Covid19 : असुरक्षित यात्रा करने वाले प्रवासी मजदूरों से संक्रमण का ज्यादा खतरा,ये है आंकड़ों की गवाही
Covid19. असुरक्षित यात्रा करने वाले प्रवासी मजदूरों से कोरोना के संक्रमण का ज्यादा खतरा है। पश्चिमी सिंहभूम में संक्रमित मिले 14 में सात लोग चुपके-चुपके यहां आए।
चाईबासा/रांची, जेएनएन। Covid19 असुरक्षित यात्रा करने वाले प्रवासी मजदूरों से संक्रमण का ज्यादा खतरा है। आंकड़े इसकी गवाही दे रहे हैं। पश्चिमी सिंहभूम जिले के सदर प्रखंड चाईबासा में संक्रमित पाया गया एक युवक 14 मई को ट्रक और अन्य वाहनों के माध्यम से असुरक्षित तरीके से सफर कर चाईबासा पहुंचा था। यहां बिना किसी तरह की जांच कराए वह अपने गांव चला गया।
गांववालों को जब इसकी खबर हुई तो उसे गांव में प्रवेश करने नहीं दिया। मजबूर होकर उसे जांच कराने चाईबासा के सदर अस्पताल जाना पड़ा। चूंकि वह रेड जोन से आया था, इसलिए जिला प्रशासन ने सैंपल लेने के बाद उसे क्वारंटाइन कर लिया। अब जांच में वह कोरोना पॉजिटिव पाया गया है। इसी तरह कुमारडुंगी क्षेत्र के धनसारी गांव में कोरोना संक्रमित पाया गया एक युवक बेंगलुरु से असुरक्षित तरीके से पांच दिन सफर कर चाईबासा पहुंचा था। गांव वालों के दबाव पर जब जांच हुई तो वह पॉजिटिव पाया गया। जिले में ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं।
राज्य में अबतकक 25 प्रवासी संक्रमित
उसी प्रकार गढ़वा में बस से पहुंचे लोगों की जांच हुई तो एक साथ बीस कोरोना संक्रमित मिले। ऐसे अनगिनत उदाहरण हैं जिससे असुरक्षित यात्रा करनेवाले प्रवासी मजदूरों ने अपने परिवार व गांव के अन्य लोगों को भी खतरा में डालने का काम किया है। प्रशासन की नजर ऐसे लोगों पर पड़ी तो उनकी जांच हुई, लेकिन बड़ी संख्या में ऐसे भी हैं जो चुपके से अपने घर और गांव पहुंच गए हैं। राज्य में पांच मई से अबतक लगभग 250 प्रवासी मजदूर संक्रमित पाए गए हैं। बताया जाता है कि इनमें से आधे से अधिक वैसे प्रवासी मजदूर हैं, जो असुरक्षित ढंग से यात्रा कर मुंबई, सूरत व अन्य जगहों से पहुंचे हैं। गढ़वा में भी पिछले दिनों 18 मजदूर महाराष्ट्र तथा दो गुजरात चोरी छिपे गांव पहुंच गया था। पकड़े जाने पर सभी की जांच हुई जिसमें पॉजीटिव पाए गए।
पश्चिमी सिंहभूम में 14 में सात संक्रमित प्रवासी
पश्चिमी सिंहभूम में पिछले एक सप्ताह में कोरोना संक्रमित मिले 14 प्रवासी मजदूरों में सात ऐसे हैं, जो चुपके चुपके इस जिले में प्रवेश किए। यानी असुरक्षित यात्रा कर घर पहुंचे। यदि ग्रामीणों ने पहल नहीं की होती तो ये कई अन्य लोगों को संक्रमित कर सकते थे। एक तरह से देखा जाए तो असुरक्षित यात्रा कर घर पहुंचने वालों से संक्रमण का खतरा ज्यादा है। असुरक्षित यात्रा के दौरान ये मजदूर कितने लोगों के संपर्क में आए, अब इसकी जांच जरूरी हो गई है। वहीं, जो लोग सरकारी व्यवस्था से जिले में लाये गये हैं, उनमें कोरोना वायरस संक्रमण के मामले कम आये हैं। पश्चिमी सिंहभूम जिला प्रशासन के आंकड़े कहते हैं कि जिले में लॉकडाउन की अवधि में अभी तक करीब 20 हजार लोग पश्चिम सिंहभूम पहुंचे हैं। इनमें से 4190 लोगों को जिले में बनाए गए 253 क्वारंटाइन सेंटर में रखा गया है। वहीं 14,634 लोग होम क्वारंटाइन किए गए हैं।
दूसरों में भी संक्रमण फैलने की आशंका
पुलिस अधीक्षक इंद्रजीत महथा कहते हैं कि जिले में चोरी-छिपे लोगों के प्रवेश को रोकने के लिए यूं तो जगह-जगह चेकनाका बनाए गए हैं। इन चेकनाकों पर दूसरे जिले या राज्य से आने वाले लोगों को रोक कर क्वारंटाइन किया जा रहा है। सरकारी व्यवस्था के तहत जो लोग आ रहे हैं, वो निश्चित रूप से हर स्तर की जांच से गुजर रहे हैं। इस वजह से उनमें कोरोना संक्रमण का खतरा कम रहता है। लेकिन जो प्रवासी चुपके चुपके किसी और व्यवस्था मसलन, ट्रक, भाड़े की गाड़ी या अन्य साधनों से रेड जोन से आते हैं, वे स्वयं तो संक्रमण के खतरे के बीच में रहते ही हैं, दूसरों में भी संक्रमण फैलने की आशंका बनी रहती है। ऐसे लोगों पर सबको नजर रखने की जरूरत है।
पांच हजार पहुंचे छिपते-छिपते
रोना संक्रमित लोगों की ट्रैवल हिस्ट्री पता करने और कांटेक्ट ट्रेसिंग के लिए गठित टीम के एक सदस्य कहते हैं कि 15 फरवरी के बाद बड़ी संख्या में इस जिले में लोग घुसे हैं। सभी को खोजकर क्वारंटाइन सेंटर भेजा गया। कम से कम पांच हजार ऐसे लोग हैं जो छिपते-छिपाते इस जिले में प्रवेश किये हैं। इनसे संक्रमण का खतरा है। अच्छी बात है कि सभी को होम क्वारंटाइन या स्टेट क्वारंटाइन किया जा रहा है। इनमें अगर संक्रमण मिलेगा तो भी स्थानीय स्तर पर इसके फैलने का बहुत ज्यादा खतरा नहीं रहेगा।
पहाड़ व चट्टानों को पार कर घर पहुंचे कुमारडुंगी के 10 युवक
घने जंगल, पहाड़ और चट्टानों को चीरकर 10 प्रवासी मजदूर अपने घर के लिए पैदल निकल पड़े। 24 घंटे का कंटीला रास्ता सफर करने के बाद मंगलवार को अपने गंतव्य तक पहुंचे। इनमें कुमारडुंगी क्षेत्र के गोटसेरेंग, कलैया और हल्दीपोखर गांव के छह व जगन्नाथपुर से चार मजदूर शामिल हैं। सभी महाराष्ट्र के आश्मेत रायगढ़ के स्कॉन प्रोजेक्ट प्राइवट लिमिटेड में काम करते थे। सभी प्रवासी मजदूरों को लाने वाली बस से सिकंंदराबाद, कर्नाटक व विशाखापटनम होते हुए मयूरभंज जिला के रायरंगपुर भूखे प्यासे पहुंचे। बस चालक ने आगे जाने से मना कर दिया। मजदूरों ने बताया कि उन्हें सिकंदराबाद और कर्नाटक में एक समय का खाना पैकेट मिला था। विशाखापटनम में मात्र पानी की बोतलें मिली। इसके बाद भूखे प्यासे ओडिशा के रायरंगपुर पहुंचे। वहां से जंगल होते हुए कुमारडुंगी प्रखंड के हलदीपोखर चौक पहुंचे। हाडिय़ा का सेवन किया। इसके बाद आठ मजदूर अपने घर के लिए निकल गए।