Aayushman Bharat छूट गयी थी पढ़ाई, अभिषेक की लौटी रोशनी, रीना जाने लगी कॉलेज Jamshedpur News
यह कहानी कोल्हान के दो छात्रों की है जिनकी बीमारी की वजह से पढ़ाई छूट गई थी। उनका भविष्य अंधकार में पड़ गया था।
जमशेदपुर (अमित तिवारी)। यह कहानी कोल्हान के दो छात्रों की है, जिनकी बीमारी की वजह से पढ़ाई छूट गई थी। उनका भविष्य अंधकार में पड़ गया था लेकिन आयुष्मान भारत योजना ने दोनों की जिंदगी में प्रकाश भर दी। अब दोनों पढ़ाई के साथ-साथ देश गढऩे में भी जुटे है।
पहली घटना बागबेड़ा स्थित गणेश नगर निवासी राज कुमार श्रीवास्तव के पुत्र अभिषेक श्रीवास्तव की है। उनके बाए आंख में चोट लगने की वजह से दिखाई देने बंद हो गया था। इससे परिजन घबरा गए थे। एक नजदीकी नेत्र रोग विशेषज्ञ से संपर्क किया तो उन्होंने हायर सेंटर ले जाने की सलाह दी। परिजन के पास उतना पैसा था नहीं कि वे लेकर जाते। तभी आयुष्मान भारत योजना के बारे में उन्होंने जानकारी हासिल की और साकची स्थित एएसजी हॉस्पिटल लेकर आए।
यहां आने से पता चला कि आयुष्मान भारत योजना में उनका नाम दर्ज है और अब मुफ्त में इलाज हो सकेगा। इस शब्द को सूनने ही पीडि़त के परिजनों ने राहत की सांस ली। इसके बाद उनका मुफ्त में इलाज हो सका। इलाज पर करीब 62 हजार रुपये खर्च आया, जिसे इंश्योरेंस कंपनी ने पेय किया। अभिषेक श्रीवास्तव बागबेड़ा स्थित इंद्रा विद्या ज्योति हाई स्कूल में कक्षा आठवीं का छात्र है।
उन्होंने बताया कि शिक्षक किसी दूसरे छात्र को पीट रही थी तभी उनका डंडा अभिषेक के आंख में घुस गया। इससे उसकी आंख की रोशनी लगातार कम होते गई। अब अभिषेक पूरी तरह से ठीक हो चुका है। वह पूर्व की तरह ही स्कूल जा रहा है। आयुष्मान भारत योजना की प्रशंसा करते हुए अभिषेक ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह पहल गरीबों के लिए वरदान साबित हो रहा है। अभिषेक आगे चलकर इंजीनियर बनना चाहता है लेकिन उसके पापा का सपना है कि मेरा बेटा डॉक्टर बने।
पेट में 13 किलो का ट्यूमर लेकर घूम रही थी रीना
आदित्यपुर बस्ती निवासी रीना सामद (19) के पेट में 13 किलोग्राम का ट्यूमर था। आर्थिक तंगी के कारण वह इलाज नहीं करा पा रही थी। पेट में इतने बड़े ट्यूमर होने की वजह से समाज से भी उन्हें ताने मिलता था और पढ़ाई भी छुट गई। रीना के पिता राम सहाय सामद इलाज के लिए जमीन बेचने की तैयारी में थे। तभी इस योजना की जानकारी मिली, जो उम्मीद की किरण बनी। योजना के तहत ब्रह्मïानंद नारायणा अस्पताल में रीना की सर्जरी हुई। रीना टाटा कॉलेज में इंटर की छात्रा है। कहती है कि वह आगे अब पढ़ेगी भी और कुछ ऐसा करेगी जिससे दूसरे मरीजों को इस तरह का ताना नहीं झेलना पड़े।
कई अस्पतालों की चक्कर लगा चुकी थी रीना, हर जगह पैसा बन रहा था बाधा
रीना के पिता राम सहाय सामद किसान हैं। उन्होंने रीना के इलाज के लिए कई अस्पतालों का चक्कर लगाया, लेकिन हर पैसा बाधा बना। वहीं रीना कहती है कि ऐसी परिस्थिति आ गई थी कि वह इंटर का परीक्षा भी नहीं दे सकी। ट्यूमर के इलाज के लिए टीएमएच में 60-70 हजार रुपये खर्च होने की बात कहीं जा रही थी, जो देने में असमर्थ थे।
रीना के पेट में 13 किलो का ट्यूमर था, जिससे उसकी स्थिति गंभीर हो गई थी। वह बीते कई ïवर्षों से बीमारी लेकर भटक रही थी लेकिन उसके पास इलाज कराने को पैसा नहीं था। प्रधानमंत्री ने जब आयुष्मान भारत योजना शुरू किया तो उसका इलाज संभव हो सका।
डॉ. आशीष कुमार, कैंसर रोग सर्जन।