टीएमएच में मांगे जा रहे थे ढाई लाख, एमजीएम में निश्शुल्क सर्जरी
सोनाराम बीते सोमवार को अपने दोस्तों संग किसी काम से ओडिशा गए थे। वहां एक ट्रक की चपेट में आकर घायल हो गए।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : गरीबों की जान बचाने का अंतिम सहारा महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल ही है। इसका साक्षात उदाहरण हरहरगुट्टूं निवासी युवक सोनाराम सिरका हैं। सोनाराम बीते सोमवार को अपने दोस्तों संग किसी काम से ओडिशा गए थे। वहां एक ट्रक की चपेट में आकर घायल हो गए। उनका दायां पैर बुरी तरह जख्मी व बेकार हो गया था। उन्हें एंबुलेंस से लाकर टाटा मुख्य अस्पताल (टीएमएच) में 19 हजार रुपये देकर भर्ती कराया गया। दूसरे दिन 40 हजार रुपये की मांग की गई और पैर काटने के साथ ही इलाज पर करीब दो से ढाई लाख रुपये खर्च आने की बात कही गई। इतनी बड़ी रकम सुनकर परिवार के होश उड़ गए। इसके बाद वे छुट्टंी कराकर बिष्टुपुर स्थित स्टिल सिटी नर्सिग होम ले गए। वहां भी इलाज करने से इंकार कर दिया गया।
थकहार कर सोनाराम सिरका के परिजन बुधवार की शाम उसे एमजीएम अस्पताल ले आए। यहां पर डॉ. वाई सांगा के नेतृत्व में सोनाराम सोरेन का इलाज चला। सब कुछ निश्शुल्क हुआ। सिर्फ कुछ दवा बाहर से खरीदनी पड़ीं।जो अस्पताल में मौजूद नहीं थीं। एमजीएम में दो घंटे तक मरीज की सर्जरी चली। दाया पैर काट दिया गया है, ताकि इंफेक्शन शरीर में नहीं फैले।
दवा खरीदने को पूरा गांव जुटा रहा चंदा :
सोनाराम सोरेन मजदूरी करते हैं। उनके पिता का निधन पूर्व में ही हो चुका है। दवा खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं। इसे देखते हुए सोनाराम की जान बचाने को पूरा गांव एकजुट हो गया है। दवा खरीदने के लिए हर कोई चंदा दे रहा है। परिजनों का कहना है कि यदि, एमजीएम अस्पताल नहीं होता और यहां के डॉ. वाई सांगा मानवता नहीं दिखाते तो मरीज की जान बचानी मुश्किल थी। उसके शरीर में तेजी से इंफेक्शन फैल रहा था। सोनाराम को एक बेटी व एक बेटा है।