 11:00 AM (IST)Updated: Sat, 12 May 2018 11:00 AM (IST)
इस्लामाबाद में राम कथा करने की इच्छा : मोरारी बापू
इस्लामाबाद में राम कथा करने की इच्छा : मोरारी बापू

जासं, जमशेदपुर : यदि पाकिस्तान के लोग और वहां की सरकार राजी हो तो वहां राम कथा करने की इच्छा है। ये बातें मानस मर्मज्ञ मोरारी बापू ने कहीं।

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बिष्टुपुर स्थित गोपाल मैदान में चल रही रामकथा के सातवें दिन बापू ने शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत की। बापू ने कहा कि उनकी इच्छा है कि इस्लामाबाद में राम कथा कहूं। यहां ¨हदू-मुस्लिम धर्म की बात नहीं, इंसानहित की बात होगी। दोनों देशों के बीच सौहार्द के लिए भी यह आयोजन अहम होगा। वे चाहते हैं कि इस कथा में भारत से भी लोग आएं। कई बार ऐसी योजना बनी भी, लेकिन किसी न किसी कारण से यह संभव नहीं हो रहा है। बापू रामकथा के आयोजक सर्किट हाउस एरिया स्थित दीपक टांक के आवास पर बातें कर रहे थे। इसी क्रम में एक सवाल के जवाब पर बापू ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर बनना चाहिए, लेकिन यह संवाद से हो विवाद से नहीं। सर्वसम्मति से ही निर्माण होना चाहिए।

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देश में विश्राम नहीं

भारत के विकास पर बापू ने कहा कि

देश में विकास तो हो रहा है, लेकिन विश्राम नहीं हो रहा है। इसे संकेत से ही स्पष्ट करते हुए कहा कि बाहरी विकास हो और भीतरी विश्राम होना चाहिए। विकास के साथ-साथ विश्राम आवश्यक है। इस पर बापू ने पहले भी रामकथा में कहा था कि भौतिक विज्ञान में विकास, विश्राम और विनाश तीनों तत्व निहित हैं।

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डांट से टूट रहे युवा

युवाओं के अपराध में शामिल होने, आत्महत्या करने व कुसंगति में जाने के कारण पर बापू ने कहा कि युवा डांट से ही टूट रहे हैं। उन्हें मां-बाप डांटते हैं, स्कूल में शिक्षक डांटते हैं। धर्मगुरु भी डांटते हैं। उनका अनुभव है कि प्यार से समझाओ, डांटो मत, युवा नहीं बिगड़ेगा। बापू ने कहा कि किशोर व युवा मन फूल की तरह होता है, उसे चारों तरफ से प्रताड़ित करोगे, तो उसका मन आहत होगा ही। इसके लिए पूरे समाज को पहल करनी होगी। युवा धर्म व सेवा में भी बढ़-चढ़कर भाग ले रहे हैं। धर्म की ओर उनके झुकाव का एक कारण तनाव भी हो सकता है, लेकिन उनकी जिज्ञासा बढ़ी है।

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वृद्धाश्रम जरूरी, लेकिन सराहनीय नहीं

वृद्धाश्रम की बात पर बापू ने कहा कि यह पाश्चात्य संस्कृति की देन है। हमारे यहां वानप्रस्थ की व्यवस्था पहले से है, जिसमें 50-75 वर्ष की अवस्था में लोग परिवार से अलग रहते थे। लेकिन वानप्रस्थ और वृद्धाश्रम दोनों अलग चीज है। वृद्धाश्रम में आप अपनी जड़ से ही कट जाते हैं, वानप्रस्थ में ऐसा नहीं है। वृद्धाश्रम आज के समय की जरूरत हो गई है, लेकिन इसे सराहनीय नहीं कहा जा सकता। ऐसी नौबत ही क्यों आए कि मां-बाप को परिवार से अलग रहना पड़े।

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बापू रोज पढ़ते ¨हदी व गुजराती अखबार

मोरारी बापू रोज सुबह चाय पीने के साथ ही जमशेदपुर से प्रकाशित चार ¨हदी अखबार पढ़ते हैं। इसके बाद उन्हें नेट से डाउनलोड करके चार गुजराती अखबार उपलब्ध कराए जाते हैं। रामकथा के आयोजक दीपक टांक ने बताया कि यह बापू की दिनचर्या में शामिल है। वह सुबह में करीब एक घंटे अखबार को देते हैं।


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