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एमसीआइ को दिखाने के लिए लगा दिया नेत्र प्रत्यारोपण का बोर्ड, नंबर भी गलत

झारखंड सरकार की ओर से महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक बोर्ड लगाया गया है। इसमें बताया गया है कि प्रदेश के सभी चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल में नेत्रदान एवं प्रत्यारोपण की सुविधा उपलब्ध है। पर, हकीकत यह है कि यहां पर नेत्र प्रत्यारोपण की कोई व्यवस्था नहीं है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 20 Oct 2018 08:52 PM (IST)Updated: Sat, 20 Oct 2018 08:52 PM (IST)
एमसीआइ को दिखाने के लिए लगा दिया नेत्र प्रत्यारोपण का बोर्ड, नंबर भी गलत
एमसीआइ को दिखाने के लिए लगा दिया नेत्र प्रत्यारोपण का बोर्ड, नंबर भी गलत

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : झारखंड सरकार की ओर से महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक बोर्ड लगाया गया है। इसमें बताया गया है कि प्रदेश के सभी चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल में नेत्रदान एवं प्रत्यारोपण की सुविधा उपलब्ध है। पर, हकीकत यह है कि यहां पर नेत्र प्रत्यारोपण की कोई व्यवस्था नहीं है।

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शनिवार को इसका खुलासा तब हुआ जब एक मरीज नेत्र प्रत्यारोपण के लिए पूरे अस्पताल का चक्कर लगाते रहा। अंत में उन्होंने इसकी शिकायत दैनिक जागरण से की। इसके बाद दैनिक जागरण की टीम ने अपने स्तर से जानकारी हासिल करने का प्रयास किया तो पाया गया कि अस्पताल परिसर में एक बोर्ड लगा है जिसमें नेत्रदान व नेत्र प्रत्यारोपण करने की बात है। साथ ही अधिक जानकारी के लिए फोन नंबर 7763888257 जारी किया गया है। इस नंबर पर संपर्क करने से एक महिला ने फोन रिसीव किया। उनसे पूछा गया कि आप एमजीएम से बोल रहे हैं। इसपर उन्होंने जवाब दिया कि क्या बात है? फिर सवाल किया गया कि क्या आप नेत्र प्रत्यारोपण के बारे में बता सकतें है। इसके बाद उन्होंने गलत नंबर बताते हुए फोन काट दिया। इस सरकारी व्यवस्था में कदमा निवासी राहुल सिंह दिनभर उलझा रहा। इधर, अस्पताल के ही एक चिकित्सक का कहना है कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) को दिखाने के लिए आनन-फानन में बोर्ड लगा दिया गया ताकि एमबीबीएस सीट की मान्यता बचीं रहीं। बतातें चले कि एमसीआइ की टीम बीते माह ही अस्पताल का निरीक्षण करने आई थी।

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एमजीएम को मिला है लाइसेंस, जल्द खुलेगा आई बैंक

नेत्र प्रत्यारोपण के लिए एमजीएम अस्पताल को लाइसेंस मिल चुका है। अब जल्द से जल्द आई बैंक खोलने की कवायद चल रहीं है। कॉर्निया की गड़बड़ी से आंख की रोशनी गंवा चुके लोग फिर से दुनिया देख सकेंगे। वैसे लोग भी लाभांवित होंगे, जो जन्मजात कॉर्निया की गड़बड़ी से पीड़ित हैं। फिलहाल शहर में नेत्र प्रत्यारोपण की कोई व्यवस्था नहीं है।

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प्रदेश में इस साल 250 कॉर्निया ट्रांसप्लांट का लक्ष्य

राज्य में इस साल 250 कॉर्निया ट्रांसप्लांट का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस मामले में अबतक काफी कम ट्रांसप्लांट हुआ है। बीते कुछ सालों का आंकड़ा देखा जाए तो हर साल मात्र 20 से 25 कॉर्निया ट्रांसप्लांट ही हो सका हैं। जबकि राज्य में करीब 1500 से 2000 मरीजों को तत्काल कॉर्निया ट्रांसप्लांट की जरूरत है। राज्य में निजी अस्पताल के अलावा कोलकाता, मुंबई, दिल्ली के अस्पतालों में मरीज कॉर्निया ट्रांसप्लांट के लिए जाते हैं।

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विभाग द्वारा एमजीएम अस्पताल के लिए जो नंबर जारी किया गया है उसपर अगर जानकारी नहीं मिल रहाी है और वह रांग नंबर बताया जा रहा है तो यह गलत है। इसकी जांच की जाएगी। अस्पताल में आई बैंक खोलने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। जल्द ही इसका लाभ लोगों को मिलेगा।

- डॉ. नकुल प्रसाद चौधरी, उपाधीक्षक, एमजीएम।

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