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एमजीएम में न अधीक्षक हैं और न ही कर्मचारी

महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल की स्थिति बदतर हो गई है। अस्पताल चलाने के लिए न तो अधीक्षक हैं और न ही कर्मचारी। अधीक्षक का तबादला दो दिन पूर्व ही पाकुड़ में सिविल सर्जन के रूप में कर दिया गया है। उनके स्थान पर कोई नहीं है। इससे अस्पताल के वित्तीय कार्य सहित अन्य काम प्रभावित हो रहे हैं। इसके साथ ही हेड क्लर्क अरविंद सिन्हा के तबादला की चर्चा भी तेज है। कहा जा रहा है कि पलामू में उनका तबादला कर दिया गया है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 02 Mar 2019 07:14 AM (IST)Updated: Sat, 02 Mar 2019 07:14 AM (IST)
एमजीएम में न अधीक्षक हैं और न ही कर्मचारी
एमजीएम में न अधीक्षक हैं और न ही कर्मचारी

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल की स्थिति बदतर हो गई है। अस्पताल चलाने के लिए न तो अधीक्षक हैं और न ही कर्मचारी। अधीक्षक का तबादला दो दिन पूर्व ही पाकुड़ में सिविल सर्जन के रूप में कर दिया गया है। उनके स्थान पर कोई नहीं है। इससे अस्पताल के वित्तीय कार्य सहित अन्य काम प्रभावित हो रहे हैं। इसके साथ ही हेड क्लर्क अरविंद सिन्हा के तबादला की चर्चा भी तेज है। कहा जा रहा है कि पलामू में उनका तबादला कर दिया गया है। हालांकि, इस संदर्भ में विभागीय पत्र अस्पताल प्रबंधन के पास नहीं पहुंचा है। उधर, आउटसोर्स कर्मचारियों की संख्या में भारी कटौती कर दी गई है। इससे अस्पताल की व्यवस्था चरमराने के साथ ही मरीजों की जान सांसत में है। एक साथ वार्ड ब्याय, लिफ्ट मैन, इलेक्ट्रिकल हेल्पर, लैब अटेंडर, रसोई सेवक, वार्ड अटेंडर, पलंबर का पद शून्य कर दिया गया है। इससे मरीज परेशान हैं। पूर्व में अस्पताल में छह पलंबर, 97 वार्ड ब्याय, 12 लैब अटेंडर, छह इलेक्ट्रिकल हेल्पर, 12 रसोई सेवक, 23 कंप्यूटर ऑपरेटर, 24 लिफ्ट मैन, 15 ड्रेसर कार्यरत थे। अब स्थिति यह हो गई है कि घायलों को न तो कोई मरहम-पंट्टी करने वाला है और न ही वार्ड में शिफ्ट करने वाला।

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नहीं मिल रहा आयुष्मान योजना का लाभ

23 कंप्यूटर कर्मचारियों को हटा देने के बाद सेंट्रल रजिस्ट्रेशन काउंटर के साथ-साथ आयुष्मान भारत योजना के काउंटर भी ठप पड़ गए हैं। कंप्यूटर ऑपरेटर नहीं होने से मरीजों का गोल्डन कार्ड नहीं बन रहा है। इससे वे योजना से वंचित हो रहे हैं। इसी तरह, सामान्य मरीजों के लिए बनाया गया काउंटर भी बंद है। नये एजेंसी के अंतर्गत सिर्फ दो कंप्यूटर ऑपरेटर को रखा गया है जो जरूरत के हिसाब से कम हैं। अस्पताल प्रबंधन ने कुल 52 कंप्यूटर ऑपरेटरों का प्रस्ताव सरकार को भेजा है।

आउटसोर्स कर्मचारियों का धरना-प्रदर्शन तीसरे दिन भी जारी

नौकरी से हटाए गए आउटसोर्स कर्मचारियों का धरना-प्रदर्शन शुक्रवार को तीसरे दिन भी जारी रहा। शनिवार को सभी कर्मचारी मुख्यमंत्री रघुवर दास से मिलने उनके आवास जाएंगे और नौकरी पर रखे जाने की मांग करेंगे। आउटसोर्स कर्मचारी कालीचरण मुर्मू ने बताया कि अस्पताल में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है लेकिन कर्मचारियों की संख्या घटा दी गई है। इससे मरीजों को परेशानी हो रही है। इस मौके पर ईतू, अनिता, हरकिशन, कन्हैया, प्रियंका, हरकिशन, निकिता, एकता, प्रीति, पूर्णिमा, मनीषा, पिंकी, अमित, मनीषा सहित अन्य कर्मचारी उपस्थित थे।


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