यह कैसा अस्पताल साहब, जहां नाक बंद कर आते मरीज और बीमारी घर ले जाते Jamshedpur News
नाक पर रूमाल देखकर चौंकिए मत। यह कोल्हान के सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है। यहां नाक बंदकर मरीज आते हैं। एमजीएम मेडिकल कॉलेज अस्पताल की हकीकत बोल रही है।
जमशेदपुर (जागरण संवाददाता)। नाक पर रूमाल देखकर चौंकिए मत। यह कोल्हान के सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है। यहां नाक बंदकर मरीज आते हैं। यह महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल की हकीकत बोल रही है। सोमवार की दोपहर करीब ढ़ाई बजे दैनिक जागरण की टीम शिशु वार्ड में गई तो चारों तरफ गंदगी की अंबार थी।
बदबू इतनी तेज आ रही थी कि वहां से गुजरने वाले हर मरीज व उनके परिजन नाक पर रूमाल या फिर हाथ रखकर गुजर रहे थे। वहीं कुछ लोग अपनी सांसे थामे हुए थे। कारण कि सांस के माध्यम से बदबू उनके शरीर में प्रवेश नहीं कर सकें। यही हाल करीब-करीब पूरे अस्पताल की है। मेडिकल, सर्जरी, हड्डी, बर्न वार्ड व इमरजेंसी विभाग में भी बदबू से मरीज परेशान हैं। फिलहाल इमरजेंसी वार्ड में पांच व मेडिकल वार्ड में 13 इंफेक्शन से संबंधित मरीज भर्ती हैं। उन्हें बेहतर देखरेख व साफ-सफाई की जरूरत है। लेकिन यहां व्यवस्था कुछ भी नहीं है।
मरीज बढ़ते गए और सफाई सेवक घटते गए पांच साल का आंकड़ा देखा जाए तो इस अस्पताल की व्यवस्था लगातार बिगड़ती जा रही है। मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही पर कर्मचारियों की संख्या घटा दी गई है। 560 बेड वाले इस अस्पताल में पहले करीब 170 सफाई सेवक थे लेकिन उनकी संख्या घटाकर 40 कर दी गई है। सफाई पर खर्च भी घटा दी गई है। पहले सफाई के लिए सलाना एक करोड़ से अधिक रुपये मिलता था लेकिन अब 72 लाख ही मिलता है। एक शिफ्ट में करीब दस कर्मचारी सफाई करते हैं। उनके जिम्मे इमरजेंसी, वार्ड, छात्रावास, प्रशासनिक विभाग, ऑपरेशन थियेटर सहित अन्य है। सफाई सेवकों का कहना है कि इतने कम कर्मचारियों से बेहतर साफ-सफाई की नहीं की जा सकती है।
इंफेक्शन रोकने के लिए नहीं कोई बंदोबस्त महिला एवं प्रसूति विभाग की हालत सबसे ज्यादा खराब है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) के पूर्व अध्यक्ष सह फिजिशियन डॉ. आरएल अग्रवाल कहते हैं कि इंफेक्शन रोकने को लेकर कड़ी निगरानी होनी चाहिए। गंदगी की वजह से तेजी से इंफेक्शन फैलता है और वह जानलेवा भी हो जाता है। जच्चा-बच्चा में इंफेक्शन तेजी से फैलने का खतरा रहता है। एमजीएम में एक-एक बेड पर तीन से चार मरीज भी भर्ती किए जाते हैं। वहीं बिना रोक-टोक के तरह-तरह के लोग और मरीजों की आवाजाही होती हैं, ऐसे में तरह-तरह के कीटाणु और वायरस भी सक्रिय रहते हैं।
यह सावधानी जरूरी - अस्पताल में 24 घंटे बेहतर साफ-सफाई होनी चाहिए। गंदगी की वजह से मरीज को बीमारी घेर लेती है।
अस्पताल में मरीज से मिलने जा रहे हैं तो साफ कपड़े और हाथ-पैर धोकर जाएं।
मरीज के नजदीक न जाएं।
मरीज के विस्तर आदि को न छुए।
जूते-चप्पल वार्ड के बाहर उतारें।
गंभीर मरीज से मिलने के दौरान मॉस्क का उपयोग करें।
अस्पताल में बेहतर साफ-सफाई होनी चाहिए। मैं आज ही इस मामले को देखता हूं। कुछ कर्मचारी भी चुनावी ड्यूटी में चले गए थे। अब सभी लौट आए हैं। मंगलवार से बेहतर साफ-सफाई होगी।
डॉ. संजय कुमार, अधीक्षक, एमजीएम।