कोल्हान प्रमंडल में आए दिन धधकती है अफवाह की आग
कोल्हान प्रमंडल में अफवाह की आग कई लोगों की जान ले चुकी है। आए दिन यहां बच्चा चोर के नाम पर भीड़ किसी भी निर्दोष की पिटाई कर देती है।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : अफवाह की आग में कोल्हान प्रमंडल दो सालों के दौरान कई बार झुलस चुका है। पूर्वी और पश्चिम सिंहभूम तथा सरायकेला खरसावां जिलों में भीड़ कई ¨हसक घटनाएं अंजाम दे चुकी है। पूर्वी सिंहभूम के बागबेड़ा में पिछले साल तीन लोगों की भीड़ ने हत्या कर दी थी। वहीं सरायकेला खरसावां के राजनगर थाना क्षेत्र में भीड़ ने चार लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। पश्चिम सिंहभूम जिले के ग्रामीण इलाकों में तो यह सिलसिला आज भी बदस्तूर जारी है। पुलिस चाहकर भी इस अफवाह के आग को नहीं रोक पा रही है। अबतक घटित ऐसे अधिकतर मामलों में पीड़ित विक्षिप्त निकले। कई अच्छे भले इंसान भी ¨हसा के शिकार हुए। आलम यह है कि पश्चिम सिंहभूम में भीड़ ने एक पुलिस पदाधिकारी की भी बच्चा चोर के अफवाह में पिटाई कर दी थी। जिले की सबसे चर्चित घटना मंझारी प्रखंड के भागाबिला गांव के पास हुई। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में नाम दर्ज कराने निकले तमिलनाडु के साइकिल चालक राजन कुमार को भीड़ ने अधमरा कर दिया था। भीड़ उनकी हत्या करने के लिए उन्हें जंगल ले जा रही थी। इसी बीच पुलिस की गश्ती टीम पहुंच गई। फिर पुलिस ने हस्तक्षेप कर उनकी जान बचाई। यह घटना इसी वर्ष बीस जून को घटित हुई है। इसके अलावा जगन्नाथपुर के जैंतगढ़ में जून के प्रथम हफ्ते में होटल मजदूर और एक विक्षिप्त की उग्र भीड़ ने पिटाई कर दी थी। जगन्नाथपुर प्रखंड के मालुका गांव के पास जून माह में ही एक पुलिस जवान को उग्र भीड़ ने पीट-पीटकर अधमरा कर दिया था। जून महीने में ही जगन्नाथपुर प्रखंड के सानंदा गांव में उग्र भीड़ ने बच्चा चोरी के अफवाह में एक विक्षिप्त की पिटाई कर दी थी। वहीं, 12 जून को नोवामुंडी प्रखंड में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के कामकाज का सर्वे करने आई एक एनजीओ टीम पर भीड़ टूट पड़ी थी। लोगों ने एक सर्वेयर को पीट कर अधमरा कर दिया था। इसी तरह 13 जून को कुमारडुंगी में एक विक्षिप्त को भीड़ ने पिटाई कर दी। इस माह यानी जुलाई के पहले हफ्ते में मुफस्सिल थाना क्षेत्र में भीड़ ने एक महिला की पिटाई कर दी थी। उस पर भी लोगों को बच्चा चोर होने का शक था। आलम यह है कि पुलिस नहीं समझ पा रही कि ऐसी घटनाएं कैसे रोकी जाएं। पुलिस गांवों में जागरूकता अभियान चला रही है, लेकिन इसका कोई असर नहीं दिख रहा है। सरायकेला खरसावां जिले में तो इसी 16 जून को ऐसी घटना में शामिल 12 उपद्रवियों को स्थानीय कोर्ट से चार माह की सजा भी सुनाई जा चुकी है। हत्या के कई मामले सुप्रीम कोर्ट में चल रहे हैं। इसमें कोई दो राय अफवाह की आग के पीछे सियासी सरपरस्ती होती है। दरअसल, इसके पीछे के सफेदपोश चेहरे बेनकाब नहीं हो पा रहे हैं। मालूम हो कि पिछले साल जिन लोगों की पीटकर हत्या कर दी गई थी उनमें घाटशिला के फूलपाल निवासी मो. नईम और हल्दीपोखर के रहने वाले सिराज खान उर्फ बाबू, मो. हलीम व मो. सज्जू शामिल थे। मो. सज्जू का शव डुंगरी जंगल से बरामद हुआ था। एक ही दिन सात लोगों की हत्या से कोल्हान दहल उठा था। देश भर में इसकी निंदा हुई थी।