टूटेगा एमजीएम अस्पताल, बनेगा अत्याधुनिक भवन
महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल के पुराने कंडम व मानक से इतर बनाए गए भवनों को तोड़ा जाएगा। इसकी रणनीति उन जांच दलों के निरीक्षण के बाद बाद बन रही है जिन्होंने पिछले दिनों स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता की पहल पर अस्पताल का निरीक्षण किया था।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल के पुराने, कंडम व मानक से इतर बनाए गए भवनों को तोड़ा जाएगा। इसकी रणनीति उन जांच दलों के निरीक्षण के बाद बाद बन रही है, जिन्होंने पिछले दिनों स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता की पहल पर अस्पताल का निरीक्षण किया था। अभी तक अस्पताल का कई टीम दौरा कर चुकी है और शुक्रवार को भी एक टीम ने इस अस्पताल का जायजा लिया। इस टीम ने भी अस्पताल का भवन देखकर आपत्ति दर्ज करायी है।
शुक्रवार को भी स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के निर्देश पर रांची निदेशालय से दो सदस्यीय टीम एमजीएम का निरीक्षण करने पहुंची। टीम में मेडिकल ऑफिसर डॉ. ललित निरंजन व नेशनल हेल्थ मिशन के फाइनांस विभाग के उपनिदेशक रवि पी सिन्हा शामिल थे। टीम ने पूरे अस्पताल को देखा और अधिकतर भवनों की स्थिति देखकर चिंता जाहिर की। कई भवन जर्जर हो चुकी हैं तो कई अमानक हैं। वह अस्पताल के लायक हैं ही नहीं। बेतरतीब भवनों के चलते मरीज व चिकित्सकों को भी परेशानी हो रही है। टीम ने इमरजेंसी, मेडिसीन, महिला एवं प्रसूति विभाग, शिशु रोग विभाग, सर्जरी विभाग, हड्डी रोग विभाग, ईएनटी, नेत्र रोग विभाग, बर्न यूनिट सहित अन्य का जायजा लिया। टीम के सदस्यों ने कहा कि रिपोर्ट बनाकर स्वास्थ्य मंत्री को सौंपी जाएगी।
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इमरजेंसी सहित अन्य विभागों का होगा कायाकल्प
इमरजेंसी विभाग का विस्तार करने का प्रस्ताव एमजीएम प्रबंधन ने पहले ही बनाकर विभाग को भेजा है, लेकिन अब उसपर कार्य शुरु हो गया है। प्रबंधन ने 50 बेड का इमरजेंसी विभाग बनाने की मांग किया है लेकिन अब 100 या उससे भी अधिक क्षमता का बनाने की योजना है। इसके साथ ही इसके आसपास पैथोलॉजी सेटर से लेकर ब्लड बैंक, रेडियोलॉजी विभाग व ओपीडी बनाने की तैयारी चल रही है। जल्द ही नक्शा तैयार कर उसपर कार्य शुरू हो जाएगा। इमरजेंसी विभाग को जी प्लस फोर बनाने पर भी मंथन चल रहा है। उसमें पार्किग की भी सुविधा होगी।
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नए सिरे से बनेगा बर्न यूनिट, करनी होगी अंडरग्राउंड वायरिग
बर्न यूनिट भी जैसे-तैसे खड़ा कर दिया गया है। उसे नए सिरे से बनाने की जरूरत है। वहीं संसाधन का भी घोर अभाव है। जिसके कारण मरीजों को बेहतर चिकित्सा नहीं मिल पा रही है। 20 बेड पर 26 मरीजों को भर्ती किया गया था, जिससे क्रास इंफेक्शन फैलने की संभावना काफी अधिक रहती है। वहीं अस्पताल में वायरिग पूरी तरह से खराब हो चुकी है। जिसके कारण आए दिन शर्ट सर्किट होता है। इससे बड़ा हादसा भी होने का डर बना रहता है। इससे बचने के लिए अस्पताल में नए सिरे से अंडरग्राउंड वायरिग करने की जरूरत है।
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