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मिलों को मिले आर्थिक मदद, किसानों को प्रोत्साहन तो चाकुलिया का चावल बन सकता ब्रांड

पूर्वी सिंहभूम जिले के चाकुलिया का चावल झारखंड का ब्रांड बनकर दोबारा दुनिया भर में छा सकता है। लेकिन इसके लिए हर स्तर पर सामूहिक प्रयास करने की जरूरी है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Tue, 26 May 2020 08:34 AM (IST)Updated: Tue, 26 May 2020 08:34 AM (IST)
मिलों को मिले आर्थिक मदद, किसानों को प्रोत्साहन तो चाकुलिया का चावल बन सकता ब्रांड
मिलों को मिले आर्थिक मदद, किसानों को प्रोत्साहन तो चाकुलिया का चावल बन सकता ब्रांड

जमशेदपुर, जेएनएन। पूर्वी सिंहभूम जिले के चाकुलिया का चावल झारखंड का ब्रांड बनकर दोबारा दुनिया भर में छा सकता है। लेकिन, इसके लिए हर स्तर पर सामूहिक प्रयास करने की जरूरी है। एक मुकम्मल कार्ययोजना तैयार करने की दरकार है। थोड़ी देर के लिए हर किसी को सियासत को ताक पर रखकर राज्य सरकार के साथ कदमताल करते हुए साझा प्रयास करना होगा।

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चावल मिलों को खोलने की राह में जो रोड़े हैं, उन्हें दूर करने के लिए आगे आना होगा। सरकार व प्रशासन को सुझाव देना होगा। यही नहीं सरकार और प्रशासन को भी इच्छाशक्ति दिखाने की जरूरत है। इलाके के किसानों को चावल की खेती के लिए हर स्तर पर प्रोत्साहित करना होगा। उद्यमियों को भी आर्थिक रूप से मदद की कवायद करनी होगी। उनसे संवाद करना होगा। उनकी जरूरतों के बारे में पूछताछ करने की पहल करनी होगी। यदि हर कोई मिलकर एकबार साझा पहल कर दे, तो इस उद्योग की सूरत ही बदल जाएगी।

विपक्ष की मांग : उद्योगपतियों को पहले आधारभूत संरचना उपलब्ध कराए सरकार

बहरागोड़ा क्षेत्र के पूर्व विधायक और भाजपा नेता कुणाल षाडंगी कहते हैं कि चाकुलिया के चावल मिल मालिकों को श्रम कानून का भय दिखा कर प्रशासन ताला जड़वा रहा है। मेरे समय में यह बात उभर कर सामने आयी थी। मिलों को आधारभूत संरचना सरकार की ओर से उपलब्ध नहीं कराई जा रही है, उल्टे उन्हें धमकाया जा रहा है। कुणाल कहते हैं कि चाकुलिया के चावल मिल की ओर सबकी नजर है। इन्हें फिर से जिंदा करने की आवश्यकता है। इसके लिए सबसे पहले राज्य सरकार को इस क्षेत्र में बिजली व सड़क जैसी आधारभूत संरचना उपलब्ध कराना होगा। श्रमिकों की समस्या तो है, लेकिन इसके लिए उन्हें श्रम कानून का दवाब नहीं दिया जाता है, क्योंकि वे अपने सहारे ही यहां उद्योग धंधा चलाते हैं। बिजली तो नाममात्र मिलती है। इन चावल मिलों को आधुनिक बनाये जाने की जरूरत है। नई पद्धति का इस्तेमाल करना होगा। आर्थिक मदद की भी जरूरत पड़ेगी। अभी जो प्रवासी मजदूर लौटे हैं, उन्हें चाकुलिया के चावल मिलों में कैसे काम पर लगाया जाये, इस पर भी स्थानीय उद्योगपतियों को विचार करना होगा। ये मजदूर कुशल हैं। इसका लाभ यहां के चावल मिल मालिकों को मिलेगा। राज्य सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए। यहां के मिल स्थानीय स्तर पर कई माध्यम से रोजगार दे सकते हैं।

बोले विधायक : चाकुलिया के चावल मिलों को जिंदा करने के लिए मुख्यमंत्री से करेंगे बात

पूर्वी सिंहभूम जिले के चाकुलिया के बंद पड़ी चावल मिलों को खोलने के संबंध में विधायक समीर महंती कहते हैं कि इसके लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से एक बार बात हो चुकी है। उन्होंने मिल मालिकों के प्रतिनिधिमंडल के साथ मिलने को भी कहा था। कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के कारण इस कार्य में विलंब हो रहा है। जल्द ही स्थानीय चावल मिल मालिकों के साथ बैठक कर इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे। उसके बाद मिल मालिकों के प्रतिनिधिमंडल के साथ सीएम से मुलाकात कर समस्या के समाधान के लिए सार्थक प्रयास करेंगे। विधायक ने कहा कि कोरोना महामारी को लेकर जिस प्रकार की परेशानी झेल कर बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर अपने गांव वापस लौट रहे हैं उससे इस बात की पूरी संभावना है कि लोग दोबारा परदेस जाना नहीं चाहेंगे। ऐसे में स्थानीय स्तर पर ही लोगों को रोजगार मुहैया करना पड़ेगा। इसके लिए चाकुलिया की चावल मिलें एक बेहतर विकल्प साबित हो सकती हैं। हम उन सभी कारणों को दूर करने का प्रयास करेंगे, जिसकी वजह से यहां की चावल मिलों में ताला लटका हुआ है। विधायक ने कहा कि चाकुलिया के चावल मिलों को जिंदा कर ग्रामीण अर्थव्यवस्था की सेहत सुधारी जा सकती है। इसके लिए किसानों, उद्यमियों और विशेषज्ञों से बातचीत की जाएगी। राज्य सरकार भी ऐसी पहल के लिए हर क्षण तैयार है। लॉकडाउन खुलने के बाद इस दिशा में पुरजोर पहल की जाएगी। इस संबंध में लोगों के सुझाव भी एकत्र किए जाएंगे।

बोले सांसद : चावल मिल जो धान खरीदते हैं उसका भुगतान तुरंत हो तो बदल सकते हैं दिन

जमशेदपुर के सांसद विद्युत वरण महतो ने कहते हैं कि चाकुलिया के चावल मिलों के दिन एक बार फिर लौट सकते हैं, लेकिन इसके लिए सरकारी भुगतान का सिस्टम सुधारना होगा। इसके लिए राज्य सरकार को ध्यान देना होगा। धान खरीद का भुगतान सरकार समय पर नहीं करती है। बहरागोड़ा में अभी भी काफी धान हुआ है। चावल मिल जो भी धान खरीदते हैं, उनका भुगतान तुरंत होना चाहिए। हाल ही में चाकुलिया के कमला राइस मिल पर राज्य सरकार ने 52 लाख रुपये के लिए एफआइआर करने का आदेश दिया है, जबकि उसी का सरकार के पास 92 लाख बकाया है। यह विडंबना नहीं तो क्या है। इस मामले में उन्होंने और रांची के सांसद संजय सेठ ने भी खाद्य आपूर्ति विभाग से बात की, लेकिन मामला जस का तस है। इससे भी आश्चर्य की बात है कि उक्त राइस मिल को राज्य सरकार से 92 लाख रुपये 2012-13 में ही मिलना था, लेकिन सिस्टम की गड़बड़ी से आज तक पैसा नहीं मिला। यह एक छोटा सा उदाहरण है, जिससे कई चाकुलिया की चावल मिलें बंद हो गईं। कमला राइस मिल भी बंद हो गई। सांसद ने बताया कि जब वे बहरागोड़ा के विधायक थे, तो वहां सड़क भी नहीं थी। उन्होंने और जमशेदपुर के तत्कालीन सांसद अर्जुन मुंडा (अब केंद्रीय मंत्री) के प्रयास से चाकुलिया में पक्की सड़कें बनीं। एक समय था कि यहां का उसना चावल बिहार-उत्तर प्रदेश की कौन कहे, विदेश तक जाता था। लेकिन राज्य सरकार की भुगतान व्यवस्था से चावल मिलों की यह स्थिति हुई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत का जो नारा दिया है, उसमें राज्य सरकार ही चाकुलिया के चावल मिलों के दिन लौटा सकती है।

बोले प्रवासी मजदूर

रोजगार के लिए खोले जाएं कल कारखाने : हरिपदो

बारानाटा गांव के प्रवासी मजदूर हरिपदो नायक ने कहा कि वह  महाराष्ट्र के नागपुर निश्चित एक कंपनी में काम करता है। लॉकडाउन के दौरान काफी परेशानी उठा कर वापस लौटा है। अगर स्थानीय स्तर पर रोजगार मिले तो दूसरे राज्य में जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। चाकुलिया में चावल मिलें खुल जाए, तो काफी सहूलियत होगी। यहां रोजगार मिल जाएगा, तो यहीं काम करेंगे।

लोकल में काम मिले तो क्यों जाएंगे बाहर : साधु

लोधाशोली गांव के मजदूर साधु गोप ने कहा कि अगर गांव के लोगों को लोकल स्तर पर या जिले के भीतर काम मिल जाए तो कोई क्यों बाहर जाएगा। घर के समीप रहकर काम करना हर सभी को अच्छा लगता है। लोकल में रोजगार नहीं मिलने के चलते ही दूसरे प्रांतों में पलायन करना पड़ता है। पलायन रोकने के लिए स्थानीय स्तर पर रोजगार मुहैया करना चाहिए।

मिलेगा रोजगार तो नहीं करेंगे पलायन : बादल गोप

लोधाशोली पंचायत के वनडीही टोला निवासी बादल गोप ने कहा कि सरकार को प्रवासी मजदूरों के लिए यहीं काम मुहैया करने की व्यवस्था करनी चाहिए। पहले जब चाकुलिया में राइस मिलें अधिक संख्या में चलती थीं, तो ग्रामीण इलाके के अनेक लोगों को यहीं रोजगार मिल जाता था। मिलों के बंद होने से अनेक लोग बेरोजगार हुए हैं। अगर दोबारा मिलें खुल जाए तो क्षेत्र के लोग पलायन नहीं करेंगे।

खुलेंगी मिले तो नहीं जाएंगे बाहर: सनत गोप

चाकुलिया प्रखंड के लोधाशोली गांव निवासी सनत गोप ने कहा कि बेहतर रोजगार की उम्मीद में ही घर द्वार छोड़कर दूसरे प्रांतों में जाना पड़ता है। अगर अपने इलाके में ही रोजगार मिल जाए तो सबसे बेहतर है। चाकुलिया में बंद पड़ी चावल मिलों के खुलने से अगर रोजगार मिलता है तो  हमें यही काम मिल जाएगा और बाहर नहीं जाना पड़ेगा।

रोजगार की असीम संभावनाएं : शिशिर

हमें चाकुलिया में ही रोजगार की असीम संभावनाएं दिखती है। लेकिन इसके लिए सरकार के स्तर से प्रयास करना होगा। यहां चावल मिल के अलावा भी कई तरह के उद्योग धंधे तथा खेती आधारित व्यवसाय फल फूल सकते हैं।


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